भोपाल विशेष लेख संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम है "सहकारिता एक बेहतर दुनिया का निर्माण करती है"। स्व से सब का भाव हो जाना ही सहकार है। भारतीय संस्कृति स्वयं से ऊपर उठकर हम की भावना रखना सिखाती है और इसी भावना से जन्म हुआ है सहकार का। सनातन संस्कृति में जब हम प्रार्थना करते हैं तो सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना करते हैं। सबके सुख और मंगल की यही कामना सहकारिता का मूल भाव हैI हम लाभ से ज्यादा सेवा को महत्त्व देते हैं। एक से ज्यादा समूह को महत्त्व देते हैं। प्रतिस्पर्धा से ज्यादा परस्पर सहयोग को महत्व देते हैं और यही सहकारिता है। भारत का सहकारिता आंदोलन सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में गहराई से निहित है। यह आंदोलन समावेशी विकास, सामुदायिक सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के लिए एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में विकसित हुआ है। सहकारिता मंत्रालय की स्थापना और इसकी नवीनतम पहलों के माध्यम से सरकार ने एक सहकारिता-संचालित मॉडल को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है, जो देश के हर कोने तक पहुंचेगा और समाज की मुख्य धारा से अलग पड़े समुदायों के लिए स्थायी आजीविका और वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान करेगा। सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस क्षेत्र को मजबूत और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक नीतिगत ढांचा, कानूनी सुधार और रणनीतिक पहल शुरू की। सरकार ने सहकारी समितियों के लिए ‘व्यापार करने में आसानी’, डिजिटलीकरण के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित करने और वंचित ग्रामीण समुदायों के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने की अपनी पहल पर काफी जोर दिया है। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत का सहकारिता आंदोलन एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। अपनी दूरदर्शी सोच को आधार बनाकर उन्होंने सहकारिता के लिए नई विचारधारा को जन्म दिया है। उनके नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने भारतीय सहकारी आंदोलन में उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का विस्तार, पैक्स के लिए बेहतर प्रशासन और व्यापक समावेशिता, पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने एवं पैक्स को नाबार्ड से जोड़ने का काम किया है । नई श्वेत क्रांति की ओर अग्रसर मध्यप्रदेश प्रदेश में सहकार से समृद्धि की पहल के तहत केन्द्रीय मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और स्टेट डेयरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन तथा फेडरेशन से संबद्ध दुग्ध संघों के बीच कोलेबोरेशन एग्रीमेंट हुआ। इस कोलेबोरेशन एग्रीमेंट के माध्यम से सहकारी डेयरी नेटवर्क को सशक्त बनाने का लक्ष्य है, जिससे दुग्ध उत्पादकों की आय में वृद्धि हो सके और सांची ब्रांड का उत्थान और विस्तार किया जा सके। यह नई श्वेत क्रांति की ओर प्रदेश का महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इसका लाभ दुग्ध उत्पादकों और दुग्ध उपभोक्ताओं दोनों को मिलेगा। दुग्ध उत्पादक राज्यों में मध्यप्रदेश टॉप-थ्री में है, हमारे यहां देश का करीब 9 प्रतिशत दुग्ध-उत्पादन होता है। प्रदेश में रोजाना करीब 551 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन होता है, जिसमें से मध्यप्रदेश स्टेट को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन और इससे जुड़े संघ करीब 10 लाख किलोग्राम दूध जमा करते हैं। डेयरी क्षेत्र में अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश देश का फ़ूड बास्केट तो है ही, हममें डेयरी कैपिटल बनने की क्षमता भी है। देश का डेयरी कैपिटल बनने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। प्रदेश में सहकारी डेयरी नेटवर्क को हाइटेक बनाने के लिए एक डेयरी डेवलपमेंट प्लान तैयार करने की योजना है, जिसमें लगभग 1450 करोड़ रुपए का निवेश होगा। प्रदेश में औसत दुग्ध संकलन को दोगुना किया जाएगा, दुग्ध संकलन को 10 लाख किलो से बढ़ाकर 20 लाख किलो प्रतिदिन करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या 6 हजार से बढ़ाकर 9 हजार की जाएगी। प्रदेश भर के 18 हजार गांवों के दुग्ध-उत्पादन से जुड़े किसान भाइयों को सहकारी डेयरी नेटवर्क से जोड़ेंगे। ग्राम स्तर पर दुग्ध शीतलीकरण की क्षमता विकसित करेंगे, औसत पैकेट दुग्ध विक्रय 7 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 15 लाख लीटर प्रतिदिन करेंगे। मिल्क प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के लिए नए हाइटेक संयंत्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे दुग्ध संकलन और दुग्ध विक्रय में वृद्धि हो सके। सभी दुग्ध संघों का व्यवसाय 1944 करोड़ से बढ़ाकर 3500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किया जाएगा। एनडीडीबी द्वारा एमपीसीडीएफ एवं दुग्धसंघों के प्रबंधन, संचालन, तकनीकी सहयोग, नवीन प्रसंस्कररण एवं अन्य अधोसंरचनाएं विकसित करेंगे। एनडीडीबी द्वारा दुग्ध सहकारी समितियों के सभी सदस्यों, सचिवों, प्रबंधन समिति के सदस्यों और दुग्ध संघों के कर्मचारियों को स्वच्छ और गुणवत्तायुक्त दुग्ध उत्पादन के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। सहकारिता से सरल हुई सशक्तिकरण की राह प्रदेश में डेयरी गतिविधियों के लिए त्रि-स्तरीय सहकारी संस्थाओं का गठन कर, ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियां, सहकारी दुग्ध संघ और राज्य स्तर पर एमपीसीडीएफ (मध्यप्रदेश स्टेट कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड) की स्थापना की गई। ये दुग्ध सहकारी समितियां किसानों से दूध संग्रह, गोवंश के कृत्रिम गर्भाधान, संतुलित पशु आहार, तकनीकी पशु प्रबंधन, उन्नत चारा बीज, पशु उपचार और टीकाकरण जैसी सुविधाएं देने की जिम्मेदारी निभा रही हैं। दुग्ध उत्पादक किसानों के साथ मध्यप्रदेश सरकार डेयरी क्षेत्र विकसित करने के संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रदेश में श्वेतक्रांति मिशन के अंतर्गत 2500 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य है। प्रदेश में निराश्रित गौवंश की समस्या के निराकरण के लिए स्वावलंबी गौशालाओं की स्थापना की नीति : 2025 की स्वीकृति दी है। गौ-शालाओं को पशु चारे और आहार के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि को भी 20 रुपये प्रति गौवंश प्रति दिवस से बढ़ाकर 40 रूपये प्रति गौवंश प्रति दिवस करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना के नाम से जानी जाएगी। डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना अंतर्गत 25 दुधारू गाय अथवा भैंस की इकाई स्थापित करने का प्रावधान किया गया। प्रदेश की गौ शालाओं को हाइटेक बनाया जा रहा है। ग्वालियर स्थित आदर्श गौ-शाला में देश के पहले 100 टन क्षमता वाले सीएनजी प्लांट की स्थापना की गई है। भोपाल के बरखेड़ी-डोब में 10 हजार गौ-वंश क्षमता वाली हाइटेक गौ-शाला बनाई जा रही है। प्रदेश के सवा 2 लाख किसानों एवं दुग्ध उत्पादकों को सहकारिता के माध्यम से जोड़ा गया है। सरकार द्वारा दुग्ध सहकारी … Read more