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कठुआ/जम्मू
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्र में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना जम्मू कश्मीर सरकार की जिम्मेदारी है। अब्दुल्ला ने कठुआ के दौरे के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘भारत सरकार शरणार्थियों को यहां लेकर आई। हम उन्हें यहां नहीं लाए। उन्होंने उन लोगों को यहां बसाया है और जब तक वे यहां हैं, उनके लिए पानी और बिजली मुहैया कराना हमारा कर्तव्य है। यह हमारी जिम्मेदारी है।’ उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू शहर में रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों के बसने को एक बड़ी ‘राजनीतिक साजिश’ करार दिया था और इसमें शामिल लोगों की पहचान के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग की थी।

जम्मू में उन्हें पानी और बिजली कनेक्शन देने संबंधी टिप्पणी को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि ऐसा उन्हें बचाने के लिए किया गया है, क्योंकि वे (रोहिंग्या और बांग्लादेशी) एक विशेष समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 13,700 से ज्यादा विदेशी जम्मू और दूसरे जिलों में बसे हुए हैं जिनमें से अधिकतर रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक हैं। वर्ष 2008 से 2016 के बीच उनकी आबादी में 6,000 की वृद्धि हुई है।

अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की भी जोरदार वकालत की और कहा कि जम्मू कश्मीर में केवल एक ही सत्ता केंद्र होगा। उन्होंने कहा, ‘डबल इंजन वाली सरकार यहां काम नहीं करेगी। राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। जम्मू कश्मीर में सत्ता का केवल एक ही केंद्र होगा।’ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘भारत सरकार को इस पर गौर करना चाहिए। यह आरएसएस के नेतृत्व वाली सरकार है। हमें इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।’

जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के सवाल पर अब्दुल्ला ने फिर से कहा, ‘राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। यह भारत सरकार का वादा है और उच्चतम न्यायालय के सामने भी इसका वादा किया गया है। जिस तरह उनके चुनावी वादे पूरे किए गए, उसी तरह उच्चतम न्यायालय की प्रतिबद्धता का भी सम्मान किया जाएगा और राज्य का दर्जा वापस आएगा।’ अब्दुल्ला ने क्षेत्र में बिजली कटौती के मुद्दे पर कहा कि इसके लिए बारिश और बर्फबारी की कमी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, ‘हम बिजली कटौती को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। बर्फबारी या बारिश न होने की वजह से बिजली की कमी है। बिजली आपूर्ति को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।’

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती के हिंदुत्व पर दिए गए हालिया बयानों के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मुझे उनके बयानों पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।’ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ईवीएम को लेकर सवाल आज ही नहीं उठे हैं, बल्कि जब से ये मशीनें आई हैं, तब से उठ रहे हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग इन मशीनों पर भरोसा करें।’

जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘कई शिक्षित लड़के और लड़कियां बेरोजगार हैं। कई रिक्तियां हैं, लेकिन उन्हें भरा नहीं गया है। सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए ताकि हमारे युवाओं को काम मिल सके।’ अब्दुल्ला ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा और शैक्षिक बुनियादी ढांचे की स्थिति की भी आलोचना की और कहा कि इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।

 

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