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सूरत
गुजरात के सूरत में एक फर्जी डॉक्टर गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसमें 13 लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें 10 फर्जी डॉक्टर भी शामिल हैं। यह गिरोह ‘बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी’ (BEMS) डिग्री बेचता था। सूरत पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया और बताया कि ये लोग महज 70 हजार रुपए में बिना किसी योग्यतानुसार 8वीं पास लोगों को भी डॉक्टर बना रहे थे।

कैसे काम करता था गिरोह
गिरोह के सदस्य फर्जी डिग्रियां देने के लिए एक फर्जी वेबसाइट चला रहे थे, जिस पर बीईएमएस डिग्री का रजिस्ट्रेशन किया जाता था। आरोपियों ने एक बोर्ड की स्थापना की थी, जिसके तहत पांच लोग इलेक्ट्रो-होम्योपैथी में ट्रेनिंग देने का काम करते थे। शुरुआत में यह गिरोह डिग्रियां देने के लिए एक फर्जी बोर्ड का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन बाद में उन्होंने गुजरात के आयुष मंत्रालय द्वारा जारी की गई डिग्रियां देना शुरू कर दिया। ये लोग दावा करते थे कि उनकी डिग्री राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है।

क्या करता था गिरोह
गिरोह के सदस्य 70,000 रुपए में डिग्री बेचते थे और साथ ही ट्रेनिंग भी देते थे। इसके अलावा, वे हर साल रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल फीस और प्रोटेक्शन मनी के नाम पर 1,500 से 5,000 रुपए और वसूलते थे। इन फर्जी डॉक्टरों ने अपने ग्राहकों को यह गारंटी दी थी कि वे बिना किसी समस्या के एलोपैथी, होम्योपैथी और आरोग्य में मेडिकल प्रैक्टिस कर सकते हैं।

पुलिस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया
इस मामले में पुलिस ने कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से तीन आरोपी बीईएमएस डिग्रियां बेच रहे थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सूरत के निवासी बीके रावत, रसेश गुजराती और इरफान सैयद के रूप में हुई है। यह घटना इस बात का उदाहरण है कि किस तरह कुछ लोग सूरत में मेडिकल डिग्री के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे थे और अवैध रूप से लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं से खिलवाड़ कर रहे थे।

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