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सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से पूछा किआखिर फ्री की रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी? रोजगार के अवसर बनाने की जरूरत

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने  सरकारों की ओर से फ्री में दी जा रही सुविधाओं को लेकर सवाल उठाया है. कोर्ट ने पूछा कि आखिर फ्री की रेवड़ी कब तक बांटी जाएगी? कोर्ट ने कहा कि कोविड महामारी के बाद से मुफ्त राशन प्राप्त कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर बनाने की जरूरत है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस वक्त हैरानी जताई जब केंद्र ने अदालत को बताया कि 81 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मुफ्त या सब्सिडी वाला राशन दिया जा रहा है. इसपर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, 'इसका मतलब है कि केवल टैक्सपेयर्स ही बाकी हैं.' एनजीओ की ओर से दायर एक मामले में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन  मिलना चाहिए जो "ई-श्रमिक" पोर्टल पर पंजीकृत हैं. इसपर बेंच ने कहा, 'फ्रीबीज़ कब तक दिए जाएंगे? क्यों न हम इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम करें?' वकील भूषण ने कहा कि अदालत ने समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी किया जाए ताकि वे केंद्र द्वारा प्रदान किए गए मुफ्त राशन का लाभ उठा सकें. उन्होंने कहा कि हाल ही में दिए गए आदेश में यह कहा गया है कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, लेकिन वे "ई-श्रमिक" पोर्टल पर पंजीकृत हैं, उन्हें केंद्र द्वारा मुफ्त राशन दिया जाएगा. कोर्ट ने क्या कहा… जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'यह समस्या है. जैसे ही हम राज्यों को आदेश देंगे कि वे सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन दें, कोई भी यहां नहीं दिखाई देगा. वे भाग जाएंगे. राज्यों को यह पता है कि यह जिम्मेदारी केंद्र की है, इसीलिए वे राशन कार्ड जारी कर सकते हैं.' भूषण ने कहा कि यदि 2021 की जनगणना की जाती, तो प्रवासी मजदूरों की संख्या में वृद्धि होती, क्योंकि केंद्र वर्तमान में 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है. इसपर बेंच ने कहा, "हम केंद्र और राज्यों के बीच मतभेद नहीं पैदा करें, क्योंकि ऐसा करने से स्थिति बहुत कठिन हो जाएगी."   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 19

सुप्रीम कोर्ट ने दी किसान आंदोलनकारियों को नसीहत- जनता की सुविधा का भी ख्याल रहे

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को नसीहत दी है। अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से कहा कि आप प्रदर्शनकारी किसानों को समझाएं कि वे राजमार्गों को बाधित न करें और लोगों को सुविधाओं का ध्यान रखें। डल्लेवाल को पुलिस ने खनौरी बॉर्डर से उठा दिया था, लेकिन अब कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि उन्हें पुलिस ने कथित हिरासत से रिहा कर दिया है। इसके बाद वह एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। उनके साथ कई किसान एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने समेत कई मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे हैं। डल्लेवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन लोगों को असुविधा नहीं होने दें। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयां की बेंच ने कहा कि 26 नवंबर को खनौरी बॉर्डर से डल्लेवाल को उठाया गया था। अब वह फिर से रिहा हो गए हैं और अपने साथियों को समझाते हुए भी दिखे कि वे आमरण अनशन समाप्त कर दें। बेंच ने डल्लेवाल की ओर से पेश वकील गुनिंदर कौर गिल से अदालत ने कहा कि आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि जनता को आंदोलन से असुविधा न हो। बेंच ने कहा, 'एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में आपको शांतिपूर्ण प्रदर्शन का पूरा अधिकार है, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जनता को इससे असुविधान हो। आप सभी लोग जानते हैं कि खनौरी बॉर्डर पंजाब के लिए लाइफलाइन की तरह है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि प्रदर्शन सही है या गलत, लेकिन जनता को परेशानी नहीं होनी चाहिए।' जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि डल्लेवाल प्रदर्शनकारियोंको यह समझा सकते हैं कि वे शांतिपूर्ण आंदोलन करें। यह ध्यान रखें कि उनके प्रदर्शन से आम लोगों को कोई परेशानी न हो। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 22

ग्राम पंचायत का आरोप है कि इस भूमि पर उनका अधिकार है और वक्फ बोर्ड का दावा गलत, सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील

जालंधर पंजाब के कपूरथला जिले के बुधो पुंदेर गांव की वक्फ बोर्ड जमीन मामले में ग्राम पंचायत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया है। ग्राम पंचायत का आरोप है कि इस भूमि पर उनका अधिकार है और वक्फ बोर्ड का दावा गलत है। अब ग्राम पंचायत इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब उच्च न्यायालय ने वक्फ बोर्ड के दावे को सही ठहराया, जिसमें कहा गया था कि यह भूमि मस्जिद, कब्रिस्तान और टाकिया (मुसलमानों के सामान्य उपयोग के लिए भूमि) के लिए दान की गई थी, और बाद में 1971 में वक्फ बोर्ड को सौंप दी गई थी। न्यायालय ने इस भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया और ग्राम पंचायत की दलीलों को खारिज कर दिया। ग्राम पंचायत के सदस्य रेशम सिंह ने कहा कि इस भूमि पर पिछले 40-50 सालों से गांव के लोग खेती कर रहे हैं और उन्होंने इस भूमि पर कब्जा नहीं किया है, बल्कि इसे जमींदारों ने वक्फ बोर्ड से छुड़वाया था। रेशम सिंह ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति और मस्जिद मुसलमानों की है, लेकिन भूमि पर जो कब्जा है, वह जमींदारों ने जानबूझकर किया हुआ है। इस पर उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। ग्राम पंचायत के सरपंच कुलवंत सिंह ने भी इस फैसले पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि गांव में स्थित मस्जिद और गुरुद्वारा दोनों ही खुले हैं, लेकिन मस्जिद में आज तक कोई व्यक्ति नहीं आया है। वहीं, गुरुद्वारे में संगत दर्शन के लिए आती है। सरपंच ने बताया कि यह भूमि करीब 16 से 17 एकड़ में फैली हुई है, और इस पर पिछले 15-20 सालों से मुकदमा चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह जमीन नगर पंचायत की है और उसी की रहेगी। सरपंच ने बताया कि मस्जिद 1947 से पहले बनी हुई थी, जबकि गुरुद्वारा मस्जिद की जगह पर नहीं, बल्कि उससे अलग एक एकड़ में बनाया गया है। इस मामले में न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। ग्राम पंचायत ने वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत गठित न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें वक्फ बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। पंचायत ने तर्क दिया था कि पंजाब अधिनियम, 1953 के तहत इस संपत्ति पर उनका अधिकार बनता है, जो वक्फ अधिनियम, 1995 से प्राथमिकता रखता है। हालांकि, न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और माना कि यह मामला भूमि के वर्गीकरण का है, न कि विभिन्न कानूनों की प्राथमिकता का। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आधिकारिक अभिलेखों में इस भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और इसे मस्जिद, कब्रिस्तान और टाकिया के रूप में पहचान दी गई है। खंडपीठ ने वक्फ अधिनियम के तहत इस भूमि के स्वामित्व का निर्धारण किया और कहा कि यह भूमि धार्मिक उद्देश्यों के लिए है, न कि निजी इस्तेमाल के लिए। न्यायालय ने यह भी कहा कि पंजाब अधिनियम, 1953 की संवैधानिक सुरक्षा, वक्फ अधिनियम के प्रावधानों पर प्रभाव नहीं डालती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 40

सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थलों की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर 4 दिसंबर को सुनवाई करेगा

नई दिल्ली देश में विभिन्न धार्मिक स्थलों, खासकर मंदिरों और मस्जिदों को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कोर्ट के आदेश पर हुआ था, जिसके बाद हिंसा की घटनाएं सामने आईं। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के पूजा स्थल कानून और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने का संकेत दिया है। आइए जानते हैं इस मामले के बारे में और कब होगी इसपर सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट में कब होगी सुनवाई? सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थलों की सुरक्षा और 1991 के पूजा स्थल कानून से संबंधित याचिका पर 4 दिसंबर 2024 को सुनवाई होगी। इस सुनवाई में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ शामिल होगी। सुनवाई करने वाले न्यायधीश इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पी नरसिम्हा, और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शामिल होगी। यह केस जमीअत उलमा-ए-हिंद और गुलजार अहमद नूर मोहम्मद आजमी की तरफ से दायर किया गया है, और इनके वकील एजाज मकबूल कोर्ट में उनका पक्ष रखेंगे। क्या है 1991 का पूजा स्थल कानून? 1991 का पूजा स्थल कानून भारत में धार्मिक स्थलों के स्वरूप को लेकर एक महत्वपूर्ण कानून है। इसके तहत, यह प्रावधान किया गया कि 15 अगस्त 1947 को जिस रूप में धार्मिक स्थल था, उसे उसी रूप में बनाए रखा जाएगा। इसका मतलब है कि स्वतंत्रता संग्राम के समय के बाद से किसी भी धार्मिक स्थल का रूप बदलने पर रोक लगा दी गई है। इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के स्वामित्व और रूप में बदलाव से होने वाले विवादों को रोकना है। खासतौर पर इसने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर एक अपवाद रखा था, जिससे विवादित बाबरी मस्जिद को लेकर कोई बदलाव नहीं किया जा सका था। धारा 3 के तहत, यह कानून किसी व्यक्ति या समूह को किसी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्म के स्थल में बदलने से रोकता है। क्या बदलाव होगा इस कानून में? इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्थलों के स्वरूप को स्थिर रखना था ताकि किसी भी धार्मिक स्थल में बदलाव या तोड़फोड़ से विवादों की स्थिति पैदा न हो। लेकिन, कई बार इस कानून की व्याख्या को लेकर विवाद उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानून पर सुनवाई होने से भविष्य में इस कानून के प्रभाव और इसकी व्याख्या पर कुछ नया रुख सामने आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अब जब सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगा, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट पूजा स्थल कानून की परिभाषा और उसके दायरे को कैसे निर्धारित करता है। इसके अलावा, कोर्ट यह भी तय करेगा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं। यह मामला धार्मिक स्थलों से जुड़ी संवेदनशीलता को लेकर है, और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई इस दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि इस कानून में कोई बदलाव किया जाता है, तो वह देशभर में धार्मिक स्थलों के विवादों को प्रभावित कर सकता है। 4 दिसंबर को होने वाली सुनवाई देश भर के लोगों और धार्मिक संगठनों के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 23

जब रिश्ता शादी तक नहीं पहुंचता, तो पार्टियों के बीच सहमति से बने रिश्ते को आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता : SC

नई दिल्ली शादी का झांसा देकर बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे एक युवक को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि सहमति के साथ संबंध में रह रहे जोड़े के बीच सिर्फ ब्रेकअप हो जाने के कारण पुरुष के खिलाफ आपराधिक मुकदमा नहीं चला सकते हैं। शिकायतर्ता महिला ने आरोपी के खिलाफ 2019 में रेप केस दर्ज कराया था। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच कर रही थी। बार एंड बेंच के अनुसार, कोर्ट ने कहा, 'सहमति से रिश्ते में रह रहे कपल के बीच सिर्फ ब्रेकअप के कारण आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। जब रिश्ता शादी तक नहीं पहुंचता, तो पार्टियों के बीच शुरुआत चरणों में सहमति से बने रिश्ते को आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता।' कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जाहिर की है कि आरोपी ने शिकायतकर्ता का एड्रेस पता कर लिया था और जबरन उसके साथ शारीरिक संबंध बना रहा था। बेंच ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता की तरफ से खुद ही पते की जानकारी नहीं दी जाती, तो आरोपी उसका एड्रेस हासिल नहीं कर सकता था। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, 'यह बात समझ से बाहर है कि शिकायतकर्ता अपनी सहमति के बगैर अपीलकर्ता से मिलना जारी रखेगी या लंबे समय तक संपर्क बनाए रखेगी या शारीरिक संबंध बनाएगी।' क्या था मामला साल 2019 में FIR दर्ज कराई गई थी कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसका यौन उत्पीड़न किया है। महिला ने शिकायत में यह भी कहा है कि आरोपी ने उसे यौन संबंध बनाने और ऐसा नहीं कर पर परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी है। महिला की शिकायत के बाद आरोपी के खिलाफ IPC की संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था। बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी उसकी याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि पार्टियों के बीच संबंध मधुर और सहमति से बने थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर अभियोजन पक्ष की बात को मान भी लिया जाए तो यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि शिकायतकर्ता सिर्फ शादी के किसी वादे के चलते यौन संबंधों में शामिल रही थी। यह देखते हुए कि दोनों अब अब शादिशुदा हैं और अपने-अपने जीवन में खुश है, तो कोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 39

सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक मामले में कहा- आतंकवादी कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया था

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यासीन मलिक से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान निष्पक्ष सुनवाई की जरूरत पर जोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आतंकवादी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था। सीबीआई द्वारा एक आदेश के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। सीबीआई ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को 1989 में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या से संबंधित मामले में जम्मू की एक अदालत में शारीरिक रूप से पेश करने के आदेश के खिलाफ अपील की थी। सीबीआई ने सुरक्षा का हवाला दिया था और यासीन मलिक को शारीरिक रूप से पेश करने के आदेश पर आपत्ति जताई थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ को बताया कि कश्मीरी अलगाववादी को सुनवाई के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल से जम्मू नहीं लाया जा सकता। उन्होंने कहा, "गवाहों की सुरक्षा भी चिंता का विषय है।" इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि यासीन मलिक से क्रॉस एग्जामिनेशन करने के लिए जेल में एक अस्थायी कोर्ट रूम बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, "हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था। जेल में एक कोर्ट रूम बनाया जा सकता है और वहां यह किया जा सकता है।” इस पर तुषार मेहता ने दोहराया कि सीबीआई आतंकवाद के दोषी को जम्मू-कश्मीर में सुनवाई के लिए नहीं ले जाना चाहती है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यासीन मलिक मामूली आतंकवादी नहीं है और केंद्र उसके मामले में कानून के मुताबिक नहीं चल सकता। उन्होंने यासीन मलिक के पाकिस्तान की यात्रा और मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात का भी हवाला दिया। क्या है मामला? जम्मू की एक विशेष अदालत ने दो मामलों में गवाहों से बातचीत के लिए यासीन मलिक को शारीरिक रूप से पेश होने का आदेश दिया था। इन मामलों में 1989 में पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण और चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या शामिल है। सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी जिसने पिछले साल अप्रैल में मामले में एक नोटिस जारी किया और निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। गौरतलब है कि आतंकवाद के दोषी यासीन मलिक ने जेल अधिकारियों को सूचित किया था कि वह सुनवाई में शारीरिक रूप से शामिल होना चाहता है। जुलाई 2023 में सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान शारीरिक रूप से उपस्थित था। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने उस समय मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। पेशी के तुरंत बाद तुषार मेहता ने गृह सचिव अजय भल्ला को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि शीर्ष अदालत में यासीन मलिक की उपस्थिति सुरक्षा में एक गंभीर चूक थी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 28

मंदिरों के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली-प्रयागराज स्टेशन को भी बम से उड़ाने की धमकी व्हाट्सएप पर दी गई

अयोध्या यूपी में अयोध्या के राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी के बाद अब मथुरा समेत कई बड़े मंदिरों को उड़ाने की धमकी दी गई है। मंदिरों के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली-प्रयागराज स्टेशन को भी बम से उड़ाने की धमकी व्हाट्सएप पर दी गई है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले के वादी आशुतोष पांडेय के व्हाट्सएप पर यह धमकी वाइस मैसेज के जरिए आई है। मैसेज देखते ही आशुतोष पांडेय ने प्रयागराज पुलिस को इसके बारे में जानकारी दी। पुलिस ने सभी स्थानों पर अलर्ट जारी करते हुए चेकिंग अभियान भी चलाया है। जीआरपी ने धमकी देने वाले मोबाइल नंबर के आधार पर केस दर्ज करते हुए जांच भी शुरू कर दी है। हालांकि इससे पहले भी आशुतोष पांडेय के मोबाइल पर इस तरह की धमकियां कई बार मिल चुकी है। प्रयागराज के कई थानों में पहले ही आशुतोष पांडेय ने केस भी दर्ज कराया है। उन केस में अभी तक पुलिस ने कोई गिरफ्तारी या खुलासा नहीं किया है। पुलिस को दी गई शिकायत में आशुतोष पांडेय ने खुद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट वृंदावन मथुरा का अध्यक्ष बताते हुए कहा है कि देर रात उनके मोबाइल पर वाइस मैसेज के जरिए दी गई। उसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, मथुरा समेत कई मंदिरों, प्रयागराज और दिल्ली के रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की बात कही गई। वाइस मैसेज के करीब एक घंटे बाद व्हाट्स पर कॉल भी आई। इसमें दोबारा धमकी को दोहराया गया। कहा कि उस वक्त आशुतोष ब्रह्मपुत्र मेल में सफर कर रहे थे। ऐसे में पूरी कॉल को रिकॉर्ड भी किया और रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर तत्काल इसकी जानकारी दी। धमकी के बाद पुलिस उनकी बोगी में भी आई और चकिंग अभियान चलाया। इसके साथ ही संबंधित स्थानों की पुलिस को अलर्ट किया है। आशुतोष पांडेय के अनुसार +923161832314 नम्बर कॉल और व्हाट्सएप पर धमकी आई है। पुलिस ने नंबर की जांच शुरू कर दी है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 35