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मानसून में कौन-से फल खाने चाहिए और किनसे बचना जरूरी है? जानिए हेल्दी चॉइस

मानसून में कौन-से फल खाने चाहिए और किनसे बचना जरूरी है? जानिए हेल्दी चॉइस

Which fruits should be eaten during monsoon and which ones should be avoided? Know the healthy choice Know the healthy choice मानसून का मौसम अपने साथ ताजगी और ठंडक तो लाता है, लेकिन साथ ही बीमारियों और पाचन संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देता है। इस दौरान हवा में नमी ज़्यादा होने के कारण डाइजेशन स्लो हो जाता है, जिससे इन्फेक्शन, पेट दर्द और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं। ऐसे में आपकी डाइट का हेल्दी और बैलेंस होना बेहद जरूरी है—खासकर फलों के चयन को लेकर। हर फल सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन मानसून में कुछ फल विशेष रूप से लाभकारी होते हैं, वहीं कुछ फल सेहत पर नकारात्मक असर भी डाल सकते हैं। आइए जानते हैं इस मौसम में कौन से फल आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाएंगे और कौन से फल से दूरी बनाना बेहतर होगा। मानसून में फल चुनने की सही रणनीति क्या होनी चाहिए?मानसून में फल का चयन करते वक्त सबसे पहले अपनी पाचन क्षमता और स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखें। इस मौसम में केला और सेब जैसे आम फलों को लेकर सबसे अधिक भ्रम रहता है। केला – फायदेमंद या नुकसानदायक?केला ऊर्जा का अच्छा स्रोत है लेकिन मानसून में यह कफ बढ़ा सकता है, जिससे सर्दी, खांसी और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।जिन्हें गैस, कब्ज या अपच की समस्या है, उन्हें इस मौसम में केले का सेवन सीमित मात्रा में और दिन में ही करना चाहिए। सेब – मानसून का भरोसेमंद साथीसेब हल्का, पचने में आसान और फाइबर युक्त फल है जो पाचन को मजबूत बनाता है।इसमें मौजूद पेक्टिन फाइबर शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है। इसे छिलके सहित खाना और भी फायदेमंद होता है। Know the healthy choice मानसून में फायदेमंद फल (Best Fruits in Rainy Season) Read more : क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव फल खाते समय इन बातों का ध्यान रखें Know the healthy choice Conclusion : मानसून में सेहत बनाए रखने के लिए फलों का सही चुनाव बहुत जरूरी है। ताजे, हल्के और जल्दी पचने वाले फल आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण से बचाते हैं। वहीं गलत फल का सेवन आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए हर फल खाने से पहले उसके गुण और आपकी बॉडी की ज़रूरतों को समझें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 52

क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव

क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव

Can frequent fatigue and lack of appetite be a warning of fatty liver? Know how prevention is possible fatty liver symptoms prevention हमारे शरीर का एक अदृश्य योद्धा — लिवर — न केवल पाचन प्रक्रिया में सहायक होता है, बल्कि यह विषैले तत्वों को बाहर निकालने और ऊर्जा संचय करने जैसे कई आवश्यक कार्य करता है। लेकिन आज की अनियमित जीवनशैली, फास्ट फूड का बढ़ता चलन और शारीरिक सक्रियता की कमी ने फैटी लीवर जैसी बीमारी को आम बना दिया है। NAFLD से अधिकतर वही लोग ग्रस्त होते हैं जो मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, या खराब डाइट का शिकार हैं। शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज fatty liver symptoms preventionफैटी लीवर चुपचाप बढ़ने वाली बीमारी है। इसके लक्षण बहुत सामान्य हो सकते हैं, जैसे: गंभीर स्थिति में बदलने के संकेतयदि समय रहते इलाज न हो, तो फैटी लीवर धीरे-धीरे नॉन-अल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) का रूप ले सकता है, जिससे लिवर में सूजन और डैमेज शुरू हो जाता है। इसके संकेत हो सकते हैं: ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आप बार-बार कमजोरी, थकान या भूख में कमी जैसा कुछ महसूस कर रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह फैटी लीवर की शुरुआती घंटी हो सकती है। आज का सच यही है — रोग को पहचानो, रोकथाम करो और लिवर को मजबूत बनाओ। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी हेतु है। किसी भी तरह की चिकित्सकीय सलाह के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 75

सिरदर्द को न करें नजरअंदाज: ये संकेत हो सकते हैं किसी गंभीर बीमारी के

सिरदर्द को न करें नजरअंदाज: ये संकेत हो सकते हैं किसी गंभीर बीमारी के

Do not ignore headache: These can be signs of a serious disease Do not ignore headache आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में सिरदर्द को हम अक्सर नींद की कमी या थकान का सामान्य लक्षण मान लेते हैं। लेकिन अगर यह सिरदर्द बार-बार हो रहा है, पेनकिलर से भी ठीक नहीं हो रहा, या इसके साथ अन्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं — तो यह शरीर का एक गंभीर चेतावनी संकेत हो सकता है। सिरदर्द के पीछे छिपे हो सकते हैं ये बड़े कारण ब्रेन ट्यूमरअगर सिर में बार-बार एक ही स्थान पर दर्द हो रहा है और वह समय के साथ तेज़ होता जा रहा है, तो यह ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है। विशेष रूप से अगर दवा लेने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है। माइग्रेनमाइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें सिरदर्द के साथ मतली, तेज़ रोशनी या आवाज़ से चिढ़, और धुंधलापन भी हो सकता है। इसका इलाज केवल दवा नहीं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव से भी संभव है। Read More: सीधी में रातों-रात आदिवासी परिवार बेघर, कमलेश्वर पटेल ने जताया विरोध साइनस इन्फेक्शननाक बंद होना, चेहरे में भारीपन और माथे पर दबाव के साथ दर्द — ये संकेत साइनस के हो सकते हैं। यह वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है। आंखों की समस्याअगर लंबे समय तक स्क्रीन देखने या पढ़ने के बाद सिरदर्द होता है, तो आंखों में नंबर बढ़ना, चश्मा न लगाना या थकावट इसकी वजह हो सकती है। कब सतर्क हो जाएं? Do not ignore headache क्या करें सिरदर्द होने पर? Do not ignore headache न करें इसे मामूली समझने की भूलसिरदर्द एक ऐसा शरीरिक अलार्म है जिसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। यह किसी गहरी और गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। अगली बार सिर में हल्का दर्द भी हो, तो उसे नजरअंदाज न करें — क्योंकि कभी-कभी छोटा दर्द, बड़े खतरे की घंटी हो सकता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 44

delicious chatpati aloo katli: इस तरह बनाएं चटपटी और मसालेदार आलू की कतली, पराठों के संग लगती है खूब टेस्टी

delicious chatpati aloo katli

tasty easy delicious chatpati aloo katli fry recipe lifestyle recipe : delicious chatpati aloo katli घर में कोई सब्जी ना हो या कुछ अलग सा खाने का मन हो, तो बना लें ये चटपटी मसालेदार आलू की कतली। ये झटपट बन भी जाती है और सभी को इसका स्वाद भी खूब पसंद आता है। रोज-रोज की वही दाल-सब्जियां खा कर बोर होना लाजमी है। delicious chatpati aloo katli इसलिए अक्सर घर की महिलाएं बड़ी कन्फ्यूज रहती हैं कि खाने में क्या कुछ नया बनाया आए। बच्चे खाने को देखकर अलग नाक-मुंह बनाएं रहते हैं। अब गर्मियों के मौसम में घंटों किचन में खड़े रहना तो मुमकिन है नहीं, इसलिए कुछ ऐसा ही बनाने का मन होता है जो घर में सभी खा भी लें और झटपट बन भी जाए। हमारी आज की रेसिपी आपकी इन सभी परेशानियों को दूर कर देगी। जी हां, आज हम आपके लिए लाए हैं चटपटी मसालेदार सूखी आलू कतली की रेसिपी। ये आलू की सूखी सब्जी इतनी टेस्टी बनती है कि घर में हर कोई इसे खाना पसंद करेगा। पूड़ी हों या रोटी-पराठे, ये सभी के साथ बड़ी टेस्टी लगती है। तो चलिए जानते हैं आलू कतली की मजेदार सी रेसिपी। चटपटी सूखी आलू कतली बनाने की सामग्री (delicious chatpati aloo katli) आलू की कतली बनाने के लिए आपको जिन सामग्रियों की जरूरत होगी वो हैं – सरसों का तेल (1/3 कप), जीरा, चुटकी भर हींग, 3 सूखी लाल मिर्च, आलू ( 4 से 5, लगभग 500-600 ग्राम), स्वादानुसार नमक, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर (1 चम्मच), आधा चम्मच भुना जीरा पाउडर, एक चम्मच चाट मसाला, आधा चम्मच अमचूर पाउडर, एक प्याज, फ्रेश हरी धनिया पत्ती, हरी मिर्च। चटपटी आलू कतली बनाने की विधि (delicious chatpati aloo katli) आलू की सूखी मसालेदार कतली बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में सरसों का तेल गर्म कर लें। जैसे ही तेल हल्का गर्म हो, उसमें जीरा और चुटकी भर हींग मिलाएं। इसमें सूखी हुई लाल मिर्च के टुकड़े भी एड कर दें। अब इसमें कटे हुए आलू के टुकड़े भी मिलाएं। आपको आलू को ना ज्यादा मोटा और ना ही ज्यादा बारीक काटना है। आलू के टुकड़े गोल शेप में कटे होने चाहिए। अब आलू को अच्छी तरह तेल में फ्राई होने दें। तेज आंच पर लगभग सात से आठ मिनट के लिए आलू को फ्राई कर लें, जबतक ये गोल्डन रंग के ना हो जाएं और 70 से 80 प्रतिशत तक कुक ना हो जाएं। Read more : पहलगाम हमले पर कांग्रेस की मांग-खुफिया विफलताओं और सुरक्षा चूक की जांच की जाए जैसे ही आलू थोड़े पक जाएं, तो उनमें लाल मिर्च, नमक, भुना जीरा पाउडर, हल्दी, धनिया पाउडर और चाट मसाला एड करें। इस दौरान गैस की फ्लेम को धीमा रखें और दो से तीन मिनट के लिए मसालों को अच्छी तरह पका लें। अब इसमें गोल-गोल कटी हुई प्याज के टुकड़े एड करें। इसके बाद सभी चीजों को अच्छी तरह पका लें। इसके लिए आप सब्जी में दो से तीन चम्मच पानी भी एड कर सकते हैं। अब इसे ढककर तबतक पकाएं, जबतक आलू अच्छी तरह गल ना जाएं। लास्ट में आप इसमें अमचूर पाउडर मिला सकती हैं। इसके बाद दो से तीन मिनट के लिए सब्जी को पकाना ना भूलें। पकने के बाद गैस बंद करें और इसमें फ्रेश हरा धनिया और बीच से कटी हुई हरी मिर्च एड करें और गरमा-गरम आलू की कतली का लुफ्त उठाएं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 26

Inspiring teachings of Ramakrishna Paramahamsa: शरीर ही नहीं, मन की भी होनी चाहिए सफाई

Inspiring teachings of Ramakrishna Paramahamsa

Inspiring teachings of Ramakrishna Paramahamsa: Not only the body, but the mind should also be cleansed लाइफस्टाइल डेस्क: Inspiring teachings of Ramakrishna Paramahamsa उन संतों में से थे, जिनका आचरण साधारण नहीं, बल्कि अलौकिक था। उनका व्यवहार सहज, ईश्वर के प्रेम में डूबा हुआ था। वे कभी भक्तिभाव में रोने लगते, कभी अचानक आनंद से झूमने लगते थे। कई बार मां काली की मूर्ति के सम्मुख समाधि की अवस्था में पहुंच जाते थे। उनके शिष्य यह भलीभांति जानते थे कि उनके गुरु हर कार्य अपने ही अद्भुत अंदाज में करते हैं। एक ऐसा काम था, जिसे परमहंसजी अत्यंत एकाग्रता और गहराई से करते थे, वह काम था उनका लोटा मांजना यानी साफ करना। परमहंसजी के पास एक साधारण पीतल का लोटा था, जिसका उपयोग वे केवल निजी कार्यों के लिए करते थे। किंतु वह लोटा उनके लिए केवल एक बर्तन नहीं था। वे दिन में तीन से चार बार उसे रगड़-रगड़ कर चमकाते। सुबह उठते ही और रात को सोने से पहले लोटा मांजना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। वे अंगूठे से भीतर-बाहर उसे इतनी लगन से मांजते कि उसमें प्रतिबिंब साफ दिखाई देने लगे। Inspiring teachings of Ramakrishna Paramahamsa शिष्य प्रतिदिन यह दृश्य देखते और चकित होते, एक आत्मज्ञानी संत, जिनके लिए संसार का कोई आकर्षण नहीं, वह एक लोटे को इतनी लगन से क्यों साफ करते हैं? एक दिन शिष्यों ने पूछा कि – “गुरुदेव, ये लोटा तो हम भी साफ कर सकते हैं, फिर आप ही इसे इतनी तन्मयता से क्यों मांजते हैं? क्या यह कोई विशेष लोटा है?” रामकृष्ण परमहंस मुस्कराए, उनकी आंखों में करुणा और ज्ञान की चमक थी। उन्होंने कहा, “हां, ये लोटा विशेष है, क्योंकि ये मेरा मन है। मैं जब इस लोटे को मांजता हूं तो ये नहीं सोचता कि ये सिर्फ पीतल का बर्तन है। मैं इसे प्रतीक मानता हूं अपने मन का। जिस प्रकार इस पर दिन भर धूल जमती है, ठीक वैसे ही हमारे मन पर भी हर पल विचारों की गंदगी जमा होती रहती है। अगर मैं एक बार भी इसकी सफाई छोड़ दूं तो ये गंदा हो जाएगा, जैसे मन की गंदगी इंसान को भ्रमित कर देती है। लोटे को मांजते समय मैं खुद को याद दिलाता हूं कि अपने मन को भी इसी श्रद्धा, सतर्कता और नियमितता से साफ करना चाहिए, क्योंकि एक गंदा मन, हमें पाप की ओर धकेल सकता है।” Read more: हिमाचल 78वां स्थापना दिवस विशेष : CM सुक्खू पांगी में, जिलों में मंत्री फहराएंगे तिरंगा रामकृष्ण परमहंस की सीख हमें न केवल अपने शरीर और आसपास की, बल्कि अपने मन की पवित्रता की भी चिंता करनी चाहिए। जब तक मन शुद्ध नहीं होगा, तब तक कर्म और भावनाएं भी पवित्र नहीं हो सकतीं। यदि मन पर ध्यान नहीं देंगे तो मन हमें पथभ्रष्ट कर सकता है। बाहरी सफाई के साथ ही हमें मन के नकारात्मक विचारों को दूर करते रहना चाहिए, तभी जीवन में सुख-शांति आ सकती है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 43

Vastu Tips: क्यों पहले के समय में गोबर से होती थी घर की लीपाई? क्या कहते हैं धार्मिक ग्रंथ?

Vastu Tips: क्यों पहले के समय में गोबर से होती थी घर की लीपाई? क्या कहते हैं धार्मिक ग्रंथ?

why were homes plastered with cow dung in earlier times pehle ke samay me gobar se kyon leepa jata tha plastered with cow dung आज भी जब हम गांव जाते हैं तो सुबह की पहली किरण के साथ जो सोंधी खुशबू उठती थी, वह सिर्फ मिट्टी की नहीं, गोबर से लिपे आंगनों की होती थी। यह परंपरा असल में सनातन धर्म की उन गहराइयों से जुड़ी है जहां हर वस्तु का एक दिव्य और व्यावहारिक अर्थ छुपा होता है। गोबर से घर लीपने से वह शुद्ध और ठंडा बना रहता है। तो आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि पहले के समय में घर को गोबर से क्यों लीपा जाता है। क्या ये सिर्फ एक चली आ रही कोई परंपरा थी, या इसके पीछे कुछ कारण भी थे? आइए जानते हैं। क्यों गोबर से लीपा जाता था घर? सनातन परंपरा में गोबर को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना गया है। किसी भी धार्मिक आयोजन से पहले जब घर के आंगन को गोबर से लिपा जाता है, तो वह सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि भूमि को ऊर्जा देने की एक क्रिया होती है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि गोबर में लक्ष्मी का वास होता है । इसलिए कहते हैं, “गोमय वसते लक्ष्मी”। इसका अर्थ यही है कि जहां गोबर है, वहां समृद्धि, सकारात्मकता और पवित्रता खुद आ जाती है। plastered with cow dung Read more: इंजेक्शन, टैबलेट या फिर लिक्विड…शरीर में दवा पहुंचाने का क्या है सबसे सही तरीका? पंचगव्य बनाने में भी आता है काम गोबर केवल धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल नहीं होता है, बल्कि यह पंचगव्य का भी एक आवश्यक हिस्सा है, जिसमें गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी आदि शामिल है। इन पांच तत्वों का मिश्रण न केवल आध्यात्मिक शुद्धिकरण करता है, बल्कि यह आयुर्वेद में एक औषधीय तत्व के रूप में भी प्रयोग होता है। कुछ पुराणों में यह साफ बताया गया है कि पंचगव्य का सेवन पापों को हरने वाला और रोगों को मिटाने वाला होता है। plastered with cow dung शुभ कार्य के दौरान गोबर का किया जाता है इस्तेमाल धार्मिक ग्रंथों में गोबर का जो स्थान है, इसे किसी भी प्रकार से बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया गया है। अथर्ववेद से लेकर गरुड़ पुराण और मनुस्मृति तक में गोबर और गाय से जुड़े पदार्थों की महिमा का वर्णन मिलता है। इसलिए जब भी घर में कई त्यौहार मनाया जाता है या फिर कोई शुभ कार्य, जैसे कि हवन या पूजा किया जाता है तो पूरे घर को गोबर से लीपा जाता है, जिससे घर में लक्ष्मी का वास हो और घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि हो। घर में मक्खियों, मच्छरों को भी दूर भगाता है गोबर बता दें कि गोबर कीट-पतंगों से रक्षा करने में काफी असरदार साबित होता है। गोबर से घर में मक्खियां, मच्छर, और कीट दूर रहते हैं। यही कारण है कि गांवों में गोबर से लिपे घरों में रोगों का प्रकोप कम देखा गया है। इसके अलावा, यह पूरी तरह जैविक है, पर्यावरण के अनुकूल है, और धरती को हानि नहीं पहुंचाता। डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए “माइ सीक्रेट न्यूज़” उत्तरदायी नहीं है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 55

इंजेक्शन, टैबलेट या फिर लिक्विड…शरीर में दवा पहुंचाने का क्या है सबसे सही तरीका?

इंजेक्शन, टैबलेट या फिर लिक्विड…शरीर में दवा पहुंचाने का क्या है सबसे सही तरीका?

injection tablet or liquid what is the fastest way to get medication into the body Way to Get Medication into the Body : किसी भी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर डॉक्टर उनकी स्थिति के हिसाब से उन्हे दवाएं देते हैं. डॉक्टर अपने मरीजों को दवाएं कई रूपों में देते हैं, जिसमें टैबलेट, कैप्सूल, लिक्विड सिरप, इंजेक्शन या फिर इन्हेलर जैसे अन्य विकल्प होते हैं. अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि इनमें से किस तरह की दवाएं सबसे अधिक असरदार होती हैं? तो आपको बता दें कि इसका जवाब इस पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह की समस्या हुई है और आपकी स्थिति कितनी गंभीर है. आइए जानते हैं इस बारे में- medication into the body टैबलेट और कैप्सूल टैबलेट और कैप्सूल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला तरीका है. इन्हें लेना आसान होता है, ये लंबे समय तक स्टोर की जा सकती हैं और कम खर्चीली भी होती हैं. हालांकि, इन्हें पचने और खून में घुलने में समय लगता है, इसलिए ये उन बीमारियों में दी जाती हैं जिनमें तुरंत असर की जरूरत नहीं होती, जैसे – सामान्य बुखार, दर्द, एलर्जी, ब्लड प्रेशर इत्यादि स्थितियों में टैबलेट और कैप्सूल जैसी दवाएं दी जाती हैं. medication into the body Read more: एमपी में जल संकट, बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण, नल जल योजना पूरी तरह फेल लिक्विड जिन मरीजों के निगलने की क्षमता कम होती है, जैसे- छोटे बच्चे या बुजुर्ग, उन्हें दवाएं लिक्विड दी जाती हैं. लिक्विड में मिलने वाली दवाएं जल्दी अवशोषित होती हैं और स्वाद के अनुसार बनाई जाती हैं. पर इनकी मात्रा का सही निर्धारण जरूरी होता है. इंजेक्शन किसी भी मरीज को इंजेक्शन तब दिया जाता है, जब दवा को शरीर में तुरंत पहुंचाना होता है. इंजेक्शन सबसे सबसे प्रभावी तरीका होता है. ये सीधे खून में (IV), मांसपेशी (IM) या स्किन के नीचे (SC) दिए जाते हैं. इंजेक्शन गंभीर संक्रमण, एलर्जी रिएक्शन या सर्जरी के समय इसका इस्तेमाल किया जाता है. मुख्य रूप से तेज बुखार, डिहाइड्रेशन, गंभीर संक्रमण, डायबिटीज (इंसुलिन) जैसी स्थितियों में दिया जाता है. सबसे सही तरीका कौन सा है? दवाएं देने का कोई सही तरीका नहीं होता है. यह पूरी तरह इस पर निर्भर करता है कि बीमारी की गंभीरता क्या है? दवा कितनी जल्दी असर दिखानी चाहिए? मरीज की उम्र और शारीरिक स्थिति क्या है? हर दवा देने का तरीका अपनी जगह सही होता है. डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त तरीका चुनते हैं. खुद से दवाओं का रूप या तरीका बदलना खतरनाक हो सकता है, इसलिए हमेशा चिकित्सक की सलाह लेना ही सबसे सही तरीका है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 42