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मथुरा
यूपी के मथुरा स्थित बांके बिहारी कॉरिडोर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला दिया है। अदालत ने यूपी सरकार को परियोजना के लिए आसपास की जमीन खरीदने के लिए मंदिर फंड का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में सर्वोच्च अदालत ने संशोधन कर यूपी सरकार को राहत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के नंवबर, 2023 के आदेश को इस सीमा तक संशोधित किया जाता है कि उत्तर प्रदेश को प्रस्तावित योजना के अनुसार मंदिर के आसपास की भूमि खरीदने के लिए मंदिर फंड का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, इस दौरान यह शर्त लगाई गई कि अधिग्रहित भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर हो।

सर्वोच्च अदालत कहा कि यह एक स्थापित तथ्य है कि ऐतिहासिक मंदिर पुरानी संरचनाएं हैं। उन्हें उचित रखरखाव और अन्य रसद सहायता की जरूरत होती है। बड़ी संख्या में मंदिरों में रिसीवरों की नियुक्ति दशकों से की जा रही है, जिसका मूल रूप से एक अस्थायी उपाय के रूप में इरादा था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रिसीवर नियुक्त करते समय संबंधित न्यायालय यह ध्यान में नहीं रख रहे हैं कि मथुरा और वृंदावन, वैष्णव संप्रदायों के लिए दो सबसे पवित्र स्थान हैं और इसलिए वैष्णव संप्रदायों के व्यक्तियों को रिसीवर के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए।

दरअसल, यूपी के मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर के लिए यूपी सरकार पांच एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाना चाहती है। इसमें मंदिर तक पहुंचने में तीन रास्ते होंगे, जिससे भक्तों को दर्शन में आसानी होगी। इस परियोजना में लगभग 262 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए फरवरी में आए बजट में सरकार ने 150 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। इसमें जमीन अधिग्रहण और कॉरिडोर का विकास होगा। वहीं, मंदिर नगरी में पर्यटन के विकास के लिए 125 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

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