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मध्यप्रदेश के तीन ताप विद्युत गृहों को फ्लाई ऐश के कुशल प्रबंधन के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन गैर लाभकारी संगठन मिशन एनर्जी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित किया गया

विद्युत गृहों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के कुशल व प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा

ऊर्जा मंत्री तोमर ने दी बधाई

भोपाल
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी (एमपीपीजीसीएल)के सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी व अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई को फ्लाई ऐश के कुशल व प्रभावी प्रबंधन करने के लिए फ्लाई ऐश उपयोगिता-2025 विषय पर गोवा में आयोजित 14 वें अन्तर्राष्ट्रीय आवासीय सम्मेलन में सम्मानित किया गया। तीनों विद्युत गृह के अभियंताओं को यह पुरस्कार पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदान किया। यह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन गैर लाभकारी संगठन मिशन एनर्जी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित किया गया था। सम्मेलन में एनटीपीसी, विभिन्न राज्यों की पॉवर यूटिलिटी व निजी पॉवर यूटिलि‍टी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और विद्युत गृहों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के कुशल व प्रभावी प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा की।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पुरस्कार के लिए तीनों ताप विद्युत गृह के अभियंताओं व कार्मिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने फ्लाई ऐश के बेहतर प्रबंधन के क्षेत्र में निरंतर प्रयास और प्रतिबद्धता के माध्यम से जो मील का पत्थर स्थापित किया है, यह उपलब्धि न केवल पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार और सतत विकास की मिसाल भी है।

किस श्रेणी में मिला पुरस्कार

मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी व अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई को यह पुरस्कार 500 मेगावाट स्थापित क्षमता से कम श्रेणी और सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया को 500 मेगावाट स्थापित क्षमता से अधिक श्रेणी वर्ग में प्रदान किया गया। सिंगाजी ताप विद्युत गृह ने 100 प्रतिशत से अधिक फ्लाई ऐश का सतत् व प्रभावी उपयोग किया है।

फ्लाई ऐश क्या है

फ्लाई ऐश कोयले की राख का सबसे महीन कण है। इसे फ्लाई ऐश इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे दहन कक्ष से निकास गैसों द्वारा ले जाया जाता है। फ्लाई ऐश कोयले में खनिज पदार्थ से बना महीन पाउडर है, जिसमें कोयले में गैर-दहनशील पदार्थ और अधूरे दहन से बची हुई कार्बन की थोड़ी मात्रा शामिल होती है। फ्लाई ऐश आम तौर पर हल्के भूरे रंग की होती है और इसमें ज़्यादातर गाद के आकार और मिट्टी के आकार के कांच के गोले होते हैं। पर्यावरण संबंधी बढ़ती चिंता और समस्या की बढ़ती गंभीरता के कारण फ्लाई ऐश का प्रबंधन करना अनिवार्य हो गया है।

 

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