MY SECRET NEWS

VP Resignation पर राकेश टिकैत का तीखा वार: “धनखड़ को इस्तीफा नहीं दिया गया, दिलवाया गया”

VP Resignation पर राकेश टिकैत का तीखा वार: “धनखड़ को इस्तीफा नहीं दिया गया, दिलवाया गया”

Rakesh Tikait’s sharp attack on VP Resignation: “Dhankhar was not given resignation, he was made to resign” नई दिल्ली ! भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बड़ा बयान दिया है। टिकैत का कहना है कि यह स्वेच्छा से दिया गया इस्तीफा नहीं, बल्कि ‘पूंजीपतियों की सरकार’ द्वारा लिया गया त्यागपत्र है। उन्होंने दावा किया कि जो भी सरकार के विरुद्ध, गांव-गरीब और किसान की बात करेगा, उसे व्यवस्था से बाहर कर दिया जाएगा। मंगलवार को अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए टिकैत ने कहा — “धनखड़ हमेशा गांव, गरीब और किसान की बात करते थे। ऐसी बात करने वाले इस सरकार में टिक नहीं सकते। इस सरकार में पूंजीपतियों की चलेगी, न कि किसानों की।” उन्होंने आगे कहा कि इस्तीफे से पहले कोई भी मेडिकल कारण या स्पष्ट राजनीतिक स्थिति सामने नहीं आई। “यह सीधा संकेत है कि सरकार अब पूरी तरह पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है। राजनीतिक दलों और संवैधानिक पदों पर भी अब नियंत्रण कर लिया गया है।” टिकैत ने भाजपा पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा — “अब जो 50 साल से कम उम्र के लोग पार्टी में समझौते करेंगे, उन्हें दुष्यंत चौटाला बना दिया जाएगा, और जो उससे ऊपर होंगे, उन्हें सतपाल मलिक या फिर जगदीप धनखड़ जैसा बना दिया जाएगा।” “अबकी बार ढोल किसी और के दरवाजे पर बजेगा”इस लाइन के जरिए टिकैत ने आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अबकी बार परिणाम सत्ता पक्ष के अनुकूल नहीं होंगे। “गांव तक के लोग कह रहे हैं कि इस्तीफा लिया गया है। यानी जनता सब समझ रही है।” क्या यह लोकतंत्र बनाम कॉरपोरेट का संघर्ष है?टिकैत के इस बयान को केवल एक किसान नेता की टिप्पणी नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक असंतोष की आवाज के रूप में देखा जा रहा है। यह उस विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता है, जो सत्ता में किसानों और ग्रामीण भारत की भागीदारी कम होने पर सवाल उठा रही है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 41

विरोध का नया स्वर: OBC समागम व विपक्षी गठबंधन की रणनीति’

विरोध का नया स्वर: OBC समागम व विपक्षी गठबंधन की रणनीति’

New voice of protest: OBC Sammelan and the strategy of opposition INDIA alliance कांग्रेस द्वारा 25 जुलाई को आयोजित “OBC न्याय और भागीदारी सम्मेलन” केवल एक विपक्षी सभा नहीं, बल्कि उनको जातीय जनगणना और आरक्षण सीमा हटाने जैसे संवैधानिक मुद्दों पर नया मोर्चा खोलने की रणनीति है CM सिद्धारमैया ने ‘अहिन्दा मॉडल’ को राष्ट्रीय दृष्टिकोण के रूप में पेश करते हुए इसे सामाजिक न्याय की मिसाल बतायायह पूरी योजना कांग्रेस द्वारा पिछड़े वर्गों की राजनीतिक शक्ति को फिर से केंद्रित करने का स्पष्ट संकेत है। 19 जुलाई को हुई वर्चुअल बैठक में सीट बंटवारे, साझा घोषणा पत्र और आगामी चुनावी रणनीति जैसे विषयों पर विपक्षी दलों के बीच समन्वय की समीक्षा हुईबीजेपी के बढ़ते चुनावी दबाव को देखते हुए यह बैठकों का सिलसिला अब और तेज़ हो रहा है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि दोनों ही दल विरोधी के बिल्कुल समान मुद्दे उठाते हुए जनता के बीच अलग-अलग प्रस्तुति दे रहे हैं। कांग्रेस ने OBC सम्मेलन को न सिर्फ नैरेटिव बदलने का जरिया बनाया है, बल्कि उससे आक्रामक विपक्षी रणनीति भी तैयार कर रही है।INDIA गठबंधन की बैठक इस दिशा में पहला ठोस कदम है, लेकिन इसके लिए राष्ट्रव्यापी समन्वय और स्पष्ट नेतृत्व की भी आवश्यकता है।बीजेपी और कांग्रेस के बीच की ‘कॉपिकैट’ रणनीतियों से स्पष्ट है कि आगामी चुनावी चर्चाएँ वस्तुनिष्ठ मुद्दों से हटकर प्रतीकात्मक राजनीति की ओर बढ़ रही हैं—जहां असली मुकाबला संवाद की न बजाय जुबानी प्रतिस्पर्धा की होगी। चुनौती और अवसर यदि विपक्ष की ये रणनीतियाँ स्थानीय जनभावनाओं से जुड़कर आगे बढ़ाईं गयीं, तो बीजेपी को न सिर्फ जवाबी मोर्चा बनाना पड़ेगा, बल्कि उसे नई राजनीतिक जोर जुटाना होगा।वहीं बीजेपी की जातिगत जनगणना अधिसूचना कांग्रेस की ओबीसी रणनीति को जबाव देने की सीधी कोशिश है—लेकिन देखना यह है कि कौन जनता को असली बदलाव का भरोसा दिला पाता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 55

लोकतंत्र की जड़ें हिलाने वाला फैसला! मोदी सरकार के दबाव में था चुनाव आयोग? विपक्ष ने किया बड़ा खुलासा

लोकतंत्र की जड़ें हिलाने वाला फैसला! मोदी सरकार के दबाव में था चुनाव आयोग? विपक्ष ने किया बड़ा खुलासा

A decision that shook the roots of democracy! Was the Election Commission under pressure from the Modi government? The opposition made a big revelation Election Commission under Modi government जब लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रहरी, चुनाव आयोग, की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होने लगें, तब यह केवल एक संस्थान की विफलता नहीं होती, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे की जड़ें हिलती हैं। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के संदर्भ में जो कुछ हुआ, वह इस बात का उदाहरण है कि अगर विपक्ष सजग न होता, तो एक बड़ा फर्जीवाड़ा बिना किसी शोर के अंजाम दिया जा सकता था। विपक्ष ने जब इस मुद्दे पर आवाज़ उठाई, तब उसकी नीयत पर संदेह किया गया, आरोपों का मज़ाक उड़ाया गया। लेकिन गनीमत है कि विपक्ष झुका नहीं, डटा रहा और आखिरकार चुनाव आयोग को अपना फैसला बदलना पड़ा। छह दिन के भीतर आयोग ने स्पष्ट किया कि 60 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को अब दस्तावेज़ देने की ज़रूरत नहीं होगी। यह ‘यू-टर्न’ कई सवाल खड़े करता है। सवाल यह नहीं है कि आयोग ने फैसला क्यों बदला, बल्कि यह है कि उसने पहला फैसला किस दबाव में लिया था? विपक्ष का दावा है कि यह पूरा मामला मोदी सरकार के इशारे पर खेला जा रहा था — यह संदेह यूं ही नहीं उठता। यदि तीन करोड़ से अधिक मतदाताओं की जांच का काम जारी रहेगा, तो यह भी तय है कि यह जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, वरना लोकतंत्र की यह बुनियादी प्रक्रिया ही संदेह के घेरे में आ जाएगी। Read more: दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म स्टूडियो कहां है? | World’s Largest Film Studio in Hindi यहाँ एक और चिंता की बात यह है कि बीजेपी जैसी पार्टी, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देती है, उसे यह लोकतांत्रिक असंतुलन क्यों नहीं दिखा? क्या यह संभव है कि नई वोटर लिस्ट के जरिए विपक्ष समर्थित मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा था? यदि नहीं, तो फिर इतनी जल्दबाजी और दबाव में फैसला क्यों लिया गया? चुनाव आयोग संविधान के प्रति जवाबदेह है, न कि किसी सरकार के प्रति। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार उसकी निष्पक्षता पर बार-बार सवाल उठे हैं, वह एक बड़े खतरे का संकेत है। यह केवल बिहार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक नींव पर सवाल है। Election Commission under Modi government विपक्ष का सजग रहना, सवाल पूछना और निर्णयों की समीक्षा कराना अब केवल उसका हक नहीं, बल्कि उसकी ज़िम्मेदारी बन चुकी है। यह एक बार फिर सिद्ध हुआ कि यदि सवाल नहीं पूछे जाते, तो जवाबदेही भी नहीं होती। अब समय है कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से आगे बढ़े, इस पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक करे और यह स्पष्ट करे कि उसके निर्णय स्वतंत्र थे या किसी दबाव का परिणाम। लोकतंत्र का मूल्य तभी है जब हर मतदाता को पूरा विश्वास हो कि उसका वोट गिना जाएगा — न कि जांच की आड़ में गुम कर दिया जाएगा। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 93

डिजिटल इंडिया या मौत का इंतज़ार? सरकार बताए—30 सेकंड की चेतावनी जरूरी है या ज़िंदगी?

डिजिटल इंडिया या मौत का इंतज़ार? सरकार बताए—30 सेकंड की चेतावनी जरूरी है या ज़िंदगी?

Digital India or waiting for death? Government should tell-30 seconds warning is more important or life? Digital India or waiting for death देश डिजिटल युग में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, लेकिन अफसोस कि तकनीक की यही तेज़ रफ्तार अब आम आदमी की जिंदगी में देरी का कारण बन रही है और कभी-कभी मौत का भी। बीते दिनों एक दिल दहला देने वाली घटना में महज 38 सेकंड में 242 जिंदगियां जलकर राख हो गईं। अब कल्पना कीजिए कि अगर उन क्षणों में किसी ने मदद के लिए फोन मिलाया होता, तो उसे पहले 30 सेकंड अमिताभ बच्चन की साइबर क्राइम चेतावनी सुननी पड़ती। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल व्यवस्था की एक क्रूर सच्चाई है। सरकार और दूरसंचार कंपनियों ने साइबर सुरक्षा को लेकर कॉल से पहले एक चेतावनी संदेश जारी करना शुरू किया है, जिसमें मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन की आवाज़ में लोगों को आगाह किया जाता है। लेकिन यह चेतावनी अब सामान्य सुविधा नहीं, बल्कि आपात स्थिति में बाधा बन चुकी है। Digital India or waiting for death सोचिए अगर कोई सड़क हादसे का शिकार हो गया हो, कोई महिला संकट में हो, या किसी को दिल का दौरा पड़ा हो — उस समय हर सेकंड कीमती होता है। वहां 30 सेकंड का यह चेतावनी संदेश जान ले सकता है। किसी तकनीकी या साइबर धोखाधड़ी से बचाने के नाम पर अगर हम इंसानों की जान को दांव पर लगाएं, तो यह नीतिगत असंवेदनशीलता ही कहलाएगी। Read more: घरेलू कामों को बोझ न समझें, बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली की कुंजी मानें! इस पूरे मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, दूरसंचार मंत्रालय और नेटवर्क कंपनियां तीनों ही मौन हैं। क्या इन संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे जनता की सुरक्षा और सुविधा के संतुलन को समझें? टेक्नोलॉजी का उद्देश्य सुविधा देना होता है, न कि बाधा बनना। यह कहना उचित है कि साइबर क्राइम से बचाव ज़रूरी है, लेकिन यह तभी तक उपयोगी है जब तक वह जीवन रक्षक साधनों में हस्तक्षेप न करे। अगर कोई व्यक्ति दिन में 10 बार कॉल कर रहा है, तो हर बार वही चेतावनी सुनाना न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि जनता की सुनने की क्षमता और धैर्य की परीक्षा भी है। जब एक बार चेतावनी पर्याप्त हो सकती है, तो उसे हर कॉल पर सुनाना किस तर्क पर आधारित है? यह व्यवस्था नागरिकों की आपात प्रतिक्रिया क्षमता को कुंद करती है। समस्या की जड़ यह भी है कि हमने तकनीकी सुधार को जनता की जमीनी जरूरतों से अलग कर दिया है। अधिकारी वातानुकूलित कार्यालयों में बैठकर साइबर क्राइम से बचाव के लिए चेतावनियां जारी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह अंदाज़ा नहीं कि वास्तविक भारत में इंटरनेट की गति और मोबाइल नेटवर्क आज भी कमजोर है। उस पर यह 30 सेकंड की जबरन चेतावनी — यह सिर्फ फोन कॉल नहीं रोकती, बल्कि संवेदनशीलता का गला घोंट देती है। ज़रूरत है कि दूरसंचार मंत्रालय इस पर तुरंत संज्ञान ले और एक व्यावहारिक समाधान निकाले। चेतावनी दिन में केवल एक बार दी जाए, या आपातकालीन कॉल (जैसे 112, 100, 101) के लिए यह बाध्यता पूरी तरह से हटाई जाए। साथ ही, नेटवर्क कंपनियों को इस दिशा में जवाबदेह बनाया जाए। यह भी आवश्यक है कि इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं हस्तक्षेप करें, क्योंकि यह मुद्दा तकनीकी से कहीं बढ़कर — मानव जीवन की सुरक्षा से जुड़ा है। आज ज़रूरत है कि हम एक ऐसी डिजिटल व्यवस्था बनाएं, जो नागरिक को जागरूक तो करे, पर उसकी जान बचाने में बाधा न बने। वरना अगली बार जब कोई आपातकाल में फोन मिलाएगा, तो हो सकता है वह आपका कॉल साइबर सुरक्षा के लिए रिकॉर्ड किया जा रहा है सुनते-सुनते दुनिया से ही कटा रह जाए। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 85

क्या आपकी प्राइवेसी खतरे में है? सोशल मीडिया, सरकार और निगरानी की सच्चाई

क्या आपकी प्राइवेसी खतरे में है? सोशल मीडिया, सरकार और निगरानी की सच्चाई

Is your privacy at risk? The truth about social media, government and surveillance Is your privacy at risk आज हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जहाँ सूचना ही शक्ति है — लेकिन ये शक्ति अब आम नागरिकों के हाथ से निकलकर सरकारों, कॉर्पोरेशनों और डेटा एग्रीगेटिंग प्लेटफॉर्म्स के पास चली गई है। हमने अपनी मर्जी से, बिना कुछ समझे, सोशल मीडिया पर वह सब साझा कर दिया जो कभी सिर्फ घर की चारदीवारी में सुरक्षित था। फोटो, लोकेशन, पसंद-नापसंद, रिश्ते, विचार—हर चीज़ हमने पोस्ट की, लाइक की, शेयर की। शुरू में ये एक आज़ादी जैसी लगी, लेकिन यह आज़ादी धीरे-धीरे एक जाल में बदल गई। Is your privacy at risk जब हम अपनी निजी ज़िंदगी का डिजिटल खाका खुद ही खींच रहे थे, तब न सरकारें दिखती थीं और न ही राजनीतिक एजेंडा। पर जैसे ही यह डेटा बढ़ा, सरकारें चौकन्नी हुईं, निगरानी शुरू हुई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इसे मॉनेटाइज करना शुरू कर दिया। अब यह डेटा हमारे खिलाफ हथियार बन चुका है। Read more: भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि वेब स्टोरी आज का यथार्थ यही है कि सोशल मीडिया पर दी गई हर जानकारी का इस्तेमाल हमारी मानसिकता को प्रभावित करने, हमें उपभोक्ता में बदलने और कभी-कभी राजनीतिक टूल बनाने तक में हो रहा है। यह न केवल व्यक्ति की निजता, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा के लिए भी खतरा है। हमें यह समझना होगा कि Is your privacy at risk प्राइवेसी कोई सुविधा नहीं, बल्कि एक मूलभूत अधिकार है। जब तक हम इसके महत्व को नहीं समझेंगे, तब तक हम और हमारा समाज लगातार नियंत्रण में आता जाएगा। हमें खुद तय करना होगा कि हम तकनीक का इस्तेमाल करेंगे या तकनीक हमारा इस्तेमाल करेगी। प्राइवेसी ही पावर है। यही वह शक्ति है जो हमें सवाल पूछने, सोचने और चुनने की आज़ादी देती है। इसे समझना, इसकी रक्षा करना आज पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। यदि आप इस विषय में जागरूकता फैलाना चाहते हैं, तो इस लेख को अधिक से अधिक साझा करें — क्योंकि सोच तभी बचेगी जब निजता बचेगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 42

ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसते युवा: कर्ज, लत और तबाही की ओर ले जाते ऐप्स, सरकार की चुप्पी चिंता का कारण

ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसते युवा: कर्ज, लत और तबाही की ओर ले जाते ऐप्स, सरकार की चुप्पी चिंता का कारण

Youth getting caught in the trap of online gaming: Apps leading to debt, addiction and destruction, government’s silence is a cause of concern नई दिल्ली ! online gaming a government’s silence देश में ऑनलाइन फैंटेसी गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग प्लेटफॉर्म्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, और इसके चपेट में लाखों युवा आ चुके हैं। जल्दी अमीर बनने का सपना, उन्हें एक ऐसे रास्ते पर धकेल रहा है जहाँ लत, कर्ज और कई बार आत्महत्या जैसे खतरनाक परिणाम सामने आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई मामलों में सामने आया है कि युवा बार-बार इन ऐप्स पर पैसा लगाते हैं, हारते हैं, कर्ज लेते हैं और अंततः मानसिक अवसाद में चले जाते हैं। कई युवाओं ने तो कर्ज के बोझ तले आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम तक उठा लिया है। सरकार की नीतियों पर उठते सवाल online gaming a government’s silence प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने डिजिटल इंडिया”, “स्टार्टअप इंडिया”, और “मेक इन इंडिया जैसे अभियानों से युवाओं को नए भारत का सपना दिखाया था, लेकिन हकीकत यह है कि न नई नौकरियों का ठोस रोडमैप सामने आया, न तकनीकी शिक्षा को लेकर ठोस सुधार। सरकार की ओर से इन ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग प्लेटफॉर्म्स को अप्रत्यक्ष रूप से मान्यता मिलने और इन पर किसी भी स्पष्ट नियमन की कमी से हालात और खराब हो रहे हैं। क्या चाहिए ठोस नीति और सख्त नियंत्रण online gaming a government’s silence विशेषज्ञों और अभिभावकों का कहना है कि इन ऐप्स को लेकर स्पष्ट और सख्त कानून बनाए जाने चाहिए, ताकि युवा इन लतों से दूर रहें और उनका भविष्य सुरक्षित हो।सवाल यह है कि जब युवाओं को इस देश का भविष्य कहा जाता है, तो फिर सरकार कब इन ऐप्स की लूट पर लगाम लगाएगी? Read More: कर्नल सोफिया केस में नया मोड़: मंत्री विजय शाह को एसआईटी भेजेगी नोटिस, जल्द होगी पूछताछ मुख्य बिंदु वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार ने शीघ्र ठोस क़दम नहीं उठाए, तो डिजिटल गैंबलिंग से जुड़ा सामाजिक-आर्थिक संकट और गहराएगा। उद्योग का आकार जितना बड़ा होगा, उतना ही मुश्किल होगा इसे नियंत्रित करना। निष्कर्ष: तेज़ टेक्नोलॉजी और सुस्त नीति के बीच फँसते युवाओं को बचाने के लिए कई मंत्रालयों की समन्वित रणनीति और सख़्त नियम अनिवार्य हैं। वरना “डिजिटल इंडिया” का सपना, कर्ज़ और लत की स्याही से धुँधला हो सकता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 53

डिग्री मिलती है, नौकरी नहीं मोदी सरकार क्या सिर्फ सपना बेचती है?

डिग्री मिलती है, नौकरी नहीं मोदी सरकार क्या सिर्फ सपना बेचती है?

You get a degree, but not a job. Does the Modi government only sell dreams? नई दिल्ली। Modi government only sell dreams? देश के लाखों युवाओं के लिए इंजीनियरिंग एक समय में भविष्य की गारंटी थी। आज यही पढ़ाई एक बेरोजगारी का टिकट बनकर रह गई है। सवाल उठता है क्या मोदी सरकार को इसका अंदाज़ा है, या जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है? पिछले दस वर्षों में IT सेक्टर की शुरुआती सैलरी में कोई ठोस वृद्धि नहीं हुई, जबकि महंगाई, फीस और रहन-सहन का खर्चा लगातार आसमान छूता रहा। एक इंजीनियर बनने के लिए छात्र 4 साल और लाखों रुपये खर्च करता है, और बदले में उसे मिलता है। 15-25 हज़ार की नौकरी, वो भी किस्मत से। मोदी सरकार, जिसने “डिजिटल इंडिया”, “स्टार्टअप इंडिया” और “मेक इन इंडिया” जैसे नारों से युवाओं को सपने दिखाए थे, अब उन्हीं युवाओं को बिना दिशा, बिना नीति और बिना सहारे के छोड़ चुकी है। न नई नौकरियों का ठोस रोडमैप, न तकनीकी शिक्षा को लेकर कोई नीति सुधार। जिस सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को बीजेपी ने कभी अपनी राजनीतिक ताकत का आधार बनाया था, आज उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। मोदी सरकार के शासन में: IT सेक्टर में स्थिरता गायब हो गई है Modi government only sell dreams?निजी संस्थानों को बिना रेगुलेशन के लूट की छूट हैशिक्षा से लेकर रोजगार तक, हर जगह नीतिगत ठहराव और दिशाहीनता हैऔर सरकार केवल GDP के खोखले आंकड़ों से संतोष जता रही है किसका भला हो रहा है GDP से? Modi government only sell dreams?जब लाखों इंजीनियर बेरोजगार हैं, जब टेक्निकल डिग्रियां बेअसर हो चुकी हैं, जब कंपनियां सैलरी बढ़ाने को तैयार नहीं, तब यह ग्रोथ किसके लिए है? सरकार अगर युवाओं के भविष्य के प्रति गंभीर है तो उसे यह साफ़ करना होगाक्या इंजीनियरिंग अब भी भविष्य है, या ये सिर्फ़ बेरोजगारी की ट्रेनिंग है? अगर जवाब नहीं है, तो यह देश के करोड़ों परिवारों को साफ़-साफ़ बताया जाए।अगर जवाब हाँ है, तो उसकी नीति और गारंटी कहां है? आज देश का युवा पूछ रहा हैमोदी सरकार, जवाब दो। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 72