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वडोदरा
कर्नल सोफिया कुरैशी, ऑपरेशन सिंदूर के बाद से चर्चा में आया वह नाम जिस पर आज हर भारतीय गर्व महसूस कर रहा है। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने के लिए भारतीय सेना ने जिन दो महिलाओं को चुना उनमें से एक थीं कर्नल सोफिया कुरैशी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी एक-एक जानकारी सामने रखी और बताया कि कैसे पाकिस्तान में चल रही आतंकी की फैक्ट्रियों को मिट्टी में मिलाया गया। सोफिया कुरैशी और उनकी जुड़वा बहन शायना सुनसारा सेना में रहे अपने दादा से सैन्यकर्मियों की वीरता और बलिदान की कहानियां सुनकर बड़ी हुईं। कई सालों बाद, सोफिया ने सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा जताई तो, तो उनके परिवार ने बिना किसी हिचकिचाहट के उनके फैसले का दृढ़ता से समर्थन किया। आज अपनी बहन को इस मुकाम पर देख शायना सुनसारा भी गर्व से भर उठी हैं।

गोल्ड मेडलिस्ट से लेकर फैशन डिजाइनर तक, हर जगह गाड़े झंडे
कर्नल कुरैशी और सुनसारा का जन्म गुजरात के वडोदरा में एक सैन्य परिवार में हुआ था। शायना सुनसारा भी अपनी जुड़वां बहन कर्नल सोफिया कुरैशी की तरह कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं। वह एक मा, एक अर्थशास्त्री, पूर्व आर्मी कैडेट, फैशन डिजाइनर और एक पर्यावरणविद् भी हैं। डॉ. शायना सुनसारा को वडोदरा की "वंडर वुमन" के तौर पर भी जाना जाता है। वह मिस गुजरात, मिस इंडिया अर्थ 2017 और मिस यूनाइटेड नेशंस 2018 का ताज भी अपने नाम कर चुकी हैं। सुनसारा राइफल शूटिंग गोल्ड मेडलिस्ट (भारत के राष्ट्रपति) भी हैं। इसके अलावा भारतीय फैशन उद्योग में अपने योगदान के लिए 2018 में प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। वह एक मॉडल भी हैं और उन्हें गुजरात में एक लाख पेड़ लगाने की उनकी पहल के लिए भी जाना जाता है।

कोई नहीं जानता था ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देंगी सोफिया
शायना सुनसारा एचटी सिटी को बताया कि उनके परिवार में कोई भी यह नहीं जानता था कि कर्नल सोफिया कुरैशी ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि एक रिश्तेदार ने उन्हें फोन करके टीवी ऑन करने को कहा और तभी उन्हें इस बारे में पता चला। सुनसारा ने कहा, "यह न केवल हमारे लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का पल था। हमारी सरकार और पीएम मोदी ने बहुत बढ़िया जवाब दिया।

कौन हैं सोफिया कुरैशी?
सोफिया कुरैशी का जन्म कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ। उन्होंने 1997 में मनोनमनियम सुंदरनार (एमएस) यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की।महत्वपूर्ण सिग्नल कोर में अधिकारी के रूप में कार्यरत, कुरैशी को 2006 में लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक की भूमिका के लिए चुना गया था, और वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाढ़ राहत अभियानों का हिस्सा रही थीं।

2016 में भी कायम की थी मिसाल
कुरैशी ने उस समय नई मिसाल कायम की थी, जब 2016 में वह आसियान देशों के बीच शांति बनाए रखने में अंतर-संचालन के लिए भारत द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय क्षेत्रीय प्रशिक्षण अभ्यास, फोर्स 18 में अपनी सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं। वह संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण दल के हिस्से के रूप में अन्य देशों में भी जा चुकी हैं। रक्षा मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर महिला दिवस पर एक पोस्ट में कुरैशी की तस्वीर शेयर करते हुए कहा था, 2016 में फोर्स18-आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना प्रशिक्षण टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी। वह सभी आसियान प्लस टुकड़ियों में एकमात्र महिला अधिकारी टुकड़ी कमांडर थीं।

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