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कोलकाता
अयोध्या में बाबारी मस्जिद विध्वंस विवाद खत्म हो गया। विवादित रहे स्थल पर राम मंदिर का निर्माण हो गया लेकिन राजनीति में बाबरी मस्जिद मुद्दा अब भी जिंदा है। तृणमूल कांग्रेस के विधायक का इसी बीच विवादित बयान सामने आया है। हुमायूं कबीर ने ऐलान किया है कि वह पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में नई बाबरी मस्जिद बनाएंगे।

हुमांयू कबीर अपने विवादास्पद बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। भरतपुर के विधायक ने दावा किया है कि वह बाबरी मस्जिद बेलडांगा में बनाएंगे। पश्चिम बंगाल का बेलडांगा इलाका मुस्लिम बाहुल है।

मस्जिद बनाने के लिए देंगे एक करोड़ रुपये

बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बनाने के ऐलान के साथ ही हुमायूं कबीर ने वादा किया है कि वह इस मस्जिद को बनाने के लिए अपने पास से एक करोड़ रुपये देंगे। उन्होंने दावा किया कि बाबारी मस्जिद बनाने के प्रस्ताव पर काम शुरू हो गया है। मस्जिद निर्माण की नींव वह 6 दिसंबर 2025 तक रखेंगे।

बाबरी मस्जिद ट्रस्ट भी बनाएंगे

हुमायूं कबीर ने कहा कि बंगाल में मुसलमानों की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने मुस्लिम समुदाय की भावनाओं और अधिकारों पर खास ध्यान दिया है। उन्होंने बेलडांगा में बनने जा रही बाबरी मस्जिद के लिए बहरामपुर क्षेत्रों के मदरसा अध्यक्षों और सचिवों सहित 100 से अधिक सदस्यों वाली एक बाबरी मस्जिद ट्रस्ट बनाने का भी ऐलान किया।

मुसलमानों से जुटाएंगे धन

हुमांयू कबीर ने कहा कि बाबरी मस्जिद ट्रस्ट बेलडांगा में दो एकड़ में बनने जा रही मस्जिद के निर्माण की देखरेख करेगा। उन्होंने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम सपोर्ट करेंगे और धन भी जुटाएंगे। ट्रस्ट दान में आने वाले धन को मैनेज करेगा।

कांग्रेस से टीएमसी में आए थे हुमायूं

ममता बनर्जी के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे हुमायूं कबीर तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। टीएमसी में आने से पहले वह 2011 में कांग्रेस के टिकट पर रेजिनगर विधानसभा सीट से अपना पहला चुनाव लड़े थे। हुमायूं अकसर ऐसे बयान देते रहते हैं, जिससे टीएमसी को विपक्ष का सामना करना पड़ता है। हाल ही में टीएमसी ने हुमायूं को उनके एक बयान के लिए नोटिस भी दिया था।

बाबरी मस्जिद विवाद क्या

हुमायूं ने कहा कि मुगल कमांडर मीर बाक़ी ने 1528-29 में बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। उनका आरोप है कि 1992 में हिंदू राष्ट्रवादी भीड़ ने मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था, जिसके बाद हिंसा हुई थी। मस्जिद पर लंबे समय तक राजनीति चली और कोर्ट में केस चला। 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने अयोधया की विवादित भूमि को रामजन्मभूमि का हिस्सा बताते हुए मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया था।

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