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मुंबई
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शुक्रवार को मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा दिए जाने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले 15-20 सालों से शिवसेना और महाराष्ट्र के अन्य मराठी सांसदों ने इस मांग के लिए लगातार प्रयास किए हैं।

उन्होंने कहा कि हर मुख्यमंत्री ने इस संबंध में प्रस्ताव भेजा है और मराठी भाषा के देश की संस्कृति में योगदान के प्रमाण दिए हैं। कई बार हमें नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी मिलीं, विशेषकर पिछली सरकार के दौरान। इसके बावजूद, हर संसद सत्र में महाराष्ट्र के सांसदों ने मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने की मांग की। अंततः कल यह घोषणा हुई कि मराठी भाषा को भी अन्य चार भाषाओं के साथ अभिजात दर्जा मिल गया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।

उन्होंने कहा कि यह एक लंबी मांग थी, जो अब पूरी हुई है। इसके कारण मराठी भाषा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और कई विश्वविद्यालयों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह भाषा छत्रपति शिवाजी महाराज, संत ज्ञानेश्वर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, बालासाहेब ठाकरे और महात्मा फुले की भाषा है। इस फैसले से इस भाषा की प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ेगा।

राउत ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने एक समय मराठी भाषा को कम आंका जाने के बावजूद उसे प्रतिष्ठा दिलाने का काम किया था। अब जब मराठी भाषा को सरकारी स्तर पर प्रतिष्ठा मिली है, तो मेरा केंद्र सरकार से आग्रह है कि मराठी लोगों का रोजगार जो अन्य राज्यों में चला जाता है, उसे रोका जाए। मराठी भाषा के साथ-साथ मराठी लोगों को उनके अधिकार का रोजगार महाराष्ट्र में मिलना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि इस फैसले में सबका योगदान है, और किसी को भी श्रेय लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुछ लोग जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रेय लेने की कोशिश करेंगे, लेकिन हमें आपकी दया और कृपा की आवश्यकता नहीं है। मराठी भाषा महान है, यह वीरों और संतों की भाषा है।

 

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