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शनि अमावस्या एक विशेष तिथि होती है, जब अमावस्या और शनिवार का संयोग बनता है. इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करने से शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या से राहत मिलती है. यह दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है जिनकी कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित अवस्था में होता है.

कब है शनि अमावस्या?
पंचांग के अनुसार, इस साल शनि अमावस्या 29 मार्च को है. इसी दिन शनि देव कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे. चैत्र माह की अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात को 7 बजकर 55 मिनट पर प्रारंभ होगी. वहीं इस तिथि की समाप्ति 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगी. ऐसे उदया तिथि के अनुसार, शनि अमावस्या 29 मार्च रहेगी. ये इस साल की पहली शनि अमावस्या है. इस दिन साल का पहला सूर्यग्रहण भी लगने जा रहा है

शनि अमावस्या पर किए जाने वाले उपाय

    शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल और उड़द की दाल अर्पित करें.”
    ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें.
    पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
    हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमान जी को चमेली का तेल अर्पित करें.
    गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और तेल का दान करें.

शनि अमावस्या पर सूर्य और शनि के मंत्रों का जाप करें

    ॐ शं शनैश्चराय नमः शनि मंत्र का जाप करें
    ॐ घृणिः सूर्याय नमः सूर्य मंत्र का जाप करें

शनि अमावस्या का महत्व

शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. यह दिन शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है, इसलिए शनि अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए भी पूजा की जाती है. शनिदेव कर्मों के न्यायाधीश माने जाते हैं, इसलिए इस दिन अच्छे कार्य करने से शुभ फल मिलता है. यदि किसी की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है, तो इस दिन पूजा करने से शांति मिलती है.

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