The report is worrying: about one third of the food produced is getting destroyed; fao
दुनिया भर में इंसानों के लिए पैदा किया जा रहा करीब एक तिहाई भोजन बर्बाद हो रहा है। अगर इस बर्बादी को 50 फीसदी भी रोका जाए तो करीब 15 करोड़ लोगों का पेट भर सकता है। इतना ही नहीं, जब भोजन बर्बाद होता है तो भूमि, पानी, ऊर्जा और अन्य इनपुट जो भोजन के उत्पादन, प्रसंस्करण, परिवहन, तैयारी, भंडारण और निपटान में उपयोग किए जाते हैं, वे भी बर्बाद हो जाते हैं। इसमें ग्रीनहाउस गैसों का भारी उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन की वजह बन रहा है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार भोजन की बर्बादी को आधा करने से कृषि क्षेत्र से हो रहे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में चार फीसदी की कमी आ सकती है। यह रिपोर्ट कहती है कि हमें समझना होगा कि हम संसाधनों को यूं जाया नहीं कर सकते, क्योंकि हमारे द्वारा बर्बाद हर निवाला किसी दूसरे का पेट भरने में मदद कर सकता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकतर घरों में भोजन की बर्बादी ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक में हो रही है। कई बार तो यह ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखी जा रही है।
2030 तक 60 करोड़ लोग भुखमरी को होंगे मजबूर
खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान है कि 2030 में करीब 60 करोड़ लोग भुखमरी का सामना करने को मजबूर होंगें। खाद्य पदार्थों की हो रही बर्बादी और नुकसान को कम करने से वैश्विक स्तर पर कहीं ज्यादा लोगों के लिए भोजन उपलब्ध होगा। इससे खाद्य उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट आएगी।
सबसे ज्यादा फल और सब्जियां हो रहीं बर्बाद
रिपोर्ट के अनुसार 2021 से 2023 के बीच बर्बाद भोजन में करीब आधा हिस्सा फल और सब्जियों का था। करीब एक चौथाई हिस्सा अनाज का था। भारत में भी घरों में फल और सब्जियों का खराब होना बेहद आम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक तिहाई भोजन बिना खाए ही रह जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में घरों में बर्बाद होने वाले भोजन का लगभग 96 फीसदी लैंडफिल, दहन सुविधाओं या सीवर सिस्टम में बह गया। शेष भोजन को खाद में बदल दिया गया।
10% तक बढ़ जाएगी भोजन की उपलब्धता 2030 तक खाद्य पदार्थों के होने वाले नुकसान को आधा करने से कमजोर देशों में आम लोगों के पास 10% अधिक भोजन उपलब्ध होगा। इसी तरह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 6% और उच्च मध्यम आय वाले देशों में भी लोगों के पास पहले से 4% अधिक भोजन होगा। संयुक्त राष्ट्र ने 2030 तक प्रति व्यक्ति बर्बाद हो रहे खाद्य पदार्थों में 50 फीसदी की कटौती करने का लक्ष्य तय किया है।
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