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दमोह
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशनरी अस्पताल में फर्जी हार्ट सर्जन द्वारा सर्जरी के बाद 7 लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद से दमोह में हड़कंप की स्थिति है. इस मामले को मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लेते हुए जांच दल गठित करने का फैसला लिया. जांच दल तीन दिनों तक दमोह में कैंप करेगा. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट कर ये जानकारी दी है. कानूनगो के मुताबिक मिशनरी अस्पताल में हुई मौतों की शिकायतों को लेकर उनके द्वारा जांच दल बनाया गया है जो कि 7 से 9 अप्रैल को इस मामले की जांच करेगा.

अस्पताल के अफसरों की भूमिका की भी होगी जांच
मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित जांच दल इस मामले में संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अस्पताल की भूमिका का भी परीक्षण भी करेगा. उन्होंने कहा है कि इस मामले से संबंधित जो भी व्यक्ति जानकारी देना चाहे वो जांच दल को दे सकता है.

नेता प्रतिपक्ष ने की निष्पक्ष जांच की मांग
इसके अलावा, इसी मामले को लेकर एमपी के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने भी सरकार से इस मामले की जुछ स्तरीय जांच की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष सिंगार ने एक्स पर लिखा है कि रक्षक ही बन गए भक्षक. सरकार बन गई मूकदर्शक. एमपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट कर इस मामले की गम्भीर और निष्पक्ष जांच की मांग की है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मिशन अस्पताल का उल्लेख करते हुए लिखा है कि यहां संदिग्ध रूप से 7 मौतों की खबर आई है. यहां फर्जी डॉक्टर ने हार्ट सर्जरी की है. लापरवाही की हद तो तब हो गई जब मिशन अस्पताल ने न तो फर्जी डॉक्टर की डिग्री का सत्यापन किया, न ही पहचान की.

मरने वालों की संख्या ज्यादा होने की आशंका
उन्होंने प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा है कि प्रशासन ने इस मामले को गोपनीय रखने की कोशिश की है. उमंग सिंगार ने इस घटना को नरसंहार करार देते हुए आशंका जाहिर की है कि मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता है.

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