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भोपाल

आरएसएस के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बड़ी बैठक करने जा रही है। बेंगलुरु में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 18 से 20 अप्रैल 2025 के बीच होने की संभावना है। जानकार सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का अनुमोदन किया जाएगा। हालांकि, सूत्रों का यह भी कहना है कि बेंगलुरु में बैठक आयोजित कर भाजपा राजनीतिक दृष्टि से देश में परिसीमन और भाषा को लेकर उत्तर-दक्षिण के नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश करेगी। साथ ही, दक्षिण भारत में यह संदेश देने का प्रयास होगा कि भाजपा उत्तर भारत की तरह इस क्षेत्र को भी समान महत्व देती है।

 तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके परिसीमन के बहाने उत्तर बनाम दक्षिण का नैरेटिव खड़ा कर रही है। डीएमके का आरोप है कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से दक्षिण भारत की लोकसभा सीटें कम होंगी, जबकि उत्तर भारत में सीटें बढ़ेंगी। इसके जवाब में भाजपा लगातार कहती रही है कि परिसीमन से दक्षिण भारत को कोई नुकसान नहीं होगा। डीएमके हिंदी और हिंदुत्व के मुद्दे पर भी भाजपा पर हमलावर रही है। हालांकि, भाजपा ने अभी आधिकारिक तौर पर बेंगलुरु बैठक की घोषणा नहीं की है, लेकिन 18 से 20 अप्रैल को इस आयोजन को लगभग तय माना जा रहा है।

नए हिंदू नववर्ष में नए अध्यक्ष की घोषणा
बेंगलुरु बैठक में भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इससे पहले 30 मार्च 2025 से शुरू होने वाले नए हिंदू नववर्ष में पार्टी कभी भी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। तब तक आधे से अधिक राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाएंगे, जिससे निर्वाचक मंडल का कोरम भी पूरा हो जाएगा। चूंकि 6 अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस है, इसलिए सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या पार्टी को नया अध्यक्ष स्थापना दिवस के मौके पर मिलेगा या इसके बाद।

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नामों की चर्चा जोरों पर है। इनमें से कुछ प्रमुख संभावित उम्मीदवार इस प्रकार हैं:

दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (Daggubati Purandeswari) – दक्षिण भारत से एक मजबूत महिला चेहरा, जो भाजपा की आंध्र प्रदेश इकाई की अध्यक्ष हैं। उनकी उम्मीदवारी से दक्षिण में पार्टी की पैठ मजबूत करने की रणनीति को बल मिल सकता है।

शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) – मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता, जिनके पास संगठन और शासन का व्यापक अनुभव है।

मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री, जो आरएसएस के करीबी माने जाते हैं और संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते हैं।

भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) – केंद्रीय मंत्री और राजस्थान से आने वाले नेता, जिन्हें संगठन और सरकार में समन्वय का अच्छा अनुभव है।

धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) – केंद्रीय मंत्री और ओडिशा से प्रमुख चेहरा, जो पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में पार्टी को मजबूत कर सकते हैं।

वनाथि श्रीनिवासन (Vanathi Srinivasan) – तमिलनाडु से एक और महिला नेता, जो दक्षिण भारत में भाजपा की उपस्थिति बढ़ाने में मददगार हो सकती हैं।

इन नामों के अलावा कुछ अन्य नेताओं की भी चर्चा है, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा नेतृत्व और आरएसएस के बीच सहमति पर निर्भर करेगा। बेंगलुरु बैठक इस दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।

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