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नई दिल्ली
अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक के लिए भगवंत मान अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली पहुंच गए हैं। पंजाब में पार्टी में बढ़ते असंतोष को देखते हुए AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यह बैठक बुलाई है। दिल्ली के कपूरथला हाउस में यह बैठक होगी। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि अरविंद केजरीवाल भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बैठक के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट मीटिंग भी टाल दी थी जो अब 13 फरवरी को बुलाई गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा के किसी हिंदू के भी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बयान से इन आशंकओं को बल मिला है जिस में उन्होंने कहा था कि जो आदमी डिजर्व करता है, उसे जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। देश में सिर्फ 2 फीसदी सिख, फिर भी डॉ. मनमोहन सिंह पीएम बने, तो किसी ने एतराज नहीं किया।  उधर, नेता प्रति पक्ष कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने 30 विधायक उनके संपर्क में होने की बात कह कर पंजाब से लेकर दिल्ली तक खलबली मचा दी है। प्रताप बाजवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के सीएम बनेंगे। हाल ही में लुधियाना वेस्ट से आप के विधायक गुरप्रीत गोगी का निधन हुआ है। यह सीट खाली हो है। केजरीवाल यहां से उपचुनाव लड़ेंगे। दिल्ली में हार के बाद आम आदमी पार्टी का पूरा बोझ पंजाब पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के नेताओं के बीच अंदरुनी जंग होगी और कई विधायक आम आदमी पार्टी से बगावत कर सकते हैं। इनमें से 30 कांग्रेस के संपर्क में हैं।

आप के सांसद कंग बोले, यह रूटीन मीटिंग
केजरीवाल के दिल्ली में मीटिंग लेने पर आप सांसद मालविंदर कंग ने कहा कि दिल्ली में संगठनात्मक मीटिंग है। केजरीवाल हमारी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। इस तरह की बैठकें किसी भी पार्टी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं।कांग्रेस के तो अपने विधायक उनसे दूर हैं, तो हमारे 30 कैसे संपर्क में होंगे। वहीं, आप के प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि ये रूटीन मीटिंग है। पंजाब के विधायकों व मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में प्रचार किया था। ऐसे में पार्टी नेताओं से फीडबैक लेगी। यह पार्टी की मर्जी है कि मीटिंग चंडीगढ़ में करें या दिल्ली।

दिल्ली में हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश
दिल्ली के बाद पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाई है। हरियाणा में खाता तक नहीं खुला था। गुजरात में पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। अब दिल्ली हाथ से छिन गई तो अब अरविंद केजरीवाल पंजाब के जरिए ही अपनी पॉलिटिक्स चलाएंगे। पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव हैं और पार्टी अभी तक उन वादों को पूरा नहीं कर सकी है जो उसने सत्ता में आने के लिए पंजाब की जनता से किए थे। मतलब दिल्ली में हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश की जाएगी क्योंकि अगर पंजाब हाथ से निकला तो आम आदमी पार्टी के वजूद पर संकट खड़ा हो जाएगा।

कांग्रेस को मध्यावधि चुनाव की आशंका क्यों?
दिल्ली के नतीजों के बाद पंजाब कांग्रेस खुश नजर आ रही है। उसका कहना है कि अब पंजाब में भी आम आदमी पार्टी का यही अंजाम होगा। पंजाब में भी शराब पॉलिसी का घोटाला निकलेगा। ये वही पॉलिसी है, जिसमें केजरीवाल और मनीष सिसोदिया फंसे थे। इसी साल पंजाब में धान खरीद में एमएसपी घोटाला किया। पंजाब सरकार में केजरीवाल के दखल से पार्टी में बिखराव होगा और विधायक टूटेंगे और कांग्रेस में आयेंगे। ऐसे में पंजाब में समय से पहले चुनाव हो सकते हैं।

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