Rahul Gandhi meets artisan community: discusses challenges in life of painters and potters
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में पेंटर और कुम्हार समुदाय के सदस्यों के साथ समय बिताया, उनके काम की बारीकियों को समझा और उनकी जिंदगी से जुड़ी परेशानियों पर गहन चर्चा की। राहुल गांधी ने इन मेहनतकश कारीगरों के साथ काम में हाथ बंटाया और उनकी कठिनाइयों को नजदीक से जानने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि ये कारीगर हमारे घरों को अपनी कला से रोशन करते हैं, लेकिन उनके खुद के जीवन में खुशहाली और स्थिरता की कमी है। इसके लिए समाज की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह इन हुनरमंदों को न केवल पहचान दे, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने में सहयोग भी करे।

पेंटर समुदाय की चुनौतियाँ: सीमित अवसर, जोखिमपूर्ण काम और स्थायित्व की कमी
राहुल गांधी ने पेंटर समुदाय के साथ चर्चा करते हुए पाया कि उनके काम में कई तरह की चुनौतियाँ हैं। इन कलाकारों का काम चाहे घरों की दीवारों पर हो या बड़े भवनों पर, इनमें कई जोखिम जुड़े होते हैं। अधिकतर पेंटर अनौपचारिक श्रम बाजार में काम करते हैं, जिसके चलते उन्हें नियमित आय या भविष्य में स्थायित्व की कोई गारंटी नहीं मिलती।
कई पेंटरों ने अपनी परेशानियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं होते, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। राहुल गांधी ने इस पर चिंता जताई और कहा कि इस समुदाय को बेहतर उपकरण और सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करना अत्यंत जरूरी है। साथ ही, उन्होंने पेंटरों के बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का समाधान करने पर भी जोर दिया, ताकि इस समुदाय को एक सुरक्षित और बेहतर भविष्य मिल सके।
कुम्हार समुदाय से बातचीत: पारंपरिक कला के संरक्षण की जरूरत
राहुल गांधी ने कुम्हार समुदाय के साथ बातचीत करते हुए उनकी कला की बारीकियों को समझा। कुम्हारों की कला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन आज, आधुनिकता के इस दौर में यह कला विलुप्त होने के कगार पर है। कुम्हारों ने बताया कि पारंपरिक मिट्टी के बर्तन और मूर्तियाँ बनाने का काम पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, लेकिन अब प्लास्टिक और मशीनी उत्पादों के कारण उनकी मांग घटती जा रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार और समाज को मिलकर कुम्हारों को उचित बाजार और सहयोग प्रदान करना चाहिए। यदि उनके उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए, तो ये लोग न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगे बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजीवनी मिलेगी। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इस कला को आधुनिक बाजार में स्थान दिलाने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता की भी आवश्यकता है।
हुनरमंदों को मौके देने पर जोर: स्वरोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण
राहुल गांधी का मानना है कि यदि सही प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता मिले तो कारीगर और कलाकार अपनी कला से समाज में योगदान कर सकते हैं और एक आर्थिक संबल पा सकते हैं। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि पेंटरों और कुम्हारों जैसे कारीगरों के लिए विशेष योजनाएं लाई जाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकारों के लिए वित्तीय योजनाओं, लोन स्कीम और सरकारी सब्सिडी की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि उन्हें अपनी कला को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक आधार मिल सके।
इसके साथ ही उन्होंने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय बाजारों और कला मेलों का आयोजन करने का सुझाव दिया, जहां ये कलाकार सीधे अपने उत्पादों को बेच सकें और उचित मुनाफा कमा सकें।
समाज के प्रति संदेश: कला और मेहनत की इज्जत करें
राहुल गांधी ने इस मुलाकात के दौरान एक संदेश दिया कि समाज को इन मेहनतकशों के योगदान को समझना चाहिए और उनकी कला का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेंटर और कुम्हार जैसे लोग हमारे घरों और समाज को सुंदर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर हम इनकी कला और मेहनत की इज्जत करेंगे और इन्हें सहयोग देंगे, तो एक समृद्ध और सशक्त समाज की स्थापना हो सकती है।
राहुल गांधी की यह पहल न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे नेता जनता के करीब जाकर उनकी असली समस्याओं को समझ सकते हैं और उनके समाधान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

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