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2026 तमिलनाडुचुनाव से पहले बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच तल्खी कम होती नजर आ रही

चेन्नई 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच तल्खी कम होती नजर आ रही है। दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं ने गठबंधन के संकेत दिए हैं। एआईडीएमके के प्रमुख ई के पलानीस्वामी से जब बीजेपी से गठबंधन की संभावनाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 6 महीने इंतजार करिए। उन्होंने मेलमिलाप की संभावनाओं को खारिज नहीं किया। दूसरी ओर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने भी ऐसे ही एक सवाल के जवाब में डिप्लोमैटिक बयान देते हुए कहा कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दुश्मन नहीं होता है। हमारा लक्ष्य एक ही है, डीएमके को हराना। दिसंबर में भी उन्होंने संकेत देते हुए कहा था कि गठबंधन पर फैसला करने के लिए पर्याप्त समय है। देखते हैं कि 2025 में यह कैसे आगे बढ़ता है। अकेले लड़कर अन्नामलाई ने बढ़ाया बीजेपी का वोट प्रतिशत बीजेपी और एआईएडीएमके कई चुनाव साथ लड़ चुकी है, हालांकि 1998 के बाद कई बार दोनों के रिश्ते जुड़े और टूटे भी। सितंबर 2023 में बीजेपी नेता अन्नामलाई ने द्रविड़ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई को लेकर बयान दिया। अपने बयान में उन्होंने दावा किया कि अन्नादुरई ने 1956 में मदुरै में एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म का अपमान किया था, इस कारण उन्हें छिपना पड़ा और माफी मांगनी पड़ी। उनके इस बयान के बाद दोनों पार्टियों के रिश्ते तल्ख हो गए। एआईडीएमके अन्नामलाई के इस्तीफे और माफीनामे पर अड़ गई, फिर गठबंधन टूट गया। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले नजदीक आने की चर्चा चली मगर बीजेपी नेता अन्नामलाई ने एआईडीएमके से गठबंधन का विरोध किया था। लोकसभा चुनाव में अन्नामलाई ने की मेहनत रंग लाई और तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ गया। बीजेपी से अलग होने पर एआईएडीएमके का नुकसान 2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके को 37.70 फीसदी और एआईएडीएमके को 33.29 फीसदी वोट मिले थे। एआईएडीएमके के साथ चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को 2.62 प्रतिशत वोट मिले थे और 4 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी क्षेत्रीय पार्टी पीएमके, डीएमडीके और आईजेके साथ चुनाव लड़ी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तमिलनाडु में एक भी नहीं मिली, मगर वोट प्रतिशत 11.24 हो गया। एनडीए गठबंधन को 18.28 प्रतिशत वोट मिला जबकि गठबंधन तोड़ने के बाद एआईएडीएमके का वोट प्रतिशत खिसककर 20.46 प्रतिशत पर पहुंच गया। विधानसभा चुनाव के मुकाबले एआईडीएमके के वोट में करीब 12.5 फीसदी की गिरावट हुई। बीजेपी ने पैर पसारे तो डीएमके का वोट भी घटा दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में 22 सीट जीतने के बाद भी डीएमके के वोट 6.59 फीसदी की गिरावट हुई। 2021 के विधानसभा के मुकाबले पार्टी को करीब 11 फीसदी का नुकसान हुआ। उसे 26.93 फीसदी वोट मिले जबकि सात पार्टियों वाले इंडिया गठबंधन को 46.97 प्रतिशत वोट मिले। डीएमके को गठबंधन में चुनाव लड़ने का तगड़ा फायदा मिला। तीन बड़ी पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावना बढ़ी अब विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना बन रही है। फिल्म स्टार थलापति विजय अपनी नई पार्टी तमिलग वेट्री कषगम (टीवीके) के साथ मैदान में कूद चुके हैं और सियासी जमीन की तलाश में जुटे हैं। बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ाई है और पैर मजबूत करने की तैयारी कर रही है। जयललिता के निधन के बाद अंतर्कलह से जूझ रही एआईएडीएमके दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए तत्पर है। अगर तीनों पार्टियां गठबंधन करती हैं तो राज्य में उलटफेर की संभावना बढ़ जाएगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 19

भाजपा केरल में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व वाम दलों की चुनौतियां बढ़ा सकती, प्रवेश से सियासत बदली

 तिरुवनन्तपुरम केरल विधानसभा चुनाव में अभी एक वर्ष बाकी है, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और लेफ्ट की अगुवाई वाले एलडीएफ ने चुनाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। दोनों गठबंधन जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने के साथ चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहना रहे हैं। इनके बीच मतदाताओं में पैठ बना रही भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व वाम दलों की चुनौतियां बढ़ा सकती है। केरल में पिछले दस वर्षों से वाम दल सत्ता में है। हालांकि वर्ष 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में यूडीएफ ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यह कहना मुश्किल है कि लोकसभा का असर विधानसभा में दिखाई देगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2021 विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने सरकार बनाई थी। नायर और मछुआरा समुदायों पर भाजपा की नजर चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि पहले मतदाताओं के सामने यूडीएफ और एलडीएफ दो ही विकल्प थे। अब आहिस्ता-आहिस्ता दोनों गठबंधनों के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए भाजपा अपनी जगह बना रही है। नायर और मछुआरा समुदायों पर भाजपा की नजर है। दोनों समुदाय अमूमन चुनाव में एलडीएफ का समर्थन करते रहे हैं। भाजपा के प्रवेश से सियासत बदली केरल में राजनीति दो ध्रुवीय रही है, लेकिन भाजपा के प्रवेश के बाद सियासत बदल गई है। अगर भाजपा सभी सीट पर चुनाव लड़ती है तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। भाजपा अपने प्रदर्शन से बिगाड़ सकती है चुनावी गणित प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भाजपा विधानसभा चुनाव में अभी अपना प्रदर्शन बरकरार रखती है तो यह यूडीएफ और एलडीएफ दोनों का गणित बिगाड़ सकती है। क्योंकि, भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ रहा है। लोकसभा में एनडीए को 19 फीसदी वोट मिले। जबकि 2021 विधानसभा में यह 12 प्रतिशत था। हिंदू मतदाताओं का भरोसा जीतने में सफल रही भाजपा कांग्रेस रणनीतिकार मानते हैं कि एलडीएफ सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। पर क्या यूडीएफ मतदाताओं की इस नाराजगी को अपने पक्ष में बदल पाएगी। वहीं, एलडीएफ के लिए भी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं है। इसकी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट से भाजपा की जीत है। भाजपा ने केरल में सिर्फ त्रिशूर सीट से जीत दर्ज नहीं की है, करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार को सबसे अधिक वोट मिले हैं। भाजपा के इस प्रदर्शन से साफ है कि वह हिंदू मतदाताओं को भरोसा जीतने में सफल रही है। वहीं, ईसाई मतदाताओं के लिए भी भारतीय जनता पार्टी अब दूर नहीं है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 27

नड्डा के बाद कौन संभालेगा BJP की कमान?होली से पहले बीजेपी को मिलेगा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष!

नई दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 15 मार्च तक अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और यह राज्य इकाइयों में पार्टी के चुनाव के बाद होगा.राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और यह जनवरी में पूरा हो जाना चाहिए था. हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव और लंबित राज्य इकाई चुनावों ने जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के चुनाव में देरी हो रही है. भाजपा के संविधान के अनुसार, आधे राज्यों में चुनाव से पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं कराया जा सकता है. अब तक भाजपा ने 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से 12 में चुनाव पूरे कर लिए हैं. अभी तक 12 राज्यों में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया गया है. यूपी प्रदेश अध्यक्ष का जल्द होगा ऐलान बीजेपी 2 से 3 दिन में यूपी के जिलाध्यक्षों की घोषणा करेगी. उसके बाद यूपी के बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव होगा. एक हफ्ते से दस दिन में यूपी बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा जल्द ही की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक यह ऐलान अगले दो हफ्ते के भीतर हो सकता है। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव 12 राज्यों में पूरे हो चुके हैं और माना जा रहा है कि अध्यक्ष का नाम 15 मार्च से पहले घोषित किया जा सकता है। उसके बाद हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अशुभ अवधि शुरू हो जाती है। चुनाव वाले राज्यों पर बीजेपी की नजर बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव होना जरूरी है। इससे पहले, बूथ, मंडल और जिला स्तर पर चुनाव होते हैं। अभी 36 राज्यों में से सिर्फ 12 में ही चुनाव पूरे हुए हैं। इसलिए कम से कम 6 और राज्यों में चुनाव कराने की जरूरत है। बीजेपी उन राज्यों में इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा रही है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जैसे तमिलनाडु, बंगाल, असम और गुजरात। बिहार में कोई बदलाव नहीं होगा, जहां इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं। किन बातों पर है पार्टी का फोकस? बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार का चयन कई बातों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। सबसे जरूरी है कि उम्मीदवार को सभी का समर्थन हासिल हो, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी शामिल है। साथ ही उम्मीदवार को संगठनात्मक मूल्यों से ओतप्रोत होना चाहिए। पार्टी जातिगत समीकरण, उत्तर-दक्षिण भाषा विवाद, परिसीमन और सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में अपने जनाधार को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में पार्टी को झटका लगा था, जिससे उसे सदन में पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था। जेपी नड्डा ने 2019 से संभाली है जिम्मेदारी जेपी नड्डा ने 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पार्टी की जिम्मेदारी संभाली थी। जनवरी 2020 में, उन्हें सर्वसम्मति से बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पदभार ग्रहण किया। लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था। सरकार में शामिल होने के साथ, पार्टी उनके उत्तराधिकारी के लिए संभावित उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। लेकिन यह प्रक्रिया धीमी रही है, क्योंकि नेता इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की उम्मीद कर रहे हैं। कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन पार्टी किसी भी नाम की आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रही है। जेपी नड्डा को पहली बार 17 जून, 2019 को पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था और वे 20 जनवरी, 2020 तक इस पद पर बने रहे. 20 जनवरी, 2020 को उन्हें पार्टी के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया और तब से वे इस पद पर हैं. जेपी नड्डा के नेतृत्व में पार्टी ने कई राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. इसी तरह से लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर पार्टी फिर से सत्ता में वापसी की है. अटल बिहारी वाजपेयी 1980 से 1986 तक भाजपा के पहले अध्यक्ष थे. लाल कृष्ण आडवाणी कई कार्यकालों तक इस पद पर रहे. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 19

प्रदेश अध्यक्ष की लिस्ट में सबसे आगे नरोत्तम मिश्रा, वीडी शर्मा को रिपीट करने की कम है संभावना

भोपाल  मध्यप्रदेश बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय के बीच हुई गुप्त बैठक के बाद यह चर्चा और तेज हो गई है। यह बैठक भोपाल स्टेट हैंगर पर हुई। चर्चा है कि मार्च के पहले हफ्ते में मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी 20 मार्च तक होने की संभावना है। इसके लिए आधे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना जरूरी है। वीडी शर्मा के वापस आने का चांस कम वीडी शर्मा को संसद की याचिका समिति में जगह मिलने से उनके दोबारा अध्यक्ष बनने की संभावना कम हो गई है। बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पार्टी ने शर्मा को यह पद देकर उन्हें अध्यक्ष पद से दूर रखने का संकेत दे दिया है। ऐसे में नरोत्तम मिश्रा की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। वे इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने की लिस्ट में ये भी आगे अब लिस्ट में सबसे आगे नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय के अलावा फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी, हिमाद्री सिंह, दुर्गादास उइके, हेमंत खंडेलवाल, अर्चना चिटनिस, रामेश्वर शर्मा और आलोक शर्मा जैसे कई नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। अंतिम चरण में है तलाश मध्यप्रदेश बीजेपी में नए कप्तान की तलाश अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। कई दिनों से टल रहे इस चुनाव को लेकर अब तेजी आ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण केंद्रीय मंत्री अमित शाह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बीच हुई एक गुप्त बैठक है। यह बैठक भोपाल के स्टेट हैंगर पर हुई, जहां शाह ने विजयवर्गीय को फ़ोन करके बुलाया था। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। माना जा रहा है कि इस बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन हुआ है। हालांकि, इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सबसे ज्यादा चर्चा में नरोत्तम मिश्रा इस गुप्त बैठक के बाद से ही पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में है। सूत्रों की मानें तो विजयवर्गीय ने शाह के सामने नरोत्तम मिश्रा के नाम का प्रस्ताव रखा है। ऐसी भी खबरें हैं कि पार्टी कैलाश विजयवर्गीय को भी यह मौका दे सकती है। मार्च के पहले हफ्ते तक प्रदेश बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी होना है चुनाव बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी 20 मार्च तक होने की संभावना है। देश के लगभग 12 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव हो चुके हैं। अभी भी 6 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी होनी बाकी है। इन्हीं चुनावों के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। देश में कुल 18 राज्य हैं, जहां बीजेपी की सरकार है या फिर प्रमुख विपक्षी दल है। इसलिए 9 राज्यों में चुनाव पूरा होना अनिवार्य है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 9

भाजपा नेतृत्व अन्य राज्यों के अध्यक्षों के सामाजिक समीकरणों को देखकर मध्य प्रदेश में फैसला लेगा

नईदिल्ली भाजपा के संगठन चुनावों में राज्यों के चुनाव की प्रक्रिया के दौरान लगभग आधा दर्जन राज्यों में पार्टी को कुछ नेताओं को लेकर मुखर विरोध के साथ सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों को लेकर काफी पसीना बहाना पड़ रहा है। पार्टी संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है, जबकि पचास फीसदी यानी आधे राज्यों के चुनाव हो जाएं। भाजपा के संगठन के 38 प्रदेश हैं और अभी लगभग 10 राज्यों के चुनाव ही पूरे हुए हैं। भाजपा को संगठन चुनावों में कर्नाटक में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र को बरकरार रखने के लिए राज्य के नेताओं के एक समूह के मुखर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। तमिलनाडु, केरल व पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को अब एक साल बचा है। ऐसे में वहां बदलाव किया जाए या नहीं और किया जाए तो किसे नेतृत्व दिया जाए, इस पर फैसला नहीं हो पा रहा। उत्तर प्रदेश में नए नेता की तलाश उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पद छोड़ने की पेशकश कर दी थी। चूंकि, संगठन चुनाव होने थे, इसलिए बदलाव नहीं किया गया था। सूत्रों का कहना है कि होली के बाद ही नए अध्यक्ष का फैसला हो पाएगा। सामाजिक व क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से नया अध्यक्ष चुना जाएगा। मध्य प्रदेश में दलित व आदिवासी चेहरे पर विचार मध्य प्रदेश में मौजूदा अध्यक्ष वीडी शर्मा को पांच वर्ष हो गए हैं। वहां राजपूत, ब्राह्मण के साथ दलित व आदिवासी नेताओं के नाम पर भी विचार किया गया है। भाजपा नेतृत्व अन्य राज्यों के अध्यक्षों के सामाजिक समीकरणों को देखकर फैसला लेगा। तेलंगाना-गुजरात में अहम हैं सामाजिक समीकरण तेलंगाना और गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। दोनों राज्यों में अभी चुनाव नहीं हैं, ऐसे में वहां पर भविष्य की चुनौती व संभावनाओं को देखते हुए बदलाव किए जाने हैं। दोनों ही राज्यों में सामाजिक समीकरण काफी अहम हैं। हालांकि, पार्टी में कुछ नेता इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि एक व्यक्ति, एक पद को लेकर भाजपा अपने रुख में कुछ लचीलापन रखे और कुछ राज्यों को इसका अपवाद बनाकर रखा जाए। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व इसके पक्ष में नहीं दिख रहा। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 51

गुजरात में नगरपालिका चुनावों में कुल 210 निर्विरोध चुने गए मुस्लिम उम्मीदवारों में 10% बीजेपी के

अहमदाबाद  ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है… पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यह नारा दिया था। तब गुजरात में 29 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता बीजेपी के साथ आ गए थे। सर्वे एजेंसी सीएसडीएस-लोकनीति ने यह दावा किया था। अब गुजरात के निकाय चुनावों के परिणाम बता रहे हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सर्वे एजेंसी के अनुमान में काफी दम है। गुजरात में बीजेपी ने नगर निकाय के 82 मुस्लिम उम्मीदवारों को जिताकर इतिहास रच दिया है। ये जीत 66 नगरपालिका चुनावों में हुई है। इससे उत्साहित बीजेपी के अंदर इस बात पर गंभीरता से मंथन शुरू हो गया कि क्या विधानसभा चुनावों में भी मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए जाएं। ऐसा हुआ तो गुजरात में किसी अल्पसंख्यक उम्मीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की बीजेपी की परंपरा टूट सकती है। पसमांदा मुसलानों से जुड़ने की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 की भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पसमांदा मुसलमानों से संपर्क की जरूरत बताई थी। उसी वर्ष भोपाल की एक रैली में प्रधानमंत्री ने कहा कि कैसे अगड़े मुसलमान अपने ही समुदाय के पिछड़े मुसलमानों यानी पसमांदाओं का शोषण करते हैं और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखते हैं। सरकारी संस्था नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के अनुसार मुस्लिमों में ओबीसी जनसंख्या 40.7 प्रतिशत है। देश के कुल पिछड़े समुदाय की जनसंख्या में पसमांदा मुसलमानों की हिस्सेदारी 15.7 प्रतिशत है। कहां-कहां मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा? विभिन्न सर्वे और रिपोर्ट बताते हैं कि लोकसभा की 65 सीटों पर 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं और प्रत्याशियों की किस्मत तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। आंकड़े बताते हैं कि 92 सीटों पर 20 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें 41 सीटों पर 21 से 30 प्रतिशत, 11 सीटों पर 41 से 50 प्रतिशत, 24 सीटों पर 31 से 40 प्रतिशत और 16 सीटों पर 50 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, कर्नाटक, असम जैसे राज्यों में मुस्लिम मतदाता काफी असरदार माने जाते हैं। ये नतीजे दिखाते हैं कि अल्पसंख्यक आबादी अब बीजेपी के साथ मजबूती से खड़ी है। विपक्ष ने समान नागरिक संहिता, तीन तलाक और वक्फ जैसे मुद्दों पर हंगामा खड़ा करने की कोशिश की, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। मुसलमानों से संपर्क की चौतरफा पहल प्रधानमंत्री की अपील पर भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में मुसलमान मतदाताओं से संपर्क साधने की बहुस्तरीय योजना बनाई। पार्टी ने हजारों 'स्नेह संवाद' कार्यक्रम किए जिनमें बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने देशभर में करीब 1.5 हजार विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। इन कार्यकर्मों के जरिए 50 लाख से ज्यादा मुसलमानों से बातचीत की गई। दूसरी तरफ, सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों के मुसलमानों को 'मोदी मित्र' बनाने की पहल हुई। इस पहल के तहत हर सीट पर 2,000 से ज्यादा मुस्लिम मोदी मित्र बनाए गए। फिर बूथ मैनेजमेंट में मुसलमानों की भागीदारी बढ़ाई गई। 'ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है' के नारे से मुसलमानों को बीजेपी के करीब लाने का प्रयास किया गया। मुसलमानों से बीजेपी की बातचीत बीजेपी ने इन सभी कार्यक्रमों में मुसलमानों को बताया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार ने मुस्लिम समुदाय का चौतरफा कल्याण किया है। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से आजादी दिलाने के लिए कानून बनाना हो या गरीब कल्याण की योजनाओं में बिना भेदभाव के मुस्लिम आबादी से ज्यादा हिस्सेदारी देना, मोदी सरकार ने मुस्लिम समुदाय के उत्थान की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। मुसलमानों को यह भी बताया गया कि कांग्रेस शासन के लंबे वक्त में मुसलमानों की कैसी दुर्दशा हुई, इसका प्रमाण कांग्रेस सरकार में बनी सच्चर कमिटी की रिपोर्ट में ही मिला है। मुसलमान और बीजेपी: क्या कहते हैं आंकड़े? ऐसा नहीं है कि मुसलमान बीजेपी को वोट करते ही नहीं हैं। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी (सीएसडीएस) के मुताबिक 2014 के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर करीब 8.5 प्रतिशत मुस्लिम वोट भाजपा के पक्ष में गया था। भाजपा को इससे पहले मुसलमानों का इतना ज्यादा समर्थन कभी नहीं मिला था। 2014 से पहले भाजपा को सबसे ज्यादा सात प्रतिशत मुस्लिमों का समर्थन 2004 में मिला था। रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 में बीजेपी को तीन प्रतिशत मुस्लिमों ने वोट किया था। 1998 को लोकसभा चुनावों में 5 प्रतिशत जबकि 1999 में 6 प्रतिशत मुसलमानों ने बीजेपी का पक्ष लिया था। मुस्लिम वोट बैंक का आकर्षण भारतीय राजनीति में मुसलमान हमेशा के आकर्षक वोट बैंक बने रहे हैं। वर्ष 1980 तक यह वोट बैंक कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़ा रहा था। फिर यह कांग्रेस से छिटका तो राज्य स्तर पर क्षेत्रीय दलों का दामन थामता चला गया। मंडल-कमंडल की राजनीति के बाद उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का उभार हुआ तो मुस्लिम मतदाता उनके साथ जुड़ गए। इसी तरह, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, कर्नाटक में कभी कांग्रेस तो कभी जनता दल (सेकुलर) का दामन थाम लिया। मुसलमानों में बीजेपी को हराने की जिद फिर चुनाव दर चुनाव यह धारणा पुष्ट होती चली गई कि मुसलमान किसी का सगा नहीं है, बस उसके जेहन में एक ही बात कौंधती रहती है कि बीजेपी को कौन परास्त कर सकता है। जिस पार्टी और उम्मीदवार में बीजेपी को हराने की ताकत दिखी, मुसलमानों ने उसका पक्ष लिया। लेकिन पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के दबदबे वाली कुंदरकी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के विजय ने बड़ा संकेत दिया। यह इसलिए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को उत्तर प्रदेश के सिर्फ 2 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा का समर्थन किया था। अब गुजरात निकाय चुनावों में बीजेपी के मुस्लिम उम्मीदवारों की बड़ी सफलता ने कुंदरकी विधानसभा सीट से मिले संदेश को संभवतः और स्पष्ट कर दिया है। इस प्रदर्शन को देखते हुए, भविष्य में बीजेपी में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चीजें बदल सकती हैं। हां, पार्टी उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतार सकती है जहां मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है। कुछ सीटें ऐसी हैं जहां भविष्य में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों … Read more

दिल्ली के नए सीएम का नाम सभी जानना चाहते, 15 नाम तय किए जा चुके हैं, 9 मंत्री बनेंगे

नई दिल्ली दिल्ली के नए सीएम के लिए लगातार कयासों का दौर जारी है. बीजेपी में बैठकों का दौर जारी है. पीएम मोदी विदेश दौरे पर थे. वे अब भारत लौट आए हैं. अब विधायक दल के लिए पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जा सकती है. इसके बाद ही नए मुख्यमंत्री के नाम का फैसला होगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को बीजेपी के बैठक में 48 विधायकों में से 15 विधायकों की एक लिस्ट तैयार की गई है. इस लिस्ट से 9 विधायकों को सलेक्ट किया जाएगा, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री होंगे. मुख्यमंत्री बनने के रेस में कौन-कौन? सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर है कि दिल्ली के सीएम रेस में रेखा गुप्ता का नाम सबसे आगे है. वो एक महिला विधायक है. इनके अलावा आशीष सूद, जितेंद्र महाजन और राजकुमार भाटिया बीजेपी के पुराने पंजाबी चेहरे हैं. ब्राह्मण और संगठन के पुराने व्यक्ति में पवन शर्मा और सतीश उपाध्याय हैं. प्रवेश वर्मा जाट चेहरा हैं. विजेंद्र गुप्ता और मोहन सिंह बिष्ट के स्पीकर के लिए चुने की संभावना है. खबर है कि दिल्ली में 19 या 20 फरवरी को शपथग्रहण हो सकता है. आज 15 जनवरी है. इसका मतलब ये कि दिल्ली को 5 दिनों के अंदर नया मुख्यमंत्री मिल जाने की पूरी पूरी संभावना है. जानकारी ये भी है कि 17 या 18 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक हो सकती है, उसमें सीएम के नाम पर मुहर लग सकती है. सूत्रों से खबर है कि 48 में से 15 विधायकों के नाम छांटे गए हैं, उसमें से 9 नाम शॉर्ट लिस्ट किए जाएंगे. फिर उन 9 में से ही मुख्यमंत्री, मंत्री और स्पीकर का नाम तय किया जाएगा. इन नामों की चर्चा तेज फिलहाल जिन नामों की चर्चा मुख्यमंत्री को लेकर हो रही है… उनमें रेखा गुप्ता, शिखा राय, प्रवेश वर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, सतीश उपाध्याय, आशीष सूद और पवन शर्मा जैसे नाम शामिल हैं… पहले बात रेखा गुप्ता और शिखा राय की… रेखा गुप्ता आरएसएस के बैकग्राउंड से हैं. वो शालीमार बाग सीट से पहली बार विधायक बनीं हैं. दिल्ली नगर निगम में तीन बार की पार्षद हैं. वहीं एक और नाम है शिखा राय का.. जो तीन बार से विधायक हैं. इस बार उन्होंने ग्रेटर कैलाश सीट से कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज को हराया है. प्रवेश वर्मा भी रेस में दिल्ली की लड़ाई में इस बार सबसे अहम चेहरा रहे प्रवेश वर्मा भी रेस में हैं. नई दिल्ली सीट से उन्होंने केजरीवाल को चुनाव में हराया है. 2 बार के विधायक और 2 बार सांसद रह चुके हैं. दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. 6 बार के विधायक हैं मोहन सिंह विष्ट एक नाम मोहन सिंह बिष्ट का है जो 6 बार के विधायक हैं. मूल रुप से उत्तराखंड के रहने वाले बिष्ट छात्र जीवन में ही आरएसएस से जुड़ गए थे. विजेंदर गुप्ता का नाम भी… दिल्ली बीजेपी का बड़ा चेहरा माने जाने वाले विजेंदर गुप्ता भी रेस में हैं. वो लगातार 3 बार के विधायक हैं. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं. कौन हैं सतीश उपाध्याय वहीं, सतीश उपाध्याय भी दावेदारों में हैं. वो ब्राह्मण चेहरा होने के साथ इस बार चुनाव भी जीता है. पहले वो दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इसके अलावा एक नाम आशीष सूद का है जो पहली बार विधायक बने हैं. फिलहाल वे गोवा बीजेपी के प्रभारी हैं और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के सह-प्रभारी हैं. नवनिर्वाचित विधायक पवन शर्मा का नाम भी सामने आ रहा है. वो इस बार उत्तम नगर से विधायक चुने गए हैं. दरअसल, दिल्ली में बीजेपी का सीएम कौन होगा, ये चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि चुनाव के वक्त बीजेपी ने कोई चेहरा घोषित नहीं किया था. और आम आदमी पार्टी बार-बार बीजेपी पर सीएम के चेहरे को लेकर प्रहार कर रही थी. बीजेपी ने 48 सीट जीती दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में बीजेपी ने 48 सीट पर जीत दर्ज की. जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीट से संतोष करना पड़ा. वहीं, कांग्रेस 2015 और 2020 के बाद एक बार फिर अपना खाता नहीं खोल पाई. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8