The way is cleared for disposal of Union Carbide’s toxic waste in Pithampur, Supreme Court rejects the petition
खबर एक संवेदनशील और पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण मुद्दे को दर्शाती है। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने की प्रक्रिया, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश, सरकार की तैयारियाँ, और सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंताओं के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।
मुख्य बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की याचिका खारिज।
- हाई कोर्ट में आपत्ति दर्ज करने का विकल्प खुला।
- सरकार का रुख:
- नियमों के पालन का आश्वासन दिया गया।
- आपदा प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर जवाब प्रस्तुत।
- कचरा जलाने की प्रक्रिया:
- 337 टन कचरे के 12 कंटेनरों में से 4-5 खोले जाएंगे।
- कचरे में सोडियम सल्फाइड मिलाकर हानिकारक तत्वों को निष्क्रिय किया जाएगा।
- 12 घंटे का ड्राई रन और इंसीनरेटर के तापमान को निर्धारित स्तर तक ले जाया जाएगा।
- शुक्रवार से कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
- स्थानीय विरोध:
- नजदीकी गांवों को लेकर चिंता।
- संभावित स्वास्थ्य प्रभाव और पर्यावरणीय जोखिमों की आशंका।
- 40 साल बाद निस्तारण:
- भोपाल गैस त्रासदी के बाद से जमा कचरे के निपटान का प्रयास।
- हाई कोर्ट के आदेश के तहत कार्रवाई।
क्या आगे हो सकता है?
- हाई कोर्ट में चुनौती: सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं।
- विज्ञान और पर्यावरण विशेषज्ञों की भूमिका: यह महत्वपूर्ण होगा कि वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् इस प्रक्रिया की निगरानी करें और इसके प्रभावों का विश्लेषण करें।
- स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही: क्या प्रशासन उचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित कर रहा है?
आप इस विषय पर अपनी राय या इस मुद्दे से जुड़े किसी विशेष पहलू पर गहराई से चर्चा करना चाहेंगे?

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