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Donald Trump का ये विधेयक अमेरिका के लिए मुसीबत, जाएंगी 8.30 लाख से ज्‍यादा नौकरियां

वाशिंगटन डोनाल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) ने अमेरिका में एक नया प्रस्‍ताव पेश किया है, जो 'One Big, Beautiful Bill Act' है. यह एक ऐसा बिल है, जिसकी चर्चा सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी हो रही है. यह बिल अमेरिका के 2017 के टैक्‍स कट को स्‍थायी बनाने का प्रयास है. यह एक व्‍यापक विधेयक है, जिसमें सीमा सुरक्षा, खर्च और टैक्‍स शामिल किए गए हैं. यह बिल कई चीजों को लेकर राहत भी देता है, लेकिन कुछ चीजों पर विवाद भी पैदा कर रहा है. सबसे ज्‍यादा विवाद का विषय अमेरिका में रह रहे दूसरे देश के लोगों द्वारा घर पैसा भेजने पर 5 प्रतिशत का टैक्‍स लगाने पर है. इसके अलावा, रिन्‍यूवेबल एनर्जी जैसी चीजों के लिए सब्सिडी खत्‍म करना. वहीं इस बिल को लेकर कुछ रिपोर्ट का दावा है कि इससे अमेरिका पर भारी कर्ज बढ़ेगा, करीब 36 ट्र‍िलियन डॉलर तक कर्ज में इजाफा हो सकता है. इकोनॉमी पर भी गहरा असर होगा और 8.30 लाख से ज्‍यादा नौकरियां चली जाएंगी. वहीं अमेरिका में रहने वाले लोगों के घरों का बिल भी बढ़ जाएगा. बाइडेन के फैसले को बदलता है ये बिल ट्रंप का यह विधेयक बाइडेन युग के उस आदेश को समाप्त कर देगा, जिसके अनुसार 2032 तक नई कार की बिक्री में दो-तिहाई इलेक्ट्रिक वाहन होंगे. विधेयक में तेल, गैस और कोयला निकालने के लिए कंपनियों द्वारा भुगतान की जाने वाली रॉयल्टी रेट्स में कटौती का प्रस्ताव है. बाइडेन ने रिन्‍यूवेबल एनर्जी जैसी चीजों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी लेकर आए थे, लेकिन अब इस विधेयक से सबकुछ समाप्‍त होने वाला है. खासकर रिन्‍यूवेबल एनर्जी सेक्‍टर्स पर इसका गहरा असर होगा.  830,000 से ज्‍यादा नौकरियां खतरे में द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि क्‍लीन एनर्जी प्रोत्साहन को खत्म करने के लिए रिपब्लिकन द्वारा किया गया प्रयास अमेरिका को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा, क्योंकि इससे 830,000 से अधिक नौकरियां खत्म हो जाएंगी, अमेरिकी घरों के लिए ऊर्जा बिल बढ़ जाएंगे और लाखों टन अधिक प्रदूषण फैलने का खतरा होगा, जो जलवायु संकट का कारण बन रहा है. रिन्‍यूवेबल एनर्जी के लिए सब्सिडी हो जाएगी खत्‍म ट्रंप का यह विधेयक बाइडेन द्वारा हस्ताक्षरित जलवायु कानून के प्रमुख तत्वों को खत्म करता है, जिसने पूरे अमेरिका में रिन्‍यूवेबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों में निवेश को बढ़ावा दिया था. 'बिग, ब्यूटीफुल' बिल इस साल इलेक्ट्रि कारों के लिए टैक्‍स क्रेडिट समाप्त कर सकता है. विंड, सोलर एनर्जी और यहां तक ​​कि परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन धीरे-धीरे कम हो जाएंगे और 2032 तक पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे. अमेरिका के लिए नुकसानदायक बिल द गार्जियन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह रिपोर्ट आपके सोच से भी बदतर है. इससे डेली के खर्च सैकड़ों डॉलर तक बढ़ सकता है और जलवायु परिवर्तन पर किसी भी तरह की कार्रवाई को कम करता है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आप नहीं बता सकते हैं कि US की स्थिति कमजोर करने में यह कितना खास होगा. महंगाई, टैरिफ और बिजली के बढ़ते उपयोग के साथ यह प्रस्‍ताव आना नहीं चाहिए था. यह अमेरिका के लिए नुकसानदायक बिल है. अमेरिकी इकोनॉमी के लिए भी खतरा इकोनॉमिक्‍स टाइम्‍स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बदलावों से 10 सालों मे अमेरिका की GDP में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्‍यादा की कमी आएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रस्तावित बिल से ऊर्जा बिलों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. 2035 तक, औसत परिवार को ऊर्जा बिलों में 230 डॉलर से अधिक की वृद्धि का सामना करना पड़ने का अनुमान है.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8

मीटिंग के दौरान ट्रंप ने अचानक ही रामफोसा को नस्लवाद के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया फिर वह हुआ …….

वाशिंगटन व्हाइट हाउस में एक बार फिर इतिहास दोहराया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से भिड़ गए. दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच ठीक वैसी ही तीखी बहस हुई, जैसे कुछ महीने पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और ट्रंप के बीच देखने को मिली थी. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामफोसा 19 मई को वॉशिंगटन पहुंचे थे. उनकी इस यात्रा का मकसद अफ्रीका और अमेरिका के संबंधों में नई जान फूंकना है. लेकिन व्हाइट हाउस में इस मीटिंग के दौरान ट्रंप ने अचानक ही रामफोसा को नस्लवाद के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया. ट्रंप ने सिरिल रामफोसा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों का नरसंहार हो रहा है और आप तमाशबीन बने हुए हैं. इस आरोप को जैसे ही रामफोसा ने खारिज करना शुरू किया. ट्रंप ने बिग स्क्रीन पर एक वीडियो दिखाया. इस  वीडियो में दावा किया गया कि दक्षिण अफ्रीका में हजारों श्वेत किसानों की हत्या की गई है. इस दौरान ट्रंप ने मीडिया में छपे कुछ लेख की कॉपी भी सिरिल रामफोसा को दिखाई, जिसमें अफ्रीका में श्वेत किसानों के नरसंहार का दावा किया गया है. रामफोसा को ये कॉपी दिखाते हुए ट्रंप ने जोर देकर कहा Death, Death… इससे माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया. रामफोसा ने ट्रंप को नेल्सन मंडेला की याद दिलाई… ट्रंप के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सिरिल रामफोसा ने कहा कि अफ्रीका में हिंसा बढ़ी है और सभी जातियां और वर्ग इससे जूझ रहे हैं. इन हिंसा में मारे गए लोग सिर्फ श्वेत नहीं है बल्कि अश्वेत भी मारे जा रहे हैं. श्वेतों से ज्यादा अश्वेत लोगों की हत्याएं हुई हैं. रामफोसा ने कहा कि मैंने पहले कभी यह वीडियो नहीं देखा है. हम इसकी प्रमाणिकता का पता लगाएंगे कि वीडियो कहां का है. हमारे देश में अपराध है और इससे सभी प्रभावित हैं फिर चाहे वह श्वेत हो या अश्वेत. मेरी अमेरिकी यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर करना था, जो 1994 में रंगभेद युग के बाद से निचले स्तर पर हैं. इस दौरान रामफोसा ने ट्रंप को कतर की सरकार से गिफ्ट में मिले रॉयल प्लेन पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद दूर करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, मुझे दुख है कि मेरे पास आपको देने के लिए विमान नहीं है, जिस पर ट्रंप ने कहा कि काश आपके पास होता. बता दें कि ट्रंप के कतर दौरे के दौरान अमेरिका को कतर सरकार की ओर से 3400 करोड़ रुपये का लग्जरी प्लेन गिफ्ट किया गया था. बता दें कि फरवरी महीने में ही ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सहायता रोकने की घोषणा की थी, जिसका कारण उन्होंने वहां श्वेत लोगों के खिलाफ कथित उत्पीड़न और भूमि अधिग्रहण की नीतियों को बताया था. रामाफोसा ने इसका जवाब देते हुए ट्रंप से दक्षिण अफ्रीका के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने को कहा था. बता दें कि इस साल 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यह दूसरा मौका है, जब उनकी व्हाइट हाउस में किसी देश के राष्ट्रपति के साथ बहस हुई. इससे पहले 28 फरवरी को ट्रंप की यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ यूक्रेन जंग पर व्हाइट हाउस में तीखी बहस हुई थी.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8

राष्ट्रपति ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स छूट का दर्जा समाप्त कर दिया

  वॉशिंगटन     अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स छूट (Tax Exempt) का दर्जा समाप्त कर दिया है. ट्रंप ने शुक्रवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी घोषणा की. उनका यह कदम हार्वर्ड जैसी प्रतिष्ठित संस्था पर सरकार की कड़ी निगरानी और नीतिगत बदलावों की ओर इशारा कर सकता है. डोनाल्ड ट्रंप ने 2 मई 2025 को ऐलान किया कि उनका प्रशासन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स-छूट (Tax-Exempt) का दर्जा समाप्त करने जा रहा है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट करते हुए कहा, 'हम हार्वर्ड का टैक्स-छूट दर्जा समाप्त करने जा रहे हैं. वो इसी लायक हैं.' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया है कि उनका प्रशासन हार्वर्ड विश्वविद्यालय को अनुदान रोक सकता है, जिसने उनके निर्देशों का पालन नहीं किया है।"और ऐसा लगता है कि हम उन्हें अब और अनुदान नहीं देने जा रहे हैं, है न लिंडा?" समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ट्रम्प की टिप्पणी का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने अमेरिकी शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन का हवाला दिया था। उन्होंने कहा, "अनुदान देना हमारे विवेक पर निर्भर है और वे वास्तव में अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं। इसलिए यह बहुत बुरा है।" विश्वविद्यालय ने पहले ट्रम्प प्रशासन की मांगों की एक सूची को अस्वीकार कर दिया था जिसका उद्देश्य विविधता पहलों पर अंकुश लगाना और यहूदी-विरोधी भावना से लड़ना था। ट्रम्प ने हार्वर्ड को उदारवादी गड़बड़ बताया इससे पहले, डोनाल्ड ट्रम्प ने हार्वर्ड को "यहूदी विरोधी, अति वामपंथी संस्थान" कहा था, क्योंकि विश्वविद्यालय ने उनके प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर लिखा, "यह जगह एक उदारवादी गड़बड़ है", उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने "पूरी दुनिया से ऐसे छात्रों को प्रवेश दिया है जो हमारे देश को तोड़ना चाहते हैं।" ट्रम्प प्रशासन का हार्वर्ड पर दावा ट्रम्प प्रशासन ने बार-बार हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर अमेरिका के सहयोगी देश इजरायल के खिलाफ परिसर में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों को लेकर निशाना साधा है। विश्वविद्यालय ने इससे पहले ट्रम्प प्रशासन की मांगों की सूची को अस्वीकार कर दिया था, जिसका उद्देश्य विविधता संबंधी पहलों पर अंकुश लगाना और यहूदी-विरोधी भावना से लड़ना था, तथा इसे मुक्त भाषण और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला बताया था। हार्वर्ड के खिलाफ कार्रवाई ट्रम्प प्रशासन ने विश्वविद्यालय के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। हार्वर्ड के लिए संघीय निधि में लगभग 9 बिलियन डॉलर की औपचारिक समीक्षा शुरू की गई, विविधता, समानता और समावेशन प्रथाओं पर विश्वविद्यालय प्रतिबंध की मांग की गई, और कुछ फिलिस्तीनी समर्थक समूहों पर कार्रवाई की गई। इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने विश्वविद्यालय के विदेशी संबंधों के बारे में और अधिक जानकारी मांगी, इसकी कर-मुक्त स्थिति और विदेशी छात्रों को दाखिला देने की इसकी क्षमता को हटाने का प्रस्ताव रखा। अमेरिकी प्रशासन ने यूनिवर्सिटी के लिए संघीय निधि में 2.3 बिलियन डॉलर की राशि रोक दी। इसके बाद हार्वर्ड ने ट्रम्प प्रशासन पर मुकदमा दायर किया। हार्वर्ड के अतिरिक्त, डोनाल्ड ट्रम्प ने फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन, DEI, जलवायु पहल और ट्रांसजेंडर अधिकारों जैसे मुद्दों पर अन्य शैक्षणिक संस्थानों को संघीय वित्त पोषण में कटौती की धमकी दी। हार्वर्ड $1 बिलियन के निजी इक्विटी फंड को बेचने के लिए बातचीत कर रहा है मामले से परिचित एक व्यक्ति के हवाले से रॉयटर्स ने खबर दी है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय की संस्था एक अरब डॉलर मूल्य के निजी इक्विटी फंड को बेचने के लिए बातचीत कर रही है , क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संस्था को संघीय धन देने पर रोक लगा दी है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल शुरू हुई बिक्री प्रक्रिया का राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा वित्त पोषण में कटौती से कोई संबंध नहीं है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

Trump ने कर दिया अमेरिकी शिक्षा विभाग को बंद करने वाले आदेश पर हस्ताक्षर, क्या है मामला

वाशिंगटन  अमेरिका में एजुकेशन डिपार्टमेंट यानी शिक्षा विभाग पर ताला लग गया है. डोनाल्ड ट्रंप ने उस आदेश पर अपनी कलम भी चला दी है. जी हां, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिक्षा विभाग को ‘खत्म’ करने के उद्देश्य से एक आदेश पर हस्ताक्षर किए. यह अमेरिकी दक्षिणपंथियों का दशकों पुराना लक्ष्य रहा है. वो चाहते हैं कि अलग-अलग राज्य संघीय सरकार से मुक्त होकर खुद स्कूलों का संचालन करें. व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में डेस्क पर बैठे स्कूली बच्चों से घिरे डोनाल्ड ट्रंप एक खास समारोह में हस्ताक्षर करने के बाद आदेश दिखाते हुए मुस्कुरा रहे थे. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह आदेश संघीय शिक्षा विभाग को हमेशा के लिए खत्म करने की शुरुआत करेगा. हम इसे बंद करने जा रहे हैं और जितनी जल्दी हो सके इसे बंद कर देंगे. यह हमारे लिए कुछ नहीं कर रहा है. हम शिक्षा को वापस राज्यों को सौंपने जा रहे हैं, जहां यह होना चाहिए.’ हालांकि, यह भी सच है कि 1979 में बनाए गए अमेरिकी शिक्षा विभाग को कांग्रेस की मंजूरी के बिना बंद नहीं किया जा सकता है. लेकिन ट्रंप के आदेश में इसे फंड और स्टाफ से वंचित करने की शक्ति होने की संभावना है. यह कदम डोनाल्ज ट्रंप के एक चुनावी वादे को पूरा करता है. यह सरकार के क्रूर बदलाव के अब तक के सबसे कठोर कदमों में से एक है जिसे ट्रंप टेक टाइकून एलन मस्क की मदद से अंजाम दे रहे हैं. आदेश में शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन को ‘शिक्षा विभाग को बंद करने और शिक्षा प्राधिकरण को राज्यों को वापस करने की सुविधा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने’ का निर्देश दिया गया है. शिक्षा विभाग को आखरि ट्रंप ने क्यों किया 'बंद'? ट्रंप ने राष्ट्रपति की कुर्सी पर वापसी के लिए अपने चुनावी कैंपेन में एक वादा किया था- वादा था कि शिक्षा का विकेंद्रीकरण करने का. यानी केंद्र सरकार के हाथ में शिक्षा की बागड़ोर नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि वह विभाग की शक्तियों को राज्य सरकारों को सौंप देंगे, जैसा कि कई रिपब्लिकन दशकों से चाहते थे. बता दें कि परंपरागत रूप से, अमेरिका में शिक्षा में फेडरल सरकार (केंद्रीय सरकार) की सीमित भूमिका रही है. प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के लिए केवल 13 प्रतिशत फंड केंद्र के खजाने से आता है. बाकी राज्यों और स्थानीय समुदायों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है. लेकिन कम आय वाले स्कूलों और विशेष जरूरतों वाले छात्रों के लिए केंद्र से आने वाला फंड अमूल्य है, उनके चलने का जरीया है. अब तक फेडरल सरकार छात्रों के लिए प्रमुख नागरिक अधिकार सुरक्षा लागू करने में आवश्यक रही है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 7

अब चीन का एक्शन, अमेरिकी आयात पर इतने प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने एक्शन से टैरिफ वॉर शुरू करते दिख रहे हैं और इसने वर्ल्ड इकनॉमी में खलबली मचा दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक देशों से आयात पर टैरिफ (टैक्स) लगा रहे हैं और अब दूसरे देश जवाबी कदम उठा रहे हैं. मंगलवार, 4 मार्च को पहले कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ ट्रंप के नए टैरिफ की घोषणा की और इसके लागू होते ही चीन और कनाडा ने जवाबी कार्रवाई का ऐलान कर दिया है. यहां हम आपको बताएंगे कि अमेरिका ने किन देशों पर कितना टैरिफ लगाया है और उन देशों ने जवाब में क्या कदम उठाए हैं. फिर आपको आसान शब्दों में बताएंगे कि टैरिफ होता क्या है और ट्रंप इसका इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं. अमेरिका ने किसपर कितना टैरिफ लगाया? राष्ट्रपति ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको के खिलाफ 25% टैरिफ और चीन के खिलाफ 20% टैरिफ की घोषणा की है. चीन पर पिछले महीने जो 10% टैरिफ लगाया गया था, उसे अब दोगुना कर दिया गया है. चीन की जवाबी कार्रवाई बीजिंग के वित्त मंत्रालय ने चिकन, गेहूं, मक्का और कपास सहित कई अमेरिकी कृषि आयातों पर 15% टैरिफ की घोषणा की है. साथ ही सोयाबीन, पोर्क, बीफ, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पादों जैसे अन्य उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया है. ये टैक्स 10 मार्च से लागू होंगे. साथ ही चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 10 अमेरिकी कंपनियों को तथाकथित "अविश्वसनीय इकाई सूची" (unreliable entity list) में और 15 अमेरिकी संस्थाओं को निर्यात नियंत्रण सूची में जोड़ा है, जो आज से प्रभावी हो जाएगा. जिन अमेरिकी संस्थाओं को चीन ने निशाना बनाया है, उनमें अमेरिकी बायोटेक फर्म इल्लुमिनिया (Illuminia) शामिल है. चीन ने इल्लुमिनिया पर आरोप लगाया है कि वह "चीनी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कदम" उठाती है. 4 मार्च से इल्लुमिनिया को चीन में जीन अनुक्रमण यानी सिक्वेंसिंग की मशीनों के निर्यात पर बैन लगा दिया है. चीन की निर्यात नियंत्रण लिस्ट में जोड़ी गई 15 संस्थाओं में एविएशन, समुद्री इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं. कनाडा ने भी टैरिफ लादा कनाडा ने घोषणा की है कि वह 4 मार्च से 107 बिलियन डॉलर (155 बिलियन कनाडाई डॉलर) के अमेरिकी सामानों पर 25% का जवाबी टैरिफ लगाएगा. रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के टैरिफ को टालने के प्रयास में कहा कि अगर ट्रंप प्रशासन अपनी योजना पर अमल करता है तो कनाडा मंगलवार से अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा. मैक्सिको ने भी कर ली तैयारी बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जहां एक तरफ कनाडा और चीन पहले ही जवाबी टैरिफ लगाने की कसम खा चुके हैं, वहीं मेक्सिको भी 24 घंटे के अंदर जवाबी टैरिफ लगा सकता है. मैक्सिको से होने वाले आयात पर अमेरिका के 25% टैरिफ लागू होने से पहले, मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने कहा कि उनके देश ने आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं. उन्होंने कहा, “इस स्थिति में, हमें संयम, शांति और धैर्य की आवश्यकता है. हमारे पास प्लान ए, प्लान बी, प्लान सी और यहां तक ​​कि प्लान डी भी है." शीनबाम ने कहा कि वह कनाडाई समयानुसार मंगलवार को मेक्सिको के जवाब के बारे में और बात करेंगी. टैरिफ क्या होता है? टैरिफ दूसरे देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला टैक्स है. जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं वे सरकार को टैक्स देती हैं. सरकार इस टैक्स को बढ़ाकर उस सामान की कीमत बढ़ा सकती है और टैक्स कम करके उसकी कीमत कम कर सकती है. यानी कुल मिलाकर सरकार टैरिफ के जरिए इस चीज को कंट्रोल करती है कि उसे देश में कौन सा विदेशी सामान चाहिए और कितना चाहिए. आमतौर पर, टैरिफ किसी प्रोडक्ट के कीमत का एक खास प्रतिशत होता है. आपको उदाहरण से बताते हैं. जैसे ट्रंप ने चीन पर 20% टैरिफ लगाया है. अब इसका मतलब हुआ कि चीन से अगर 10 डॉलर का कोई सामान अमेरिका के अंदर आता है तो उसपर 2 डॉलर का अतिरिक्त टैक्स लगेगा. अब यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो टैरिफ की कुछ या पूरी लागत अपनी ग्राहकों पर डालती है या नहीं. अब अमेरिका में चीन, कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान की कीमत अचानक से बढ़ सकती है. ट्रंप टैरिफ क्यों लगा रहे हैं? इसका आसान सा जवाब ट्रंप के चुनावी स्लोगन 'अमेरिका फर्स्ट' में छिपा है. ट्रंप संरक्षणवादी है यानी अमेरिका के अपने बिजनेस को तरजीह देते हैं. ऐसे में जो टैरिफ वाला हथकंडा है वो ट्रंप की आर्थिक योजनाओं का एक केंद्रीय हिस्सा है. उनका कहना है कि टैरिफ से अमेरिकी के अंदर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और नौकरियों की रक्षा होगी, साथ ही सरकार को मिलने वाला टैक्स बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी. ड्रग्स सप्लाई पर ऐक्शन ट्रंप ने फरवरी में तीनों देशों पर टैरिफ जड़ने का ऐलान किया था। ट्रंप के मुतबिक कनाडा और मेक्सिको की सीमा से अवैध नशीले पदार्थों का कारोबार चल रहा है जिसकी रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। बाद में कनाडा और मेक्सिको की ओर से सीमा सुरक्षा को लेकर वादे करने पर उनके ऊपर 25% टैरिफ के फैसले को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया था। उनसे सोमवार को इस बारे में सवाल किया गया कि क्या अभी दोनों देशों से इसे लेकर कोई डील की जा सकती है तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया और दोहराया कि टैरिफ मंगलवार से लागू हो रहे हैं। ट्रंप ने 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ जड़ने का ऐलान भी किया है। फरवरी अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर ट्रंप ने कहा था कि मेक्सिको और कनाडा से अभी भी बड़े और अस्वीकार्य स्तर पर ड्रग्स आ रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इन ड्रग्स के कारण हुई है। उन्होंने दावा किया था कि इनमें से ज्यादातर, जो फेंटनिल प्रकार के हैं, वे चीन से सप्लाई हो रहे हैं। अपने हालिया फैसले में ट्रंप ने चीन के ऊपर लगने वाली 10% ड्यूटी के ऊपर अतिरिक्त 10% ड्यूटी जड़ दी है। राष्ट्रपति का आरोप है कि चीन ने अवैध ड्रग्स के कारोबार को रोकने के … Read more

डोनाल्ड ट्रंप का गाजा का पुनःनिर्माण में निकल जाएंगा पसीना! सिर्फ मलबा साफ करने में 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च

गाजा  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पर कब्जा करने और उसे जन्नत बनाने की बात कही है। ट्रंप के बयान ने दुनिया को चौंका दिया है। अरब देशों के साथ साथ अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी उनके प्लान की निंदा की है। डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा को 'मध्य पूर्व का रिवेरा' बनाने और 'गाजा को फिर से महाने बनाने' का अपना प्लान पेश किया है। जिसके तहत गाजा में रहने वाले करीब 23 लाख लोगों को उन्होंने मिस्र, जॉर्डन और अरब देशों में भेजने की पेशकश की है। हालांकि, उनके प्लान को अरब देशों ने फौरन ही खारिज कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप के प्लान पर विवाद जरूर हो रहे हैं, लेकिन एक सवाल भी उठ रहे हैं कि इजरायली बमबारी में ध्वस्त हो चुके गाजा का फिर से निर्माण कैसे होगा? डोनाल्ड ट्रंप के प्लान पर शक करने वाले लोगों का कहना है, कि असल में ये गाजा में रहने वाले लोगों के सफाए के लिए बनाया गया ये एक फॉर्मूला है। लोगों का कहना है कि ट्रंप का प्लान असल में गाजा पर कब्जा करना है। लेकिन सवाल ये है, कि गाजा को जन्नत बनाने में कितने साल लगेंगे? और गाजा स्वर्ग की तरह दिखे, ऐसा होने में जो खर्च आएगा, उसे कौन वहन करेगा? एक्सपर्ट्स का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा के लिए जो प्लान किया है, उसे पूरा करने में कई सालों का वक्त लगेगा और अरबों डॉलर का खर्च आएगा। गाजा को फिर से बनाने में कितने साल लगेंगे? गाजा में जिस तरह की बर्बादी फैली है, उसे देखते हुए एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि पुननिर्माण में कम से कम 20 सालों से ज्यादा का वक्त लगेगा। गाजा को साफ करने में अमेरिका को लाखों टन मलबा पट्टी से बाहर निकालना होगा। मलबे को निकालने में ही कई सालों का वक्त लग जाएगा। सवाल ये भी हैं, कि आखिर इतना मलबा कहां रखा जाएगा? ब्रिटिश सेना के कर्नल रिचर्ड केम्प ने द सन की रिपोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप के प्लान का समर्थन किया है। उन्होंने इसे एक तार्किक योजना बताया है। उन्होंने कहा, कि "गाजा के पुनर्निर्माण में कम से कम एक दशक का समय लगेगा।" केम्प ने द सन की रिपोर्ट में कहा है, कि "गाजा को एक ऐसी जगह में बदलने के लिए, जहां लोग फिर से रह सकें, इसमें शायद कम से कम एक दशक लगने वाला है।" उन्होंने कहा, कि "इसमें शायद अरबों डॉलर खर्च होंगे, लेकिन मध्य पूर्व में कई अरब देश हैं, और वो इस प्रोजेक्ट में मदद दे सकते हैं।" हालांकि, बुधवार को व्हाइट हाउस ने कहा है, कि ट्रंप ने फिलिस्तीनी एन्क्लेव के अपने प्रस्ताव के तहत गाजा पट्टी में अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने संवाददाताओं से कहा, कि ट्रंप का मानना है कि "क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए" गाजा के पुनर्निर्माण में संयुक्त राज्य अमेरिका को शामिल होना चाहिए। गाजा पट्टी में कितनी बर्बादी फैली है? यूनाइटेड नेशंस ने अनुमान लगाा है, कि गाजा में करीब 50 मिलियन टन मलबा फैला है, जिसे साफ करने में 21 सालों का वक्त लग सकता है। अनुमान में कहा गया है, कि गाजा पट्टी से सिर्फ मलबा साफ करने में 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च हो सकते हैं। केम्प ने कहा कि, "मेरा मानना है, कि गाजा में लोगों को ट्रंप के प्लान के मुताबिक अलग रखा जाए, सुरंगों को साफ किया जाए, हथियारों को हटाया जाए और फिर एक नये गाजा का निर्माण किया जाए। हवाई अड्डे का निर्माण हो, बंदरगाह का निर्माण हो और ये सभी के लिए बेहतर होगा।" लेकिन असल सवाल ये है, कि क्या गाजा से लोगों को निकालना संभव है? डोनाल्ड ट्रंप ने सुझाव दिया है, कि गाजा के लोगों को निकालकर अस्थाई तौर पर मिस्र और जॉर्डर में बसाया जाए, जिसे दोनों देशों ने खारिज कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, कि "गाजा के लोगों ने मौत और विनाश के अलावा कुछ नहीं देखा है और अगर नये गाजा का निर्माण होगा, तो कौन होगा जो वापस नहीं जाना चाहेगा।" अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, गाजा "मध्य पूर्व का रिवेरा" होगा। लेकिन, सवाल ये है कि क्या ऐसा संभव है? Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 16

अमेरिका गाजा पट्टी में आर्थिक विकास करेगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार और आवास उपलब्ध हो सकेगा: डोनाल्ड ट्रंप

वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रत्याशित ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना स्वामित्व कायम करेगा और उसे अपने अधीन करेगा। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका गाजा पट्टी में आर्थिक विकास करेगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार और आवास उपलब्ध हो सकेगा। ‘व्हाइट हाउस’ में ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं। हालांकि, ट्रंप ने कहा कि वहां मौजूद सभी खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को निष्क्रिय करने, जगह को समतल करने और तबाह हो चुकी इमारत को हटाने की जिम्मेदारी हमारी होगी। हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी कि वहां किसे रहने की अनुमति दी जाएगी। इस बीच अमेरिकी सांसद और ट्रंप की पार्टी की सदस्य नैन्सी मेस ने आह्वान किया, "आइए, गाजा को मार-ए-लागो में तब्दील करें।" रिपब्लिकन सांसद मेस ने यह टिप्पणी और आह्वान तब किया, जब सोशल मीडिया पर ट्रंप के बयान की तीखी आलोचना हो रही है। हालांकि, कई लोग गाजा को अमेरिका के अधीन करने के ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन भी कर रहे हैं। मेस अकेली नहीं हैं, जो ट्रंप के इस अभियान की समर्थक बनकर उभरी हैं। क्या है मार-ए-लागो मार-ए-लागो, संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में पाम बीच के बैरियर द्वीप पर 17 एकड़ में बना एक रिसॉर्ट है। यह एक राष्ट्रीय ऐतिहासिक स्थल भी है, जिसमें 126 कमरे हैं। यह 62,500 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला है। 1985 से डोनाल्ड ट्रम्प के स्वामित्व में है। 2019 से यह संपत्ति उनका प्राथमिक निवास स्थान है। 1924 और 1927 के बीच फ्लोरिडा भूमि बूम के दौरान मार-ए-लागो का निर्माण व्यवसायी और सोशलाइट मार्जोरी मेरिवेदर पोस्ट के लिए किया गया था। 1973 में अपनी मौत से पहले पोस्ट ने राष्ट्रीय उद्यान सेवा को ये रिसॉर्ट दे दिया था। बाद में 23 दिसंबर 1980 को अमेरिकी संसद के अधिनियम 96-586 द्वारा पोस्ट फाउंडेशन को इसे वापस कर दिया गया था। 1985 में रियल इस्टेट कारोबारी डोनाल्ड ट्रंप ने इसका अधिग्रहण कर लिया था। इसे विंटर व्‍हाइट हाउस भी कहा जाता है। ट्रंप ने मार-ए-लागो को 10 मिलियन डॉलर में खरीदा था और अब इसकी कीमत 342 मिलियन डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में करीब 3 हजार करोड़ रुपए है। इसमें 128 कमरे, 58 बेडरूम और 33 बाथरूम हैं। बाथरूम तक में सोने की परत चढ़ी है। साथ ही यहां थिएटर, प्राइवेट क्लब और स्पा भी हैं। इसे ब्रह्मांड का केंद्र भी कहा जाता है। गाजा पट्टी का भूगोल कैसा है मेसी की तरह अन्य कई रिपब्लिकन चाहते हैं कि भूमध्यसागर के पूर्वी किनारे पर 41 किलोमीटर लंबे और 6 से 12 किलोमीटर चौड़ी गाजा पट्टी, जिसका कुल क्षेत्रफल 360 वर्ग किलोमीटर है, का अमेरिकी सरकार मार-ए-लागो की तर्ज पर विकास और पुनर्निर्माण करे। फिलहाल इजरायली हमले में गाजा पट्टी तबाह हो चुकी है और वहां की इमारतें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं। इजरायल और हमास के बीच 15 महीने से चल रहे संघर्ष में गाजा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसमें 47,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। दूसरी तरफ, सऊदी अरब, जॉर्डन और मिस्र जैसे अन्य इस्लामिक देशों ने पहले ही ट्रम्प के गाजा पर कब्जा करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भी फिलिस्तीनी राजदूत ने कहा कि यह हमारी मातृभूमि है और किसी को नहीं दे सकते। इस बीच, इजरायल सरकार और हमास के बीच युद्ध विराम समझौते के बावजूद मध्य पूर्व में तनाव उच्चतम स्तर पर बना हुआ है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 13