महाकाल मंदिर में सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे की विवादास्पद पूजा: नियमों की अनदेखी

Worship of CM Eknath Shinde’s son in Mahakal temple: Question on ignoring rules

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आम और खास सभी के लिए एक ही नियम का दावा किया जाता रहा है, लेकिन वीआईपी कल्चर और प्रभावशाली लोगों के नियम तोड़ने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने परिवार सहित गर्भगृह में पूजा अर्चना कर मंदिर के नियम को तोड़ा है. हालांकि, अधिकारियों ने इस मामले में बिना अनुमति दर्शन के लिए गर्भगृह में जाने का दावा किया है.

गुरुवार (17 अक्तूबर) की शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और मुंबई से सांसद श्रीकांत शिंदे परिवार के साथ महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने वीआईपी पॉइंट के जरिए दर्शन के लिए अधिकारियों से आग्रह किया. इसके बाद महाकालेश्वर मंदिर समिति के बड़े अधिकारी के पीए के साथ श्रीकांत शिंदे का परिवार गर्भगृह तक पहुंच गया. इस दौरान उनके साथ उज्जैन जिले के एक बीजेपी विधायक भी मौजूद रहे.

यहां सभी ने उस समय गर्भगृह में जाकर पूजा अर्चना की, जब भगवान महाकाल का भांग से श्रृंगार चल रहा था. इस घटना के बाद हंगामा मच गया है. कांग्रेस के विधायक महेश परमार ने मंदिर की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, “भगवान के दरबार में भी बीजेपी सरकार आम और खास के बीच मतभेद कर रही है. यह न्यायोचित नहीं है.”

महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष ने क्या कहा?
महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में नियम सबके लिए बराबर है. उन्होंने कहा, किसी को भी अनुमति नहीं दी गई है कि वह गर्भगृह में जाकर पूजा अर्चना करे. प्रोटोकॉल के तहत जिन्हें अनुमति है, केवल वही प्रवेश कर सकते हैं. इनमें महामंडलेश्वर, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित वीआईपी शामिल हैं. महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ का भी कहना है कि उन्होंने भी किसी को गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं दी थी.

महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद हुए कई महीने हो गए हैं. महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में सभी को गर्भगृह से दर्शन कराया जाना मुश्किल है. यदि महाकालेश्वर मंदिर समिति गर्भगृह दर्शन शुरू करवा देती है, तब भी 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को अंदर से दर्शन कराया जाना मुश्किल है. जबकि गर्भगृह में जब दर्शन शुरू होते हैं तो बाहर से श्रद्धालुओं के दर्शन में परेशानी होती है. इस वजह से मंदिर समिति ने गर्भगृह दर्शन को पूरी तरह बंद कर रखा है. पहले 750 रुपये की रसीद कटवा कर श्रद्धालुओं को अंदर प्रवेश दिया जाता था.

ऐसा नहीं है कि महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जाकर पहली बार किसी जनप्रतिनिधि ने नियम तोड़ा है. पहले भी कई बार इस तरह की तस्वीरें आ चुकी हैं. मंदिर समिति द्वारा आम लोगों के गर्भगृह में प्रवेश की कोशिश करने पर भी एफआईआर दर्ज कर दी जाती है, लेकिन रसूखदार लोगों पर अभी तक महाकालेश्वर मंदिर समिति का नियम पूरी तरह लागू नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि शिव भक्तों में भी मंदिर समिति की दोहरी नीति को लेकर आक्रोश है. महाकालेश्वर मंदिर के भक्त राजेश प्रजापति का कहना है कि मंदिर में सभी के लिए नियम बराबर होना चाहिए.

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