भोपाल। अव्यावहारिक दरें डालकर टेंडर प्राप्त करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए 80 प्रतिशत से कम दरें डालने वाले निविदाकर्ताओ से अंतर की दोगुनी परफार्मेंस गारंटी ली जाएगी। इसके साथ ही बैंक गारंटी के स्थान पर फिक्स्ड डिपॉजिट रिसिप्ट के माध्यम से परफार्मेंस सिक्योरिटी लिए जाने पर भी लोक निर्माण विभाग विचार कर रहा है।
पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने प्रशासनिक अकादमी में निर्माण क्षेत्र में नवीन तकनीकों पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भेज कर तीन अध्ययन दल से निविदा शर्तों का अध्ययन कराया गया।
इन दलों से प्राप्त सुझावों को इस कार्यशाला में सम्मिलित करते हुए इन पर विस्तार से चर्चा की गई। अब इसी आधार पर निविदा शर्तों को ऐसा बनाया जाएगा कि सभी तरह के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में कोई गड़बड़ी न हो। इससे निर्माण कार्यों को और अधिक पारदर्शी, गुणवत्तापूर्ण एवं अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
सिंह ने कहा कि प्रस्तावित नई निविदा नीति से क्षमता से अधिक कार्यों के ठेके लेने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए बिड कैपेसिटी संबंधी शर्तों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। निविदाकर्ता के पास बैच मिक्स प्लांट, डब्लू एम एम मिक्स प्लांट एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता संबंधी शर्त जोड़ने का सुझाव मिला है।
उल्लेखनीय है कि सभी निर्माण विभागों के लिए एक मानक निविदा दस्तावेज वर्ष 2014 में तैयार किया गया था। कालांतर में हुए तकनीकी विकास और नियमों में परिवर्तन के कारण इस दस्तावेज में अनेक सुधारों की गुंजाइश है।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता एमडी एमपीआरडीसी अविनाश लावनिया,एमडी एमपीबीडीसी डॉ पंकज जैन,ईएनसी पीडब्ल्यूडी केपीएस राणा, ईएनसी (भवन) एसआर बघेल एवं ईएनसी भवन विकास निगम अनिल श्रीवास्तव सहित विभाग के अन्य सभी मुख्य अभियंता, वरिष्ठ अधिकारी एवं इंजीनियर उपस्थित रहे।
- दो करोड़ से अधिक लागत वाली सभी निविदाओं में प्री क्वालिफिकेशन शर्तें लागू की जाएं पूर्व में यह सीमा पांच करोड़ थी।
- अनुमानित लागत के 20 प्रतिशत के बराबर के तीन कार्यों के अनुभव के स्थान पर 40 प्रतिशत के तीन कार्यों को रखा जाए।
- निविदाकर्ता के पास उपलब्ध मानव संसाधन और उपकरणों के लिए न्यूनतम शर्तें जोड़ी जाएं।
- दो करोड़ से अधिक के सड़क निर्माण कार्यों के लिए निर्माण स्थल पर गुणवत्ता परीक्षण लेब की स्थापना अनिवार्य की जाए।
- गुणवत्ता नियंत्रण के लिए समय-समय पर किए जाने वाले परीक्षणों, डामर की गुणवत्ता आदि से संबंधित शर्तें भी जोड़ी जाए।
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