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बीजिंग/इस्लामाबाद
चीन ने भारत के साथ तालिबान की बढ़ती करीबी को देखते हुए पाकिस्तान के साथ मिलकर नया दांव चला है। बीजिंग में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग के बाद चीन ने ऐलान किया है कि अब चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का विस्तार अफगानिस्तान तक किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि पाकिस्तान के साथ भी अफगानिस्तान के रिश्तों को सुधारा जा सके। इसके अलावा अफगानिस्तान को भारत से दूर करने की कोशिश की जाए, जो आमतौर पर पाकिस्तान से दूरी बनाकर चलता रहा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद उम्मीद रखी थी कि उसका दखल बढ़ेगा, लेकिन तालिबान के राज में उसे झटका ही लगा है। ऐसे में अब चीन ने कमान संभाली है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अफगानिस्तानी समकक्ष आमिर खान मुत्ताकी की मीटिंग थी। इस दौरान तय हुआ कि CPEC का विस्तार अफगानिस्तान तक होगा। इसके अलावा अब तीनों देशों की अगली मीटिंग भी अफगानिस्तान में ही करने का फैसला लिया गया है। तीन दिन के चीन दौरे पर गए पाकिस्तान के नेता ने इस दौरान भारत की ओर से चले ऑपरेशन सिंदूर के बारे में भी चीन को जानकारी दी। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकाने ध्वस्त किए गए। भारतीय सेना का कहना है कि इस ऐक्शन में करीब 100 आतंकी मारे गए हैं।

इशाक अहमद डार ने चीन और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ तस्वीर साझा की है। इसके साथ ही लिखा कि चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए साथ खड़े हैं। माना जा रहा है कि CPEC के विस्तार की एक वजह यह है कि अफगानिस्तान ने पिछले कुछ दिनों में चाबहार पोर्ट में दिलचस्पी दिखाई है। इस बंदरगाह का विकास भारत ने ईरान के साथ मिलकर किया है। ऐसे में अफगानिस्तान की भारत के साथ करीबी न बढ़े, इसके लिए चीन ने यह दांव चला है।
तालिबान को मान्यता देने वाले देशों में अग्रणी था चीन

गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान की सत्ता को मान्यता देने वाले देशों में चीन सबसे आगे था। लेकिन भारत के साथ तालिबान के रिश्ते सुधरने के बाद से चीन ने फिर से करीबी बढ़ाई है। बता दें कि CPEC का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है, जिस पर भारत को आपत्ति है। इसी के चलते भारत ने चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होने से इनकार किया था। उसकी BRI योजना का ही एक हिस्सा CPEC भी है।

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