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खरगोन

खरगोन जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की तर्ज पर मदर मिल्क बैंक शुरू होगा। यानी यहां अब माताएं दूध का दान करेगी और उन्हें नवजात बच्चों को दिया जाएगा। इस सुविधा से उन नवजात बच्चों को भी सुविधा मिलेगी जिन्हें खुद की माताएं जन्म के बाद दूध नहीं पीला पाती। अभी ऐसे बच्चों को परिजन बाजार से दूध खरीदकर फिर पिलाते हैं।

 इससे बच्चे को वह पोषक तत्व नहीं मिल पाते जो मां के दूध से मिलते हैं। जिला अस्पताल में एसएनसीयू के पास लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट (स्तनपान प्रबंधन इकाई) तैयार की गई है। कक्ष बनकर तैयार है। भोपाल से उपकरण आने के बाद इसे इसी माह से शुरू किया जाएगा।

6 महीने तक स्टोर किया जा सकता है दूध
सिविल सर्जन डॉ. अमरसिंह चौहान ने बताया इस यूनिट की आवश्यकता लंबे समय से है। इसे एनएचएम के जरिए तैयार कराया है। इस यूनिट पर करीब 21 लाख रुपए खर्च हुए हैं। अभी अस्पताल में औसत 20 से 25 डिलेवरी होती है। प्रत्येक नवजात को माता का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में जिन माताओं को दूध अधिक आता है, उस दूध को इस यूनिट में स्थापित रेफ्रिजरेटर और डीप फ्रीजर में सुरक्षित रखा जाएगा। अस्पताल में भर्ती किसी बच्चे को दूध की आवश्यकता पड़ेगी तो डॉक्टर्स के परामर्श पर उसे मां का दूध यहां से उपलब्ध कराएंगे। इस यूनिट में करीब छह माह तक मां के दूध को सुरक्षित रखा जा सकता है।

क्या कहते है एक्सपर्ट्स?
जन्म के तुरंत बाद नवजात को मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। कई बार माताओं को दूध नहीं आता। ऊपर का दूध बच्चे नहीं पचा पाते, उल्टियां होती है, पेट फूलने की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में मदर मिल्क बैंक से उन्हें मां का दूध मिलेगा। इससे शिशु मृत्युदर में भी गिरावट आएगी। यह अच्छी पहल है। डॉ. भानुप्रिया खरते, शिशु रोग विशेषज्ञ, खरगोन

शिशु मृत्युदर में आएगी गिरावट
एसएनसीयू के डॉ. पवन पाटीदार बताते हैं कि यहां वार्ड में करीब 15 बच्चे औसत भर्ती रहते हैं। अधिकांश बच्चे को ऊपर का दूध दिया जाता है। परिजन यह दूध बाजार से या घर से लेकर आते हैं। यह समस्या मां को दूध नहीं आने की स्थिति में आती हैं।

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