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2019 में स्वीकृत 5.1 किमी फ्लाईओवर पर अब तक काम कब शुरू होगा, HC ने पीडब्ल्यूडी विभाग से जवाब तलब किया

जबलपुर मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की सबसे बड़ी ट्रैफिक समस्याओं में से एक अंबेडकर चौक से अब्दुल हमीद चौक तक के मार्ग पर फ्लाईओवर निर्माण की योजना, जो वर्ष 2019 में स्वीकृत हुई थी, अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने कड़ा रुख अपनाया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी, शहरी विकास विभाग के सचिव और जबलपुर कलेक्टर समेत संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। 2019 में मिली थी मंजूरी, 2024 तक सिर्फ बढ़ती गई लागत फ्लाईओवर की शुरुआती योजना 3.2 किलोमीटर लंबी थी, जिसकी लागत 186 करोड़ रुपए तय की गई थी। हालांकि, 2024 में इसकी लंबाई बढ़ाकर 5.1 किलोमीटर कर दी गई और बजट भी तीन गुना तक बढ़ाया गया, लेकिन धरातल पर अब तक कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। हाईकोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जताते हुए पूछा है कि जब स्वीकृति और बजट दोनों पहले ही तय हो चुके हैं, तो आखिर निर्माण कार्य शुरू क्यों नहीं हुआ? सबसे व्यस्ततम इलाकों में से एक इलाके में स्वीकृत है फ्लावर आपको बता दे की अंबेडकर चौक से लेकर अब्दुल हमीद चौक तक स्वीकृत यह फ्लाईओवर शहर के सबसे व्यस्ततम इलाकों में से एक है। अंबेडकर चौक से लेकर घमापुर चौक तक हर वक्त जाम की स्थिति लगी रहती है। उसके बावजूद यहां फ्लाईओवर ना बनना अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है। जबकि यहां पर स्थानीय प्रतिनिधि से लेकर आम लोगों ने कई बार फ्लाईओवर की मांग की है। घंटों जाम में फंसते हैं लोग अंबेडकर चौक से घमापुर और अब्दुल हमीद चौक तक का इलाका जबलपुर का सबसे व्यस्त मार्ग माना जाता है, जहां दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है। ट्रैफिक की परेशानी से जूझ रहे स्थानीय लोगों ने कई बार फ्लाईओवर की मांग उठाई है। इसके बावजूद शासन और प्रशासन की उदासीनता से यह परियोजना केवल कागज़ों में ही सिमटी रह गई है। हाईकोर्ट की सख्ती से जागेगा सिस्टम? हाईकोर्ट (MP High Court) द्वारा अधिकारियों को नोटिस जारी किए जाने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अब इस फ्लाईओवर प्रोजेक्ट पर कुछ ठोस कार्रवाई देखने को मिलेगी। यह मामला ना केवल एक शहरी विकास परियोजना से जुड़ा है, बल्कि यह जनता की रोजमर्रा की परेशानियों और शासन की जवाबदेही से भी सीधा संबंध रखता है। सात साल पुरानी मंजूरी के बावजूद अगर एक जरूरी फ्लाईओवर का काम शुरू नहीं हो पाया है, तो ऐसी व्यवस्था पर सवाल खड़े होना लाजिम है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

132 साल पुरानी प्रॉपर्टी पर कब्जा मामले में रक्षा मंत्रालय को फटकार, हाईकोर्ट ने कही ये बात

इंदौर  महू की 1.8 एकड़ जमीन पर रक्षा मंत्रालय के द्वारा कब्जा लगाने को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संबंधित विभाग को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा- मंत्रालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश का गलत इस्तेमाल किया. मंत्रालय ने याचिकाकर्ता को अपील का मौका दिए बिना जमीन पर कब्जा कर लिया जो गलत है. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने आदेश दिया कि जमीन की यथास्थिति बनाई जाए और कब्जा तुरंत याचिकाकर्ताओं को लौटाया जाए. सुनवाई पूरी होने के बाद इंदौर हाई कोर्ट आने वाले दिनों में इस पूरे मामले में आगामी आदेश जारी कर सकता है. याचिकाकर्ता के पूर्वजों ने 1892 में खरीदी थी यह जमीन इंदौर हाई कोर्ट में 133 साल पुरानी संपत्ति को लेकर रक्षा मंत्रालय को फटकार लगाई है. बता दें मामला महू में मौजूद तकरीबन 1.8 एकड़ जमीन पर कब्जा करने से संबंधित है. बता दें याचिकाकर्ता अन्ना चंदीरमानी और अरुणा के पूर्वजों ने 1892 में इस जमीन को खरीदा था. लेकिन 1995 में रक्षा मंत्रालय ने बेदखली का नोटिस भेजा. इसको लेकर दोनों बहनों ने जवाब देकर 1997 में सिविल कोर्ट में केस दायर किया. 2022 में कोर्ट ने उनका आवेदन खारिज कर दिया. इसके बाद 2024 में अपील कोर्ट ने बेदखली पर रोक की उनकी याचिका खारिज कर दी. जिसके बाद दोनों बहनों ने इंदौर हाई कोर्ट का रुख किया. इंदौर हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए रक्षा मंत्रालय की कार्रवाई को अवैधानिक और कानून विरोधी बताया. जस्टिस प्रणय वर्मा की कोर्ट ने मामले की सुनवाई की. अपने आदेश में जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि 24 घंटे में कोई आसमान नहीं टूट पड़ता. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 20

पति पर अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप, हाईकोर्ट ने खारिज की पत्नी की याचिका, कोर्ट-भारत में वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं

इंदौर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध (Unnatural sexual relations) बनाने के आरोप से एक पति को बरी कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले में दो महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर सामने आए हैं। हाईकोर्ट ने टिप्पणी में कहा हैं भारत में वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं है। ये एक विशेष मामलों का फैसला रिपोर्ट में कोर्ट (MP High Court) ने वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिलने की बात कही है। कोर्ट का कहना हैं कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जिस पर भारत में लगातार बहस हो रही है। यह फैसला भारतीय कानून (Indian law) में सहमति और अप्राकृतिक यौन संबंधों की परिभाषा को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह एक विशेष मामले का फैसला है। सह​मति से सेक्स IPC में नहीं कोर्ट ने कहा कि यदि एक पत्नी वैध विवाह के दौरान अपने पति के साथ रह रही है तो किसी पुरुष द्वारा पंद्रह वर्ष से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ कोई भी सेक्स बलात्कार नहीं होगा। यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के दायरे में नहीं आता। यह धारा, जो पहले समलैंगिक संबंधों को अपराध माना जाता था। दहेज प्रताड़ना का भी था आरोप याचिकाकर्ता पत्नी का आरोप है कि उसके साथ पति ने क्रूरता की। दहेज की मांग की। अप्राकृतिक सेक्स किया। इस प्रकार IPC की धारा 498-ए (क्रूरता), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 294 (अश्लील कृत्य) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 (दहेज देने या लेने के लिए दंड) के साथ धारा 4 (दहेज मांगने के लिए दंड) के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए एक FIR दर्ज की गई। जिला कोर्ट ने भी कर दिया बरी 3 फरवरी 2024 को इंदौर की एक अतिरिक्त सत्र की अदालत ने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स के आरोप से बरी किया था। यह आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य) के तहत लगाया गया था। याचिकाकर्ता महिला के वकील की ओर से कहा गया कि पर्याप्त साक्ष्य के बावजूद पति को आरोप से मुक्त कर दिया, जो कानून की दृष्टि से गलत है। जिला कोर्ट ने भी कर दिया था बरी, फिर पत्नी हाईकोर्ट पहुंची उच्च न्यायालय का रुख करने वाली महिला के पति को इंदौर की एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन कृत्य के आरोप से तीन फरवरी 2024 को बरी कर दिया था। यह आरोप भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन कृत्य) के तहत लगाया गया था। याचिकाकर्ता महिला के वकील की ओर से उच्च न्यायालय में कहा गया कि पर्याप्त सबूत के बावजूद निचली अदालत ने पति को भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत लगाए गए आरोप से मुक्त कर दिया जो कानून की दृष्टि से गलत है। महिला ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी कि निचली अदालत के इस आदेश को रद्द किया जाए। पति के वकील ने कहा पत्नी से संबंध बनाना धारा 377 के तहत अपराध नहीं महिला के पति के वकील ने उच्च न्यायालय में दलील पेश की कि शीर्ष अदालत भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को ‘असंवैधानिक’ घोषित कर चुकी है। महिला के पति के वकील ने उच्च न्यायालय में बहस के दौरान यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत ‘‘बलात्कार’’ की संशोधित परिभाषा के अनुसार वैवाहिक संबंध बरकरार रहने के दौरान पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना जाता है। कोर्ट ने कहा- आईपीसी के तहत वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं पक्षकारों को सुनने के बाद न्यायालय ने पति और पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध के पहलू पर विचार-विमर्श करने वाले कुछ निर्णयों का उल्लेख किया और IPC की धारा 375 के तहत बलात्कार की संशोधित परिभाषा का उल्लेख किया। न्यायालय ने यह भी कहा कि आज तक आईपीसी के तहत वैवाहिक बलात्कार को मान्यता नहीं दी गई। न्यायालय ने मनीष साहू पुत्र ओंकार प्रसाद साहू बनाम मध्य प्रदेश राज्य के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें यह देखा गया। हालांकि, यह न्यायालय IPC की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार की संशोधित परिभाषा पर विचार करने के बाद पहले ही इस निष्कर्ष पर पहुंच चुका है कि यदि एक पत्नी वैध विवाह के दौरान अपने पति के साथ रह रही है तो किसी पुरुष द्वारा पंद्रह वर्ष से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ कोई भी संभोग या यौन क्रिया बलात्कार नहीं होगी। इसलिए IPC की धारा 375 के तहत बलात्कार की संशोधित परिभाषा के मद्देनजर, जिसके द्वारा एक महिला के गुदा में लिंग का प्रवेश भी बलात्कार की परिभाषा में शामिल किया गया। पति द्वारा पंद्रह वर्ष से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ कोई भी संभोग या यौन क्रिया बलात्कार नहीं है तो इन परिस्थितियों में अप्राकृतिक कृत्य के लिए पत्नी की सहमति का अभाव अपना महत्व खो देता है। वैवाहिक बलात्कार को अब तक मान्यता नहीं दी गई। IPC की धारा 377 के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद हाई कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का भी लगाया था आरोप याचिकाकर्ता पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके साथ क्रूरता की गई दहेज की मांग की गई और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए गए। इस प्रकार IPC की धारा 498-ए (क्रूरता), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 294 (अश्लील कृत्य और गीत) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के साथ धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 (दहेज देने या लेने के लिए दंड) के साथ धारा 4 (दहेज मांगने के लिए दंड) के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए एक FIR दर्ज की गई। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। … Read more

45 साल सेवा देने वाले कर्मचारी को पेंशन-ग्रेच्युटी का हक, हाईकोर्ट का सख्त आदेश

जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने अपने एक आदेश में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 45 वर्ष सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए सफाई कर्मी को पेंशन की फूटी कौड़ी दिए बिना गुडबाय नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने नगर पालिका दमोह की ‘योगदान नहीं, तो पेंशन नहीं’ की रवायत पर करारी फटकार लगाते हुए दिवंगत सफाई कर्मी की विधवा के हक में एक माह के भीतर छह प्रतिशत ब्याज सहित पेंशन जारी किए जाने का राहतकारी आदेश पारित कर दिया। यही नहीं 12 प्रतिशत ब्याज सहित ग्रेच्युटी राशि भी दिए जाने का आदेश सुनाया गया। याचिकाकर्ता दिवंगत सफाई कर्मी पुरुषोत्तम मेहता की दमोह निवासी विधवा सोमवती बाई वाल्मीकि की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार शर्मा, असीम त्रिवेदी और रोहिणी प्रसाद शर्मा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में नगर पालिका, दमोह के सभी तर्क दरकिनार किए जाने योग्य हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सब मनमानी को इंगित करते हैं। एक परिवार को भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया     हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि पुरुषोत्तम मेहता ने 1964 से 2009 तक नगर पालिका, दमोह में सफाई कर्मचारी के रूप में सेवा दी। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन या ग्रेज्युटी नहीं मिली, जिससे परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गया।     मामला हाई कोर्ट पहुंचा, जहां याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद उनकी विधवा सोमवती बाई वाल्मीकि ने न्याय की लड़ाई को गति दी। नगर पालिका का विवादास्पद तर्क है कि कर्मचारी ने पेंशन फंड में योगदान नहीं दिया।     नगर पालिका ने दावा किया कि मध्य प्रदेश नगर पालिका पेंशन नियम, 1980 के तहत पेंशन के लिए कर्मचारी का पेंशन निधि में योगदान जरूरी है, जो मेहता ने नहीं दिया। पेंशन निधि में कर्मचारी का योगदान नहीं होने से वह पेंशन का पात्र नहीं है। हाई कोर्ट ने सख्ती प्रतिक्रिया देते हुए राहत दी हाई कोर्ट ने नगर पालिका, दमोह के रुख को अनुचित करार दिया। अपनी सख्त प्रतिक्रिया में साफ किया कि नियमों में कहीं भी कर्मचारी के योगदान का प्रावधान नहीं है। यदि योगदान आवश्यक था तो नगर पालिका को वेतन से कटौती करना चाहिए था। सेवानिवृत्ति के समय यह कहना कि 'कर्मचारी ने योगदान नहीं दिया' उसके अधिकारों का हनन है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जहां एक ओर कानूनी बारीकियों को रेखांकित किया, वहीं नगरपालिकाओं की संवेदनहीनता पर चिंता भी जताई। पेंशन निधि में 'डीम्ड' सम्मिलन का अर्थ है कि कर्मचारी स्वतः पात्र है। हाई कोर्ट ने नगर पालिका के तर्कों को सेवा कानूनों के विपरीत बताया और स्पष्ट किया कि 1980 के नियमों में पेंशन निधि में कर्मचारी के योगदान का कोई प्रविधान नहीं है। यदि योगदान जरूरी था, तो नियोक्ता का कर्तव्य था कि वह वेतन से कटौती करते। हाई कोर्ट ने नगर पालिका द्वारा "भुगतान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है" के तर्क को निरस्त करते हुए कहा कि जब नगर पालिका ने पेंशन स्वीकृत ही नहीं की, तो राज्य पर दोष मढ़ना विधि विरुद्ध है। नगर पालिका यह तर्क तभी दे सकती थी जब वह पेंशन स्वीकृत कर चुकी होती। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 22

कोर्ट ने हजारों अतिथि शिक्षकों को आवेदन के समय अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने की अनिवार्यता से राहत दी

जबलपुर  मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने अतिथि शिक्षकों को बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन करने की अनुमति दी है, जिससे हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिली है. खास बात ये है कि सिवनी निवासी सुनीता कटरे, कृष्णकांत शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता धीरज तिवारी और ईशान सोनी ने न्यायालय में तर्क भी दिया था. जानें क्या था मामला? बता दें, वर्ष 2018 और 2023 की उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती और प्राथमिक शिक्षक भर्ती में दस्तावेज सत्यापन (काउंसलिंग) के समय 200 दिवस और तीन सत्रों का अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र मांगा जाता था. लेकिन इस बार माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2025 के लिए, ईएसबी (कर्मचारी चयन मंडल) के पोर्टल पर आवेदन के समय ही अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड करने की अनिवार्यता कर दी गई थी. याचिका में क्या तर्क दिया गया? 1. रूल बुक की धारा 12(6) के अनुसार, उम्मीदवारों को शैक्षणिक योग्यता और पात्रता से जुड़े दस्तावेज दस्तावेज़ सत्यापन और काउंसलिंग के समय अपलोड करने की अनुमति है. 2. मध्य प्रदेश स्कूल एजुकेशन सर्विसेज (टीचिंग कैडर) सर्विस कंडीशन एंड रिक्रूटमेंट रूल्स, 2018 में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र आवेदन के समय ही अपलोड किया जाना चाहिए. 3. 2023 की भर्ती प्रक्रिया में, आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 01 जून 2023 थी, लेकिन अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र 31 मार्च 2024 तक अपलोड करने की छूट दी गई थी. उच्च माध्यमिक/माध्यमिक/प्रार्थमिक शिक्षक की काउंसलिंग निर्देशिका एक समान होनी चाहिए पूर्व की भर्ती में भी ऐसा ही था लेकिन इस बार अनुभव प्रमाण पत्र आवेदन के समय ही मांगा गया, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है. 4. ईएसबी पोर्टल पर लागू किया गया नया नियम मनमाना और भेदभावपूर्ण है, जिससे योग्य उम्मीदवार आवेदन करने से वंचित हो रहे हैं. 5. भर्ती अधिसूचना में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है कि अतिथि शिक्षक अनुभव प्रमाण पत्र केवल आवेदन के समय ही अपलोड किया जाना चाहिए, बल्कि दस्तावेज़ सत्यापन के समय इसे जमा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. न्यायालय का फैसला माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अधीन कर दिया। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अतिथि शिक्षकों को बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए केवल "YES" विकल्प चुनकर आवेदन करने की अनुमति होगी। इस फैसले का लाभ किन्हें मिलेगा? वे सभी अतिथि शिक्षक जो 200 दिवस और तीन सत्रों की न्यूनतम अनुभव शर्त को पूरा कर रहे हैं, लेकिन उनका प्रमाण पत्र दस्तावेज़ सत्यापन के समय ही उपलब्ध होगा. वे अभ्यर्थी जो इस नई अनिवार्यता के कारण आवेदन नहीं कर पा रहे थे, अब वे बिना प्रमाण पत्र अपलोड किए आवेदन कर सकेंगे. भर्ती प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत होगी और योग्य अभ्यर्थियों को अवसर मिलेगा. अब क्या होगा आगे? ईएसबी पोर्टल में बदलाव: अब पोर्टल पर अभ्यर्थी बिना अनुभव प्रमाण पत्र अपलोड किए "YES" विकल्प चुनकर आवेदन कर सकेंगे. भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी: न्यायालय ने भर्ती को याचिका के अधीन किया है, जिसका मतलब है कि भर्ती प्रक्रिया न्यायालय के फैसले के अनुसार आगे बढ़ेगी. अंतिम निर्णय दस्तावेज़ सत्यापन के समय अतिथि शिक्षकों को दस्तावेज़ सत्यापन के समय ही अपना अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, जैसा कि पूर्व की भर्तियों में होता आया है. यह फैसला सिवनी निवासी सुनीता कटरे, कृष्णकांत शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं सहित हजारों अतिथि शिक्षकों के लिए राहत भरी है और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 23

सरकार ने कहा- गलत जानकारी से बिगड़े हालात, भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को लेकर हाईकोर्ट ने दिया छह हफ्ते का समय

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को लेकर मचे घमासान के बीच आज सोमवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान होईकोर्ट की डिवीजन बेंच से सरकार ने कहा कि गलत जानकारी के कारण पीथमपुरा में हालात बिगड़े और  स्थिति खराब हुई। सरकारा ने कोर्ट से छह हफ्ते का समय मांगा। इस पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सरकार की मांग मानते हुए उसे छह सप्ताह का समय दे दिया। अब मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। दरअसल, यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की ओर से कोर्ट में एक हलफनामा पेश किया है। जिसमें सरकार ने बताया है कि  यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर लोगों द्वारा भ्रामक जानकारियां फैलाई जा रही है। इस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मुद्दे से जुड़ी फेक जानकारी या न्यूज पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि गलत जानकारी को दूर किया जाए। अलग अनुमति की जरूरत नहीं सुनवाई के दौरान सरकार ने रामकी कंपनी में खड़े कंटेनर को अनलोड करने की अनुमति कोर्ट से मांगी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए अलग अनुमति की जरूरत नहीं है। निस्तारण के पूर्व आदेश में ही यह कार्रवाई आती है। राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि कचरे को अभी जलाया नहीं गया है। इस पर कोर्ट ने सरकार को अपने स्तर पर निस्तारण करने की छूट दी है। सरकार की ओर से इसे लेकर कोर्ट से छह सप्ताह का समय मांगा। सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सरकार की मांग के अनुसार उसे छह सप्ताह का समय दिया है। इंदौर के डॉक्टर्स ने भी पेश की आपत्तियां इसके अलावा भी कोर्ट में कचरे के निस्तारण को लेकर इंदौर के डॉक्टर्स द्वारा कई आवेदन और आपत्तियां पेश की गई हैं। इन्हें लेकर कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो सभी आवेदन और आपत्तियां को संज्ञान में लेकर उसमें दिए गए तथ्यों को देखे। मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 27

लोक सेवकों के सैलरी की जानकारी आरटीआई में देना अनिवार्य, हाईकोर्ट का अहम आदेश

जबलपुर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) में लोकसेवकों के वेतन की जानकारी देना अनिवार्य है। गोपनीयता के तर्क पर इसकी सूचना देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने लोकसेवकों के वेतन की सूचना देने से इन्कार करने के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई में यह निर्णय दिया। हाई कोर्ट ने लोकसेवकों के वेतन की जानकारी सार्वजनिक महत्व की है, जिसे गोपनीय नहीं माना जा सकता। पूर्व में जारी आदेश निरस्त कर दिया सूचना आयोग और लोक सूचना अधिकारी ने भी इस सूचना को गोपनीय माना था। ऐसे में, एकल पीठ ने इन दोनों के पूर्व में जारी आदेश को भी निरस्त कर दिया। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को एक माह में सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। पारदर्शिता के सिद्धांतों के विपरीत याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी एमएम शर्मा की ओर से दलील दी गई थी कि लोक सेवकों के वेतन की जानकारी को सार्वजनिक करना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा-चार के तहत अनिवार्य है। ऐसे में, लोक सेवकों के वेतन की जानकारी को धारा 8 (1)(जे) का हवाला देकर व्यक्तिगत या तृतीय पक्ष की सूचना बताकर छिपाना अधिनियम के उद्देश्यों और पारदर्शिता के सिद्धांतों के विपरीत है। जानकारी उपलब्ध कराने से इन्कार किया दरअसल, याचिकाकर्ता ने छिंदवाड़ा वन परिक्षेत्र में कार्यरत दो कर्मचारियों के वेतन भुगतान के संबंध में जानकारी मांगी थी। लोक सूचना अधिकारी ने जानकारी को निजी और तृतीय पक्ष की जानकारी बताते हुए इसे उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया था। तर्क दिया गया कि संबंधित कर्मचारियों से उनकी सहमति मांगी गई थी, लेकिन उनका उत्तर न मिलने पर जानकारी गोपनीय होने के कारण उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33