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 इंदौर
 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी इंदौर) ने सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए विशेष प्रकार के जूते विकसित किए हैं, जो पहनकर पैदल चलने पर ऊर्जा पैदा करेंगे। सैनिक इनसे इलेक्ट्रानिक डिवाइस चार्ज कर सकेंगे।

ये जूते ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनोजनरेटर (टीईएनजी) तकनीक पर आधारित हैं। इन्हें आईआईटी इंदौर के संकाय सदस्य प्रोफेसर आईए पलानी के मार्गदर्शन में विकसित किया गया। संस्थान ने ऐसे दस जोड़ी जूते रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को सौंपे हैं, ताकि इन्हें सैनिकों के काम में आने लायक बनाने की अगली प्रक्रिया शुरू की जा सके।

जूतों में लगा होगा जीपीएस

यह जूते बिजली पैदा करने के साथ ही जीपीएस के माध्यम से उस स्थान का भी पता लगा सकेंगे, जहां इन्हें पहनने वाला सैनिक खड़ा होगा। इन जूतों को बनाने के लिए आईआईटी इंदौर में महीनों से शोधकार्य चल रहा था।

सैनिकों को ध्यान में रख किए गए तैयार

विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों पर काम करते हुए अंतत: यह जूते ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनोजनरेटर (टीईएनजी) आधारित करते हुए तैयार किए गए। यह जूते उन सैनिकों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं, जो दूरदराज के इलाकों में तैनात रहते हैं। इससे वे सभी तरह के इलेक्ट्रानिक डिवाइस चार्ज कर सकेंगे।

खिलाड़ी, बुजुर्गों के भी आ सकेंगे काम

शोधकर्ता प्रोफेसर पलानी ने कहा कि इन जूतों में टीईएनजी प्रणाली बिजली उत्पादन करने के लिए उन्नत ट्राइबो-जोड़े, फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन और एल्यूमिनियम का उपयोग करती है। इसका उपयोग वरिष्ठ नागरिकों, स्कूली बच्चों और पर्वतारोहियों को ट्रैक करने के लिए किया जा सकेगा। इससे इनकी लोकेशन पता की जा सकेगी।

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