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पति−पत्नी गृहस्थी के दो पहिए हैं। एक−दूसरे के बिना गृहस्थी की गाड़ी नहीं चल सकती। ऐसे में आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी एक का हीनभावना से ग्रस्त हो जाना पूरे परिवार की गाड़ी में ब्रेक लगा देता है। हीनभावना का कारण चाहे कुछ भी हो परन्तु पति−पत्नी को एक−दूसरे की हीनभावना को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

कई बार महिलाएं समझ ही नहीं पाती हैं कि उनके पति हीनभावना से ग्रस्त हैं। इसके लिए उनके व्यवहार में आए बदलाव को नोट किया जा सकता है। यदि पति आफिस से आकर अपने कपड़े तथा जूते−मोजे इधर−उधर फेंक कर कमरा अस्त−व्यस्त कर दे तो समझ जाइए कि उन्हें आफिस में कोई परेशानी है। कई बार होता यह है कि आफिस में महिला बॉस आ जाए और वह सख्ती शुरू करे तो पुरुष उसे आसानी से सहन नहीं कर पाते। महिला बॉस की एक−दो डांट से ही पुरुषों के मन में हीनभावना पनपने लगती है।

कई बार पत्नी की खूबसूरती भी पति में हीनभावना पनपाने में सहायक होती है। हर कोई जब पत्नी की खूबसूरती की तारीफें करता रहे और पति को पूछे भी न और यह कहे कि तुम्हारी तो लाटरी खुल गई जो तुम जैसे को इतनी खूबसूरत पत्नी मिल गई। ऐसे में पति के मन में हीनभावना पनपना स्वाभाविक ही है।

अपने पति को हीनभावना से निकालना आपका कर्तव्य है। पहले तो प्रयास करें कि ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपके गुणों के कारण नहीं बल्कि खूबसूरती के कारण आपकी तारीफ करते हैं। अपने पति को यह अहसास दिलाना जरूरी है कि आपकी नजरों में खूबसूरती से ज्यादा गुण महत्व रखते हैं और आप उन्हें इसीलिए चाहती हैं क्योंकि उनमें सब गुण मौजूद हैं। उन्हें बताइए कि आप उनके कुछ गुणों को अपनाना चाहती हैं।

पति की उदासीनता के कई कारण माने गए हैं पर सबसे बड़ा कारण अहं होता है। जब किसी आदमी के अहं को ठेस पहुंचती है तो वह या तो दुनिया से स्वयं को काट लेता है या दुनिया पर हावी हो जाने की कोशिश करता है। जो व्यक्ति हावी हो जाता है वह अपनी हीनभावना की कड़वाहट को प्रसिद्धि पाने के प्रयास में उपयोग कर लेता है और जो व्यक्ति स्वयं को दुनिया से अलग कर एक जगह बंद हो जाता है उसका व्यक्तित्व ही समाप्त हो जाता है। कई बार पत्नी की शोहरत से ईष्र्या कर के भी पति के मन में हीनभावना आ जाती है।

पति के मन में यदि हीनभावना घर कर जाए तो वह आपको नजरअंदाज तो करेगा ही और बच्चों की तरफ भी ज्यादा नहीं ध्यान देगा। निश्चय ही वह अपने लिए बाहर कोई सहारा तलाश करेगा। यदि आप पत्नी होकर पति से अपने बर्थडे व अन्य खास बातें याद रखने को कहती हैं तो पत्नी होकर आपका भी दायित्व बनता है कि आप पति के साथ कदम से कदम मिला कर दांपत्य जीवन को सफल बनाएं न कि पति के हीनभावना से ग्रस्त होने पर उनका दामन छोड़ कर मायके चली जाएं।

पति−पत्नी दोनों के ही कुछ कर्तव्य होते हैं। जब आपको पति ने कुछ हक दिए हैं तो उसी के साथ आपके कुछ कर्तव्य भी हैं जिनका पालन करना आपके लिए बेहद जरूरी है। आपको चाहिए कि पति की हीनभावना दूर करने के लिए भरसक प्रयास करें।

 

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