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जयपुर
विधि एवं विधिक कार्य मंत्री श्री जोगाराम पटेल ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि पीपलखूंट में मुकदमों की संख्या निर्धारित मापदण्ड से काफी कम होने के कारण वर्तमान में यहां नवीन न्यायालय खोले जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नवीन सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय की स्थापना और क्रमोन्नयन के संबंध में निर्णय निर्धारित मापदण्डों के आधार पर लिया जाता है। इसके लिए राजस्थान उच्च न्यायालय की सहमति भी आवश्यक है।

विधि एवं विधिक कार्य मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि पीपलखूंट(घाटोल) में वर्तमान में 24 प्रकरण सिविल एवं 281 मुकदमे क्रिमिनल प्रकृति के हैं, जो निर्धारित मापदंड 1700-2000 लम्बित प्रकरणों की संख्या से कम है। उन्होंने जानकारी दी कि पीपलखूंट(घाटोल) में न्यायायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय के सृजन के लिए प्रस्ताव प्राप्त होने पर राज्य उच्च न्यायालय की समिति द्वारा लंबित प्रकरणों की संख्या को देखते हुए पीपलखूंट में ग्राम न्यायालय सृजन हेतु राज्य सरकार को 18 दिसम्बर 2014 को पत्र लिखा गया, जिस पर सरकार द्वारा सहमति प्रदान नहीं की गयी।

श्री पटेल ने कहा कि इसके बाद यहाँ वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश, अपर सिविल न्यायाधीश न्यायालय सृजन का ज्ञापन प्राप्त होने पर लंबित प्रकरणों की संख्या के आंकड़े समिति के समक्ष प्रस्तुत किये गए। समिति द्वारा 12 अगस्त 2023 को प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संयुक्त मुकदमों की संख्या के आधार पर पीपलखूंट में न्यायालय खोलने का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

इससे पहले विधायक श्री नाना लाल निनामा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में विधि एवं विधिक कार्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में पीपलखूंट में किसी भी प्रकार का न्यायालय खोले जाने का प्रस्ताव माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में विचारार्थ लंबित नहीं है। भविष्य में इस संबंध में माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय से प्रस्ताव प्राप्त होने पर तथा वित्तींय संसाधन की उपलब्धता होने पर राज्य सरकार द्वारा विचार किया जा सकेगा।

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