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Cabinet:16300 करोड़ रुपये के खनिज मिशन को मंजूरी दी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया एलान

Cabinet: Mineral mission worth Rs 16300 crore approved, Union Minister Ashwini Vaishnav announced केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 16,300 करोड़ रुपये के खनिज मिशन को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को इसका एलान किया। इसके साथ ही कैबिनेट ने सी श्रेणी के भारी गुड़ से उत्पादित इथेनॉल की एक्स-मिल कीमत 56.28 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 57.97 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से निर्धारित इथेनॉल की कीमतें 2022-23 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्तूबर) के बाद से नहीं बढ़ाई गई हैं। गन्ने के रस, बी-हैवी गुड़ और सी-हैवी गुड़ से उत्पादित इथेनॉल की वर्तमान दरें क्रमशः 65.61 रुपये, 60.73 रुपये और 56.28 रुपये प्रति लीटर हैं। कैबिनेट के फैसले से पहले चीनी कंपनियों के शेयरों में दिखा एक्शनइस बीच, चीनी और इथेनॉल से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी दिखी है। ईआईडी-पैरी, श्री रेणुका शुगर्स, बलरामपुर चीनी मिल्स और त्रिवेणी इंजीनियरिंग के शेयरों में दोपहर 1:10 बजे तक बीएसई सेंसेक्स पर 3.7%, 4.5%, 2.5% और 2.3% की बढ़त दर्ज की गई। सेंसेक्स 0.62% की बढ़त दिखी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 97

डल्लेवाल की हालत नाजुक, रिपोर्ट्स आज आएंगी: किसान नेता सार्वजनिक करेंगे

Dallewal’s condition is critical, reports will come today: Farmer leaders will make it public  जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 26 नवंबर को खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन शुरू किया था। पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन का आज 47वां दिन है। गुरुवार को हुए उनकी टेस्ट की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। आज किसान नेता रिपोर्ट्स को जनता के सामने रखेंगे। इससे पहले, शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, दर्शनपाल सिंह व अन्य खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे और उन्होंने डल्लेवाल से मुलाकात की। किसान नेताओं ने 9 जनवरी को मोगा में हुई महापंचायत में पास प्रस्ताव को मोर्चे के नेताओं को सौंपा। किसान नेताओं ने इस आंदोलन को मजबूत करने के लिए सभी का सहयोग मांगा और केंद्र सरकार से MSP गारंटी कानून की मांग को जल्द पूरा करने का आह्वान किया। यूपी में प्रदर्शन से पहले किसान नेता नजरबंद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर शुक्रवार को देशभर में गांव स्तर पर मोदी सरकार के पुतले जलाए गए। उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन को रोकने के लिए बुलंदशहर और अलीगढ़ समेत कई जिलों में किसान नेताओं को नजरबंद कर दिया गया, जिससे किसानों में रोष बढ़ गया है। किसान नेताओं ने इसे लोकतंत्र का दमन बताया और चेतावनी दी कि अगर डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर कोई अनहोनी हुई, तो पूरे देश में किसानों का बड़ा आंदोलन देखने को मिलेगा। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 116

1 जनवरी 2025 से बदल जाएंगे 5 नियम जो डालेंगे आपकी जेब पर असर, ध्यान से कर लें नोट

नए साल के आगाज के साथ बेशक तारीख बदल जाएगी पर तारीख के साथ कुछ ऐसी चीजें भी बदलेंगी जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आपकी जेब को भी प्रभावित करेंगी. 1 जनवरी 2025 से कुछ नए नियम लागू होंगे तो कुछ नए बदलाव होंगे, जिनके बारे में आपको जानना बेहद जरूरी है. फिर चाहे टैक्स से जुड़ा मामला हो, यूपीआई पेमेंट हो, गैस सिलेंडर की कीमतें हों या फिर पीएफ अकाउंट से जुड़ा मामला. इस आर्टिकल में जानें 1 जनवरी 2025 होने वाले ऐसे ही बदलावों के बारे में. नव वर्ष 2025 में अगर आप कोई लग्जरी चीज खरीदते हैं तो अब आपको इसपर ज्यादा टैक्स देना होगा. दरअसल, बजट में किए गए प्रावधान के मुताबिक लिस्टेड लग्जरी आइटम जिसकी कीमत 10 लाख रु से ज्यागा है तो उसपर टीसीएस (Tax collected at source) का भी भुगतान करना होगा. ये नया नियम 1 जनवरी, 2025 से लागू प्रभावी होगा. वहीं इनकम टैक्स से जुड़े कई नियम नव वर्ष में नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ लागू होंगे. दिसंबर में जहां कार कंपनियां अपनी कारों में बंपर डिस्काउंट दे रही हैं, तो वहीं 1 जनवरी से ज्यादातर कंपनियों की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ने वाली है. इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा. दरअसल, 1 जनवरी, 2025 से हुंडई, महिंद्रा, टाटा, मारुति सुजुकी, मर्सिडीज-बेंज, होंडा, ऑडी आदि जैसी कई कार कंपनियां गाड़ियों की कीमतों को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने जा रही हैं. उदाहरण के तौर पर 7 लाख रु की कार खरीदने के लिए नए साल में आपको 7 लाख 21 हजार रु चुकाने होंगे. इसके पीछे की वजह मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी है. नए साल में जहां कुछ चीजें आपकी जेब पर भारी पड़ेगी तो वहीं कुछ चीजें में राहत भी मिलेगी. इसी में से एक बदलाव ईपीएफओ पेंशन से जुड़ा हुआ है. साल पेंशन धारकों के लिए राहत लेकर आ रहा है. 1 जनवरी, 2025 से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने पेंशन निकासी के नियमों को सरल बना दिया है. अब पेंशनभोगी देश के किसी भी बैंक से अपनी पेंशन निकाल सकेंगे. इसके लिए उन्हें किसी अतिरिक्त सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी. यह सुविधा पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत है. नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की पेमेंट तकनीक यूपीआई 123पे की लिमिट 1 जनवरी 2025 से बढ़ा दी जाएगी. पहले इस पेमेंट सर्विस के जरिए अधिकतम 5 हजार रु तक का लेनदेन किया जा सकता था, लेकिन अब यह लिमिट बढ़ाकर 10 हजार रु कर दी गई है. गौरतलब है कि यूपीआई 123पे एक ऐसी सेवा है जिससे कीपैड फोन चलाने वाले यूजर बिना इंटरनेट कनेक्शन के यूपीआई पेमेंट कर सकते हैं. हर महीने की पहली तारीख को ऑयल व गैस कंपनियां LPG की कीमतों का रिव्यू करती हैं. इसके बाद इनकी कीमतें घटाई या बढ़ाई जाती है. पिछले कुछ महीनों से घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमतें स्थिर हैं. हालांकि, 1 जनवरी 2025 को इसमें बदलाव भी किया जा सकता है. बता दें कि मध्यप्रदेश में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 808 रु 50 पैसे है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 156

क्या है न्यायसंगत गुजारा भत्ता? सुप्रीम कोर्ट ने तय किए नए पैमाने, पति-पत्नी दोनों के लिए राहत

नई दिल्ली ! यह बेहद दुखद है कि बेंगलुरू में 34 साल के अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी के साथ तलाक, गुजारा भत्ता और अन्य मामलों को लेकर चल रहे कानूनी विवाद के चलते अपनी जान दे दी. उन्होंने मरने से पहले अपनी पत्नी पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने, पैसे ऐंठने और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए. अतुल सुभाष ने अपने 24 पेज के सुसाइड नोट और 81 मिनट के वीडियो में आरोप लगाया कि वह पत्नी निकिता सिंघानिया को 40 हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता के तौर पर दे रहे थे. फिर भी, पत्नी और उसके परिवार वाले सभी केस खत्म करने के लिए 3 करोड़ रुपये की रकम मांग रहे थे. इतना ही नहीं, बच्चे से मिलने के लिए 30 लाख रुपये की डिमांड की जा रही थी. अतुल सुभाष की आत्महत्या ने यह दिखाया है कि तलाक-गुजारा भत्ता के मामलों में कानूनी प्रक्रिया कितनी मुश्किल और तनावपूर्ण हो सकती है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में गुजारा भत्ता को लेकर अहम फैसला सुनाया है. यह मामला दुबई के एक बैंकर, उनकी पत्नी और बच्चे के बीच कानूनी विवाद से जुड़ा था. इस मामले में कोर्ट ने गुजारा भत्ता तय करते समय 8 बातों का ध्यान रखने के लिए कहा है. अब भारत की अदालतें गुजारा भत्ता के मामलों में इसी फैसले को आधार मानकर काम करेंगी. यह मामला दुबई के एक बैंक के सीईओ का है जिनकी साल 1998 में शादी हुई और 2004 में उनका पत्नी से विवाद हो गया. इसके बाद शुरू हुई कानूनी लड़ाई, जिसमें 20 साल तक यह बैंकर पारिवारिक अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक घूमता रहा. 2004 में बैंकर ने क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक की अर्जी दायर की. इसके बाद पत्नी ने भी गुजारा भत्ता पाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत याचिका दायर कर दी. यह केस 20 साल से अदालतों में घूम रहा है. परिवारिक अदालत से शुरू हुआ ये मामला पहले हाईकोर्ट में पहुंचा और फिर सुप्रीम कोर्ट. मुख्य सवाल यही है कि पत्नी को कितना गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. 2015 में बैंकर ने सभी अदालती फैसलों का पालन करते हुए खुद से गुजारा भत्ता बढ़ा दिया. हालांकि, जब उनकी पत्नी ने और भी ज्यादा गुजारा भत्ता मांगना शुरू किया, तो उन्होंने विरोध किया. पति को यह मंजूर नहीं था कि यह रकम बार-बार बढ़ती रहे, खासकर जब उसकी अपनी भी आर्थिक स्थिति ठीक न हो और उसे अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी निभानी हो. बैंकर के वकीलों के अनुसार, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 26 एक वयस्क बच्चे को गुजारा भत्ता देने की अनुमति नहीं देती है. मगर, पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 26 को चुनौती दी और अदालत से अपने और अपने वयस्क बेटे को स्थायी गुजारा भत्ता देने का समाधान मांगा. पत्नी का कहना था कि इस कानून के हिसाब से बच्चों के बड़े होने पर ज्यादा पैसे मिलने चाहिए. उनके बेटा हाल ही में ग्रेजुएट हुआ है और अभी भी उन पर निर्भर है, इसलिए और उन्हें भी ज्यादा पैसे चाहिए. बैंकर को इस बात पर सबसे ज्यादा एतराज था कि उसकी पत्नी हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 26 का गलत इस्तेमाल करके ज्यादा पैसे मांग रही है. हालांकि वो पहले के फैसलों को मानता रहा था और गुजारा भत्ता बढ़ाने को भी तैयार था. यह पारिवारिक विवाद जब कानून का सवाल बन गया, तो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले ने केस के सभी तथ्यों को ध्यान से समझा. उन्होंने मौजूदा कानून को भी ध्यान में रखा. सुप्रीम कोर्ट ने रजनेश बनाम नेहा (2021) और उसके बाद के फैसलों में दिए गए सिद्धांतों को दोहराया है. फिर कोर्ट ने कुछ बातें बताईं जिनके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि गुजारा भत्ता देना जरूरी है या नहीं और अगर जरूरी है तो कितना. सुप्रीम कोर्ट के नए दिशानिर्देश के अनुसार, गुजारा भत्ता तय करते समय पहले ये देखा जाना चाहिए कि पति-पत्नी दोनों का समाज में क्या स्थान है, उनकी पृष्ठभूमि क्या है, उनके परिवार का क्या रुतबा है, ये सारी बातें शामिल हैं. कई बार सामाजिक प्रतिष्ठा के कारण भी गुजारा भत्ता की राशि प्रभावित हो सकती है. साथ ही दोनों कितना कमाते हैं और उनकी कितनी संपत्ति है. अगर पति आर्थिक रूप से मजबूत होता है, तो उसे ज्यादा गुजारा भत्ता देने के लिए कहा जा सकता है. अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं और उनकी आय लगभग बराबर है, तो गुजारा भत्ता की राशि कम हो सकती है या फिर शायद किसी को गुजारा भत्ता देने की जरूरत ही नहीं पड़े. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह सिर्फ एक कारक है. गुजारा भत्ता तय करते समय अदालत बाकी 7 कारकों पर भी विचार करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता तय करते समय पति-पत्नी के जीवन स्तर को भी एक अहम कारक बताया है. गुजारा भत्ता तय करते समय अदालत यह भी देखेगी कि पति-पत्नी का समाज में क्या रुतबा है और वे कैसा जीवन जीते थे. उनके पास कितने मकान और गाड़ियां हैं, उनकी कीमत क्या है? उनका घर कितना बड़ा है, उसमें कितने एसी और स्विमिंग पूल जैसी सुविधाएं हैं? उनके घर में कितने नौकर-चाकर काम करते हैं? वे कितनी बार छुट्टियां मनाने जाते थे, भारत में या विदेश में? अगर पति-पत्नी अमीर थे और ऐशो-आराम की जिंदगी जीते थे, तो पत्नी को ज्यादा गुजारा भत्ता मिल सकता है ताकि वो भी वैसी ही जिंदगी जी सके. अदालत यह भी देखेगी कि पत्नी की उम्र क्या है, उसने कितनी पढ़ाई की है और क्या वो खुद कमा सकती है. अगर वह बेरोजगार है, तो उसे ज्यादा गुजारा भत्ता मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गुजारा भत्ता तय करते समय पत्नी और बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखना जरूरी है. पत्नी को शादी के दौरान जैसा जीवन जी रही थी, वैसा ही जीवन जीने का हक है, लेकिन उसकी मांगें वाजिब होनी चाहिए. पत्नी और बच्चों की बुनियादी जरूरतें पूरी होनी चाहिए, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन अदालत यह भी देखेगी कि पत्नी की मांगें … Read more