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रायपुर.

नागपुर से कोलकाता जा रही फ्लाइट में बम की झूठी जानकारी देने के मामले में नया मोड़ आया है। इस केस में जिस व्यक्ति को रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का अधिकारी है। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी को जायज ठहराते हुए दावा किया कि उसने झूठी जानकारी दी थी। इस वजह से पिछले महीने नवंबर में 187 यात्रियों से भरी उड़ान की रायपुर में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी।

आरोपी व्यक्ति को रायपुर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 351 (4) (अनाम संचार द्वारा आपराधिक धमकी) और नागरिक उड्डयन सुरक्षा अधिनियम, 1982 के विरुद्ध गैरकानूनी कृत्यों के दमन के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि अनिमेष मंडल (44) आईबी के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट रैंक के अधिकारी हैं जो नागपुर में तैनता हैं। वे निर्दोष हैं, उनके वकील फैजल रिजवी ने दो दिन पहले ये बातें बताई। मंडल ने 14 नवंबर को इंडिगो की उड़ान के उड़ान भरने के बाद पायलट से कथिततौर पर कहा था कि विमान में बम है। विमान को रायपुर डायवर्ट किया गया, लेकिन लैंडिंग के बाद गहन तलाशी के बाद सूचना गलत पाई गई। वकील रिजवी के मुताबिक, मंडल के विमान में चढ़ने के बाद उसे अपने स्रोत से बम के बारे में सूचना मिली। वकील ने पूछा कि पुलिस ने तुरंत यह खुलासा क्यों नहीं किया कि वह आईबी का अधिकारी है। रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने कहा कि पुलिस ने उसे हिरासत में लिए जाने के तुरंत बाद आईबी को सूचित किया और स्थानीय पुलिस और आईबी की संयुक्त टीम  की ओर से उससे पूछताछ करने और उसकी ओर से शेयर की गई जानकारी को फर्जी पाए जाने के बाद ही उसे गिरफ्तार किया गया। मंडल के कृत्य ने दहशत पैदा कर दी और यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान को खतरे में डाल दिया। इस बीच, अधिवक्ता रिजवी ने दावा किया कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोपी व्यक्ति पर केवल विशेष अदालत की ओर से मुकदमा चलाया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई निर्दिष्ट अदालत नहीं है। उनके मुवक्किल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे। वहां ऐसे मामलों की सुनवाई करने की अंतर्निहित शक्तियां हैं और वो जमानत की मांग करेंगे।

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