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 इंदौर

इंदौर नगर निगम को भरोसा है कि आठवीं बार सफाई में फिर वह फिर नंबर वन बनेगा, लेकिन अब तक परिणाम नहीं आए है। इंदौर सहित देश के चार हजार नगर निगमों में डेढ़ माह पहले ही स्वच्छता सर्वेक्षण हो चुका है। वर्ष 2024 स्वच्छता सर्वेक्षण घोषित ही नहीं हुआआ,क्योकि सर्वेक्षण ही छह माह लेट हुआ था। इसका असर परिणामों की घोषणा पर भी नजर आ रहा है।

पिछले साल जनवरी में परिणाम घोषित हो चुके थे, लेकिन इस साल तो स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए ही टीम मार्च माह में आई। इंदौर नगर निगम सर्वेक्षण से पहले चार माह तक तैयारी करता रहा था। मार्च में सर्वेक्षण आठ दिन तक चला, लेकिन सर्वेक्षण के डेढ़ माह बीतने के बावजूद अभी तक परिणाम नहीं आए है। इस बार इंदौर के अलावा सूरत और नवी मुंबई भी नंबर वन रैंकिंग की दौड़ में है। पिछले साल इंदौर के साथ सूरत शहर को संयुक्त पुरस्कार मिला था।

इस बार इंदौर को प्रीमियर लीग में शामिल किया गया है। इसमें सूरत और नवी मुंबई भी है। तीनों शहरों में स्वच्छता के आंकलन का पैमाना अलग रहा। पिछले साल तीनो शहर टाॅप थ्री में थे,हालांकि इस बार सर्वेक्षण के समय भी इंदौर की स्वच्छता कमजोर रही।सर्वेक्षण के समय शहर की गंदी बेकलेन के कारण इंदौर को नंबर कम मिल सकते है। इस बार शहर के नाले प्रदूषण से मुक्त नहीं हो पाया।

कुछ नाले भले अस्थाई रुप से साफ कर दिये गए, लेकिन सालभर नालों में गाद, गंदगी और कचरा नजर आता है। इस मामले में इंदौर को नंबर कम मिल सकते है।इंदौर रैंकिंग में सबसे ज्यादा नंबर डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में पाएगा। यह व्यवस्था इंदौर में दूसरे सभी शहरों से अच्छी है। लोग खुद अलग-अलग कचरा फेंकते है।इंदौर की स्वच्छता में सबसे बड़ी ताकत लोगों की जनभागीदारी है। लोग कचरा घरों और संस्थानों में संभालकर रखते है। उन्हें खुले में नहीं फेंकते। सुबह आने वाले कचरा वाहनों में ही उसे डाला जाता है।

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