हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि का विशेष महत्व है. ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित की गई है. हर माह में दो एकादशी होती है. इस तरह से साल भर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. सभी एकादशी विशेष होती हैं और सबका अपना महत्व है. फाल्गुन माह के शुक्ल फक्ष में जो एकादशी पड़ती है उसे आमलकी एकादशी कहा जाता है. आमलकी एकादशी के दिन व्रत के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ के पूजा की जाती है. इस साल मार्च में आमलकी एकादशी पड़ेगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि मार्च में आमलकी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा. इसकी सही तिथि और पूजा विधि क्या है.
आमलकी एकादशी कब है ? हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन 10 मार्च को सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, आमलकी एकादशी 10 मार्च को रहेगी. इसी दिन इसका व्रत रखा जाएगा.
आमलकी एकादशी पूजा विधि
आमलकी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
फिर विधि पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
पूजा के समय भगवान विष्णु को पीला फूल, माला चढ़ानी चाहिए. भगवान को पीला चंदन लगाना चाहिए.
भगवान विष्णु के समाने घी का दीपक और धूप जलाना चाहिए.
एकादशी व्रत कथा का और चालीसा का पाठ करना चाहिए.
भगवान को भोग लगाना चाहिए. साथ ही तुलसी दल चढ़ाएं.
अंत में भगावन की आरती करनी चाहिए.
इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए.
आमलकी एकदशी का महत्व हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि आमलकी एकदशी का व्रत करने से सैकड़ों तीर्थ और कई यज्ञ के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकदशी का व्रत और इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने वालों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. इस दिन व्रत और भगवान विष्णु का पूजन करने से मरने के बाद मोक्ष और हरि चरणों में स्थान प्राप्त होता है. आमलकीएकादशी के दिन व्रत और पूजन से जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं. साथ ही जीवन मेंं सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है.

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