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Detailed information and benefits related to Arjuna tree which is rich in medicinal properties.

अर्जुन के पेड़ को औषधीय पेड़ माना जाता हैं क्यूंकि इसे बहुत सी दवाइयों के लिए उपयोगी माना जाता है। यह पेड़ ज्यादातर नदी और नालों के किनारे पाए जाते है। अर्जुन का पेड़ सदाहरित रहता हैं। अर्जुन के पेड़ को अन्य कई नामो से जाना जाता हैं जैसे ,घवल और नदीसर्ज। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 60 -80 फ़ीट ऊँची रहती हैं। अर्जुन का पेड़ ज्यादातर उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,बिहार और अन्य कई राज्यों नदियों के किनारे या सुखी नदियों के तल के पास पाए जाते है।

अर्जुन का पेड़ कैसा होता हैं

अर्जुन के पेड़ की लम्बाई काफी ऊँची रहती है। अर्जुन का पेड़ बहुत ही शुष्क इलाकों में पाया जाता हैं। अर्जुन के पेड़ को किसी भी मिटटी में उगाया जा सकता है। अर्जुन के पेड़ को अनुनारिष्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस पेड़ का उपयोग बहुत सालों से आयुर्वेदिक दवाइयों के लिए किया जा रहा है।

अर्जुन के पेड़ का फल कैसा होता हैं

अर्जुन के पेड़ का फल शुरुआत हल्के सफ़ेद और पीले रंग का होता हैं ,कुछ समय पश्चात जब फल में बढ़ोत्तरी होती हैं तो ये फल हरे और पीले रंग का दिखाई पड़ता हैं ,साथ ही इसमें से हल्की हल्की सुगंध भी आने लगती है। पकने के बाद ये फल लाल रंग का दिखाई पड़ने लगता है।

अर्जुन के पेड़ के पत्ते हैं लाभकारी

अर्जुन के पेड़ के पत्ते खाने से ये शरीर में जमा गंदे कॉलेस्ट्रॉल को बाहर निकलता हैं। इसका सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। इन पत्तों का सेवन करने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता हैं।

अर्जुन की छाल से मिलने वाले फायदे

अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से खून पतला होता हैं जो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित बनाये रखता है। इस छाल के काढ़े का उपयोग दो से तीन महीने लगातार करना चाहिए। इस काढ़े के उपयोग से रक्तश्राव कम होता है। यह ह्रदय के रक्तचाप जैसी गतिविधियों की क्षमता में सुधार लाता है।

पाचन किर्या में सहायक

अर्जुन का पेड़ पाचन किर्या में सहायक होता हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर लेने से ये पाचन तंत्र को संतुलित बनाये रखता है। यह बड़े हुए चर्बी को कम करने में मदद करता हैं ,अर्जुन की छाल का सेवन लिवर जैसी समस्याओं के लिए बेहतर माना जाता है। यह वजन घटाने में भी सहायता प्रदान करती है।

सर्दी खांसी में है लाभकारी

अर्जुन के पेड़ की छाल का कड़ा बनाकर पीने से या फिर अर्जुन के चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से सर्दी और खांसी दोनों में फायदा होता है। अर्जुन के पेड़ का रस औषिधि के रूप में सदियों से किया जा रहा हैं।

हड्डियों के जोड़ने में मददगार

अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग टूटी हुई हड्डियों या फिर मांसपेशियों में होने वाले दुखाव के लिए किया जाता हैं। इसमें छाल के चूर्ण को एक गिलास दूध में दो चम्मच चूर्ण मिलाकर पीने से हड्डियां मजबूत होती है। ये हड्डी में होने वाले दर्द से भी आराम दिलाता हैं।

अल्सर बीमारी में है फायदेमंद

अर्जुन का प्रयोग अल्सर जैसी बीमारी में भी किया जाता हैं। कई बार अल्सर का घाव जल्द ही नहीं भर पाता हैं। या फिर घाव सूखते ही दूसरे घाव निकल आते हैं ,इसमें अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर ,घाव को इससे धोये। ऐसा करने से घाव कम होने लगते हैं,साथ ही अल्सर जैसे रोग को भी नियंत्रित करता है।

अर्जुन की छाल से होने वाले नुकसान

अर्जुन के पेड़ को बहुत सी बीमारियों के लिए लाभकारी माना जाता हैं ,लेकिन इसके कुछ नुक्सान भी हैं जो शरीर पर गलत प्रभाव डालते है।

सीने में जलन होना

अर्जुन की छाल का सेवन बहुत से लोगो की सेहत के लिए ठीक नहीं रहता हैं, जिसकी वजह से उन्हें जी मचलना या घबराहट जैसी परेशानियां अक्सर हो जाती है। यदि आप छाल का सेवन कर रहे हैं और आपको ऐसा महसूस होता हैं की सीने में जलन या दर्द हो रहा हैं तो इसका उपयोग करना उसी वक्त छोड़ दे।

पेट में दर्द या ऐठन का महसूस होना

यदि छाल का उपयोग करने से आपको पेट में दर्द या और कोई परेशानी महसूस होती हैं तो छाल का सेवन करना बंद कर दे। हालाँकि अर्जुन एक आयुर्वेदिक जड़ीबूटी हैं लड़की कुछ लोगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

एलर्जी जैसो रोगों को जन्म देता हैं

अर्जुन के पेड़ की छाल का घोल बनाकर शरीर पर लगाया जाता हैं, यह त्वचा के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं। लेकिन इसका लेप बहुत से लोगो के शरीर एलेर्जी से जुडी समस्याओं को भी खड़ा कर देता हैं। यदि इस लेप का उपयोग करने के बाद शरीर में खुजली जैसी परेशानिया हो तो इस लेप का उपयोग न करें।

आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ को बहुत ही लाभकारी माना गया हैं। अर्जुन के पेड़ में सबसे ज्यादा उपयोग छाल का किया जाता हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल में मैग्नीशियम ,पोटेसियम और कैल्शियम पाया जाता है। इस पेड़ की छल का इस्तेमाल बहुत से रोगो में किया जाता हैं ,और ये लाभकारी भी है। अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग कैंसर सम्बंधित रोगो से निपटने के लिए भी किया जाता है। साथ ही इसके कुछ नुक्सान भी हैं। जो व्यक्ति पहले से किसी भी प्रकार की कोई दवाई ले रहा हैं ,उसे इसका सेवन डॉक्टर से परामर्श लेकर ही करना चाहिए।

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