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न्यायाधीश अपने विदाई समारोह में ही नहीं गए बल्कि 11 फैसले सुनाए, शनिवार को लास्ट डे रहेगा, आज आखिरी कार्यदिवस था

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायरमेंट के दिन आमतौर पर कोई फैसला नहीं सुनाते, लेकिन जस्टिस एएस ओका ने इस पुरानी रवायत को बदल दिया है। उन्होंने शुक्रवार को अपने आखिरी कार्यदिवस पर कई बेंचों में हिस्सा लिया और 11 फैसले दिए। ऐसा उन्होंने तब किया है, जब उनकी मां का एक दिन पहले ही निधन हुआ था। वह गुरुवार को ही अपनी मां के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई गए थे और फिर लास्ट वर्किंग डे पर काम करने के लिए दिल्ली लौट आए। शुक्रवार को शीर्ष अदालत में उनका आखिरी दिन था और इस मौके पर भी वह सिर्फ विदाई समारोह के आयोजनों में ही नहीं रहे बल्कि 11 फैसले सुनाए। उनका शनिवार को लास्ट डे रहेगा, लेकिन आज आखिरी कार्यदिवस था। उन्होंने पहले ही कहा था कि वह रिटायरमेंट शब्द से नफरत करते हैं। इसके अलावा उनका कहना था कि जजों को आखिरी दिन भी फैसले सुनाने चाहिए और बेंच का हिस्सा बनना सही रहता है। इसी के तहत उन्होंने कई सुनवाई में हिस्सा लिया और फिर अंत में प्रतीकात्मक बेंच का भी हिस्सा बने, जिसका नेतृत्व चीफ जस्टिस बीआर गवई कर रहे थे। किसी भी जज के रिटायरमेंट पर प्रतीकात्मक जज चीफ जस्टिस के नेतृत्व में बैठती है। ऐसा जस्टिस को सम्मानजनक विदाई के लिए किया जाता है और यह परंपरा शीर्ष अदालत में दशकों से चली आ रही है। जस्टिस ओका बोले- आखिरी दिन भी करना चाहिए पूरा काम बता दें कि 21 मई को जस्टिस ओका के लिए फेयरवेल समारोह आयोजित हुआ था। इसका आयोजन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन की ओर से किया गया था। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि मैं इस परंपरा को सही नहीं मानता कि रिटायरमेंट के दिन जज काम ही न करें। मैं पसंद करूंगा कि आखिरी कार्यदिवस पर भी काम करूं और कुछ फैसलों का हिस्सा बनूं। इसके अलावा उनका कहना था कि रिटायर होने वाले जज के लिए गार्ड ऑफ ऑनर 1:30 बजे दिया जाता है, जिसमें थोड़ी देरी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिरी दिवस पर कम से कम शाम को 4 बजे तक तो काम करना ही चाहिए। जिला अदालत से की थी शुरुआत और SC तक आ पहुंचे उन्होंने कहा था कि मैं तो रिटायरमेंट शब्द से ही नफरत करता हूं। बता दें कि जस्टिस ओका ने यूनिवर्सिटी ऑफ बॉम्बे से लॉ की पढ़ाई करने के बाद जून 1983 से वकालत शुरू की थी। उन्होंने अपने पिता श्रीनिवास ओका के ठाणे जिला अदालत स्थित चेंबर से वकालत शुरू की थी और वहां से लेकर सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर तय किया। उनकी 29 अगस्त, 2003 को बॉम्बे हाई कोर्ट में एंट्री हुई थी। तब वह अस्थायी जज थे और फिर 2005 में परमानेंट हुए। वह कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस 10 मई, 2019 को बने थे। फिर वह 31 अगस्त, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर आए। उनका कार्य़काल शीर्ष अदालत में करीब 4 साल का रहा है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 13

अदालत ने आदेश में कहा पत्नी के पास पति से अलग रहने का कोई ठोस कारण नहीं, भरण-पोषण की हक़दार नहीं

इंदौर कुटुंब न्यायालय ने एक महिला की तरफ से लगाई गई भरण-पोषण की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पत्नी के पास अपने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं है. इसलिए वह भरण-पोषण पाने की अधिकारी नहीं है. हालांकि धीरेंद्र सिंह की कोर्ट ने अवयस्क बच्चों को भरण-पोषण दिए जाने के आदेश दिए हैं. अधिवक्ता डॉ. रूपाली राठौर ने कहा कि अदालत ने अपने फैसले में एक तरह ये माना कि पत्नी स्वयं का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है और पति अपनी पत्नी का भरण पोषण करने में उपेक्षा कर रहा है. लेकिन दूसरी तरफ़ ये भी माना कि पत्नी के पास अपने पति से अलग रहने का कोई पर्याप्त वैधानिक कारण नहीं है. महिला ने मई 2022 में पति के खिलाफ थाने में दर्ज कराई थी शिकायत बताया कि सुलोचना(परिवर्तित नाम) का विवाह सन 2013 में अमन(परिवर्तित नाम) से हुआ था. सन 2022 में सुलोचना ने पति के खिलाफ विवाह के बाद से ही कम दहेज लाने को लेकर ताने मारना, पांच लाख रुपये दहेज की मांग करना, गाली-गलौच व मारपीट करना, डिलीवरी का खर्चा उठाने से मना करने, घर से निकालने को लेकर मई 2022 में पुलिस थाने में शिकायत की. जिसके आधार पर पत्नी ने स्वयं और बच्चों के लिए पति से भरण-पोषण की मांग करते हुए कुटुंब न्यायालय, इन्दौर में याचिका लगाई. पति की और से जवाब पेश करते हुए वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने कोर्ट को बताया कि पत्नी ने झूठे आधारों पर केस लगाया था. कोर्ट में पत्नी के बयानों एवं पति के वकील के द्वारा पत्नी से पूछे गये सवाल-जवाब के दौरान महत्वपूर्ण बातें उजागर हो गईं. कोर्ट ने माना कि पत्नी खुद और अवयस्क बच्चे का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है कुटुंब न्यायालय ने अपने फैसले में यह तो माना कि पत्नी खुद और अवयस्क बच्चे का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है. और पति भरण -पोषण करने में उपेक्षा कर रहा है. लेकिन माननीय न्यायालय में अपने फैसले में यह भी कहा कि पत्नी ने 2013 में शादी के पश्चात कोई शिकायत नहीं की. पत्नी ने सिर्फ मई 2022 में मामले की शिकायत दर्ज कराई. मई 2022 के पूर्व पत्नी द्वारा प्रताड़ना की कोई रिपोर्ट क्यों नहीं की गई. महिला द्वारा इसका स्पष्टीकरण नहीं देने पर कोर्ट ने विवाह के बाद पैसों के लिए उसको परेशान करने के बयानो को संदेहास्पद माना. ये महत्वपूर्ण फैसला उनके लिए नजीर है जो बिना पर्याप्त वैधानिक कारण पति से अलग रहती हैं और कोर्ट में ख़ुद के भरण-पोषण के लिए गलत आधार पर केस लगाती हैं. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 13

प्रेम संबंध खराब होने के बाद अपराध के लिए अभियोजन जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग होगा-HC

जबलपुर  मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में पदस्थापना के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (JMFC) के खिलाफ दुष्कर्म व दहेज एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने आदेश में कहा है "दो साल तक चले संबंध के बाद पीड़िता ने शिकायत दर्ज करवाई. पीड़िता शिक्षित है और सरकारी कर्मचारी है. प्रेम संबंध खराब होने के कारण कथित अपराध के लिए अभियोजन जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग होगा." युवती रिश्वत के केस में फंसी तो शादी से इंकार पन्ना निवासी मनोज सोनी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया "वर्ष 2015 में उसके परिवार ने आरोप लगाने वाली युवती के साथ शादी का प्रस्ताव रखा. उसने 14 फरवरी 2018 को युवती को सगाई की अंगूठी पहनाई. लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि युवती के खिलाफ रिश्वत लेने का आपराधिक प्रकरण दर्ज है तो उसने शादी से इंकार कर दिया. इसके बाद युवती ने उसके खिलाफ पन्ना जिले के अजयगढ़ थने में दुष्कर्म व दहेज एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवा दी." दहेज मांगने के साक्ष्य नहीं मिले एफआईआर में युवती ने आरोप लगाया "शादी का वादा कर उसके साथ जबरन संबंध बनाए और दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर शादी से इनकार कर दिया." सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने कहा "प्रेम संबंध खराब के होने के कारण दुष्कर्म के कथित अपराध के लिए अभियोजन जारी रखने की अनुमति देना गैरकानूननी है. प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग के संबंध में भी विश्वसनीय साक्ष्यों का अभाव है. स्पष्ट है कि युवती द्वारा अनावश्यक रूप से उत्पीड़न करने का प्रयास किया गया." रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ बनेगी एसआईटी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न मामले की जांच में लापरवाही पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की 3 सदस्यीय विशेष जांच टीम के गठित करने आदेश जारी किये हैं. जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने आदेश में कहा है "एसआईटी की अध्यक्षता आईजी स्तर के अधिकारी करेंगे और इसमें एसपी स्तर की महिला अधिकारी को शामिल किया जाएगा. समिति में जबलपुर जिले से किसी को शामिल नहीं किया जाएगा. एकल पीठ ने डीजीपी को 3 दिन के भीतर एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है." मीटिंग के दौरान अश्लील इशारे करने का आरोप गौरतलब है कि जबलपुर स्थित विश्वविद्यालय में पदस्थ एक महिला अधिकारी ने कुलपति राजेश कुमार वर्मा के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत पर कार्रवाई न होने पर पीड़ित महिला अधिकारी ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी. याचिका में कहा गया है "21 नवंबर 2024 को बैठक के दौरान कुलपति ने अपने कार्यालय में अभद्र हरकतें की. उन्होंने सबके सामने अनुचित टिप्पणियां और इशारे किए. उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत कुलपति कार्यालय से घटना वाले दिन की सीसीटीवी फुटेज मांगे, लेकिन उपलब्ध नहीं कराए गए." याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने किया. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 11

SC ने मोहन सरकार के उस आदेश को “अवमाननापूर्ण” करार देते हुए रद्द कर दिया, जाने क्या है मामला

भोपाल नौकरशाहों के बीच कामकाज के मूल्यांकन के विवाद का सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पटाक्षेप कर दिया। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। इसमें भारतीय वन सेवा (IFS) अफसरों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट (ACR) भरने का अधिकार आइएएस अफसरों को देने का 2024 में जारी किया था। कोर्ट ने कहा एपीसीसीएफ के पद तक एसीआर उसके वरिष्ठ को भरनी चाहिए।  केवल पीसीसीएफ के संबंध में रिपोर्टिंग प्राधिकरण वह व्यक्ति होगा, जिसे वह रिपोर्ट करता है या उससे सीनियर है। आवश्यक हो तो जिला प्रशासन द्वारा वित्तपोषित कार्यों के कार्यान्वयन के संबंध में उनके प्रदर्शन की एक अलग शीट पर अपनी टिप्पणियां दर्ज कर सकते हैं। इस पर भी विचार वरिष्ठ आइएफएस के सीनियर अधिकारी ही करेंगे। पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था मुद्दा श्रेष्ठता को लेकर छिड़े विवाद को पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले की सुनवाई में मौखिक टिप्पणी की थी कि आइएएस अधिकारी आइपीएस और आइएफएस अधिकारियों पर श्रेष्ठता दिखाना चाहते हैं। राज्य के आदेश को आइएफएस एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। एमपी सरकार ने किया आदेश का उल्लंघन बेंच ने दोहराया कि उसके आदेश को केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने सही तरीके से समझा था, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन करते हुए आदेश जारी किया। हालांकि अवमानना की कार्यवाही को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस फैसले तक पहुंचने के लिए एमिकस क्यूरी एडवोकेट के परमेश्वर व सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के प्रयासों की सराहना की। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 11

न्यायालयों में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को एक की जगह अब दो सप्ताह का अवकाश

जबलपुर मध्य प्रदेश में कार्यरत न्यायालयीन कर्मचारियों के अच्छी खबर है, जबलपुर उच्च न्यायालय ने सभी न्यायालयों में पदस्थ तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के ग्रीष्मकालीन अवकाश में वृद्धि की है, उच्च न्यायालय ने इसके लिए अलग अलग आदेश जारी किये हैं मध्य प्रदेश के न्यायालयों में काम करने वाले कर्मचारियों  के लिए अभी तक एक सप्ताह के ग्रीष्मकालीन अवकाश की सुविधा प्रदान की गई थी यानि न्यायालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश की अवधि में कर्मचारी एक सप्ताह का अवकाश ले सकता था लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए वृद्धि की गई है। तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को एक की जगह अब दो सप्ताह का अवकाश   हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि  05 जुलाई 2018 की कंडिका-4 में दिए आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए, जिला स्थापना एवं कुटुम्ब न्यायालय की स्थापना पर कार्यरत ऐसे कर्मचारी जिनका वेतनमान छठवे वेतन आयोग के अनुसार ग्रेड-पे रुपये 3600/- एवं उससे अधिक है, ऐसे कर्मचारियों को एक सप्ताह के स्थान पर अब दो सप्ताह का ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत किया जाता हैं एवं रुपये 3600/- ग्रेड पे से कम वेतनमान प्राप्त करने वाले समस्त कर्मचारियों को (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर) एक सप्ताह के स्थान पर 10 दिवस का ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत किया जाता है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अवकाश में भी वृद्धि इसी तरह उच्च न्यायालय ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अवकाश में भी वृद्धि की है, कोर्ट ने अपने आदेश में बताया कि समस्त नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारीगण, उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश जबलपुर द्वारा 17 मई 2025 को दिए गए आवेदन को स्वीकार करते हुए मुख्यपीठ जबलपुर ने 09 मई 2025 को दिए आदेश मेंआंशिक संशोधन करते हुए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को स्वीकृत 1 सप्ताह के ग्रीष्मकालीन अवकाश को बढ़ाकर 10 दिवस का ग्रीष्मकालीन अवकाश स्वीकृत किया जाता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 6

बच्चा होने के 7 महीने बाद विधवा महिला ने लिखाई दुष्कर्म की रिपोर्ट, हाईकोर्ट ने किया खारिज

जबलपुर  बच्चा पैदा होने के सात महीने बाद विधवा महिला द्वारा युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया गया. इस मामले को हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने खारिज कर दिया. मामले में जो तथ्य सामने आए उन्हें ध्यान में रखते हुए एफआईआर को निरस्त करने के आदेश दिए गए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि भौतिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए ऐसा नहीं माना जा सकता है कि दोनों के बीच विवाह के झूठे वादे के आधार पर संबंध बने थे. दोनों पति-पत्नी की रहते थे और एक बच्चे को जन्म दिया है. भरण-पोषण व अन्य राहत का दावा करने के लिए महिला उचित कार्यवाही कर सकती है. पति की मौत के बाद बने संबंध दरअसल, जबलपुर निवासी आवेदक की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि महिला की शिकायत पर अधारताल थाने में उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर के अनुसार शिकायतकर्ता महिला की आयु 32 साल है और उसके पति की मृत्यु साल 2021 में हो गई थी. पति का दोस्त होने के कारण आवेदक का महिला के घर में आना जाना था और मोबाइल पर बातचीत होने लगी. पति की मृत्यु के लगभग तीन महीने बाद मई 2021 में दोनों ने शादी करने का फैसला किया और इस तरह दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए और दोनों पति-पत्नी की तरह रहने लगे. शिकायतकर्ता महिला ने बताया कि इस संबंध से वह गर्भवती हो गई और उसने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन आवेदक ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया. शिकायतकर्ता महिला ने आरोप लगाया कि शादी का झूठा आश्वासन देकर आवेदक पिछले तीन वर्षों से उसका शारीरिक शोषण कर रहा है. लंबे समय तक सहमति से बने संबंध, ये दुष्कर्म नहीं महिला की शिकायत पर आवेदक युवक की ओर से तर्क दिया गया कि उसने कभी शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया. उसने बताया कि दोनों के बीच आपसी सहमति से वर्षों तक संबंध स्थापित रहे. कोर्ट में तर्क दिया गया कि परिस्थितियों को देखकर स्पष्ट है कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां एक या दो बार शारीरिक संबंध विकसित हुए हों. दोनों के बीच संबंध कई वर्षों तक जारी रहे. इतने लंबे समय के बाद अगर ऐसी शिकायत दर्ज की जाती है, तो वह दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है. हाईकोर्ट के आदेश में सुप्रीमकोर्ट का हवाला एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि मौजूदा तथ्यात्मक परिस्थितियों के आधार पर संबंध को विवाह के झूठे वादे पर विकसित होना नहीं माना जा सकता है. ऐसे आरोपों को कार्रवाई शुरू करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है. ऐसे आरोप पक्षों के बीच संबंधों में कड़वाहट के कारण हो सकते हैं. इस तरह बिना किसी ठोस सबूत के आपराधिक अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता है. एकलपीठ ने एफआईआर को निरस्त करते हुए महिला को आगे स्वतंत्रता प्रदान की है, कि वह जीवन यापन भत्ते आदि के लिए अपना पक्ष रख सकती है. क्या है मामला जबलपुर निवासी वीरेंद्र वर्मा ने उसके ऊपर दर्ज हुए केस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। उसने बताया कि अधारताल थाने में उसके खिलाफ बलात्कार की एफआईआर दर्ज की गई है। याचिका में कहा गया था कि एफआईआर के अनुसार शिकायत करने वाली महिला की आयु 32 साल है। उसके पति की साल 2021 में मृत्यु हो गयी थी। पति का दोस्त होने के कारण आवेदन का महिला के घर आना जाना था और मोबाइल पर बातचीत प्रारंभ हो गयी। सहमति से साथ रहने का लिया फैसला पति की मृत्यु के लगभग तीन महीने बाद आवेदन के उसके समक्ष शादी का प्रस्ताव भी रखा। दोनों ने सहमति से मई 2021 में शादी करने का निर्णय लिया था। इस दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुए। दोनों पति-पत्नी की तरह लंबे समय तक साथ रहे और इस दौरान एक बच्चे का जन्म हुआ, जो लगभग सात माह का है। लेकिन आवेदक ने शादी करने से इनकार कर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि शादी का झूठा आश्वासन देकर कई सालों से उसका शारीरिक शोषण करता रहा। महिला ने दर्ज कराई एफआईआर शिकायतकर्ता महिला ने शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ जनवरी 2025 में बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। आवेदक की तरफ से तर्क दिया गया कि उसने शादी का कोई झूठा वादा नहीं किया। उसने बताया कि दोनों के बीच आपसी सहमति से वर्षों तक संबंध स्थापित रहे। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों को देखकर स्पष्ट है कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां एक या दो बार शारीरिक संबंध विकसित हुए हों। दोनों के बीच संबंध कई वर्षों तक जारी रहे। इतने लंबे समय के बाद अगर ऐसी शिकायत दर्ज की जाती है, तो वह दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। कोर्ट ने इस तर्क से खारिज की याचिका एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा तथ्यात्मक परिस्थितियों के आधार पर संबंध को विवाह के झूठे वादे पर विकसित होना नहीं माना जा सकता है। ऐसे आरोपों को कार्रवाई शुरू करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। पक्षों के बीच संबंधों में कड़वाहट के कारण ऐसा हो सकते हैं। इस तरह बिना किसी ठोस सबूत के आपराधिक अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता है। एकलपीठ ने एफआईआर को निरस्त करते हुए महिला को उक्त स्वतंत्रता प्रदान की है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले … Read more

विवादित टिप्पणी करने वाले मंत्री विजय शाह के खिलाफ आज SC में सुनवाई, कोर्ट के रुख पर BJP की निगाहें

भोपाल  मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह (Vijay Shah Controversial Remark) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कर्नल सोफिया पर विवादित बयान देने के बाद से वो कानूनी चंगुल में फंस गए हैं। आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनावई होनी है। विजय शाह ने कर्नल सोफिया (Colonel Sophia Qureshi) पर विवादित टिप्पणी की तो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया। विजय शाह ने जब इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसपर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार बीते दिन सीजेआई बीआर गवई ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। साथ ही उन्होंने मंत्री कुवंर विजय सिंह को भी जमकर फटकार लगाई। मंत्री विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जेंट हियरिंग की मांग की थी, जिसे ठुकराते हुए आज (16 मई) की तारीख दे दी गई थी। विजय शाह को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था-     राज्य के कैबिनेट मंत्री जैसे संवैधानिक पद पक बैठे व्यक्ति को बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए। आपसे इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती है। आप मंत्री होकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं? क्या यह आपको शोभा देता है? जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई FIR बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एमपी सरकार में मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया को 'आतंकवादियों की बहन' कहा था। उनके इस बयान पर सख्त रुख अपनाते हुए एमपी हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196 (1)(b) और 197(1)(c) के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया था। विजय शाह ने मांगी माफी मामला गंभीराने के बाद मंत्री विजय शाह ने अपने बयान पर माफी भी मांगी थी। उनका कहना था कि मैं सपने में भी कर्नल सोफिया के बारे में गलत नहीं सोच सकता। सोफिया ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश की सेवा की है। मैं उन्हें सलाम करता हूं। अगर जोश में मेरे मुंह से कुछ गलत निकल गया हो तो उसके लिए मैं माफी चाहता हूं। इस्तीफे का बन रहा है दबाव विजय शाह का यह बयान सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। एमपी सरकार पर विजय शाह को मंत्री पद से हटाने का दबाव बन रहा है। खबरों की मानें तो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विजय शाह से मुलाकात की थी। मगर, उन्होंने इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया है। अब सबकी नजर आ सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5