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पाकिस्तान ने फिर चीन के सामने फैलाया हाथ, मांगा 110 अरब रुपये का नया लोन

इस्लामाबाद कंगाली में डूबे पाकिस्तान एक बार फिर खुद को बचाने के लिए चीन के दरवाजे पर खैरात मांगने पहुंच गया है। पाकिस्तान ने चीन से अतिरिक्त 10 अरब युआन (1.4 अरब डॉलर या 117.70 अरब भारतीय रुपये) का कर्ज देने की गुहार लगाई है। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने वॉशिंगटन में चीन के वित्त मामलों के उप मंत्री लियानो मिन से मुलाकात की और चीनी पक्ष से मुद्रा विनिमय समझौते के तहत सीमा को बढ़ाकर 40 अरब युआन करने का अनुरोध किया। चीन के कर्ज जाल में फंस रहा पाकिस्तान ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अगर चीन इस अनुरोध को स्वीकार कर लेता है तो कुल सुविधा लगभग 5.7 अरब डॉलर हो जाएगी। पाकिस्तान पहले ही अपना कर्ज चुकाने के लिए 30 अरब युआन (4.7 अरब डॉलर) की चीनी व्यापार सुविधा का उपयोग कर चुका है। अब वह इस सुविधा को अतिरिक्त 10 अरब युआन (1.4 अरब डॉलर) तक बढ़ाना चाहता है। मौजूदा 4.3 बिलियन डॉलर की सुविधा पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक 'स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान' के विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा है, जो करीब 11 अरब डॉलर है। पहले भी खैरात मांग चुका है पाकिस्तान यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने इस तरह की मांग की है। नकदी संकट से जूझ रहे देश ने पहले भी कर्ज सीमा बढ़ाने की मांग की है, लेकिन चीन ने इस तरह की अपीलों को खारिज किया है। यहां ध्यान देने की बात है कि पाकिस्तान ने यह नया अनुरोध 4.3 अरब डॉलर की सुविधा को विस्तारित करने के दो सप्ताह बाद किया है। इस विस्तार को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग की हाल की यात्रा के दौरान औपचारिक रूप दिया गया था, जिसमें पाकिस्तान की कर्ज चुकौती अवधि को 2027 तक बढ़ा दिया गया था। लोन चुकाने के लिए चाहिए लोन पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने नए अनुरोध की पीछे के कारणों को साफ नहीं किया है, लेकिन रिपोर्ट से पता चलता है कि पहले से चले आ रहे कुछ कर्जों की चुकौती को लेकर संकट के चलते देश अतिरिक्त वित्तीय सहायता के लिए मजबूर हुआ है। पाकिस्तान और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने दिसम्बर 2011 में द्विपक्षीय मुद्रा विनियम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 में 20 अरब युवान की प्रारंभिक सीमा को तीन वर्षों के लिए 30 अरब युवान तक बढ़ा दिया गया था। नवम्बर 2022 में तत्कालीन वित्त मंत्री इशाक डार ने अन्य कर्जों में देरी के कारण 10 अरब युआन की वृद्धि का अनुरोध किया था। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

मोदी सरकार कब जारी कर सकती है PM Kisan Yojana की 19वीं किस्त? यहां जानें किसान

नई दिल्ली  प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक ऐसी योजना है जिसके जरिए करोड़ों किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। इस योजना को भारत सरकार चलाती है और देश का किसान इससे लाभान्वित हो रहा है। हर साल इस योजना के लिए करोड़ों रुपये जारी किए जाते हैं। जो किसान इस योजना के लिए पात्र होते हैं उन्हें भारत सरकार की तरफ से सालाना 6 हजार रुपये दिए जाते हैं। योजना के अंतर्गत अब तक कुल 18 किस्त के पैसे जारी हो चुके हैं और अब अगली बारी 19वीं किस्त की है। तो चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि ये किस्त कब जारी हो सकती है। आप अगली स्लाइड्स में 19वीं किस्त के बारे में जान सकते हैं… कितनी किस्त आ चुकी है?     पीएम किसान योजना के अंतर्गत अब तक 18 किस्त जारी हो चुकी हैं। बीती 5 अक्तूबर को 18वीं किस्त जारी की गई। इसका लाभ 9.4 करोड़ से अधिक किसान लाभार्थियों को मिला। डीबीटी के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में पैसे भेजे गए। कब जारी हो सकती है 19वीं किस्त?     किस्त के पैस देने के लिए एक नियम है जिसके अंतर्गत लगभग हर 4 महीने के अंतराल पर किस्त जारी की जाती है। ऐसे में अगर देखें तो पिछली किस्त (18वीं किस्त) 5 अक्तूबर 204 को जारी हुई। ऐसे में अगली किस्त (19वीं किस्त) का समय अगले चार महीने यानी जनवरी में जारी हो सकती है। हालांकि, अभी आधिकारिक तौर पर इसको लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है। ये काम जरूर करवा लें:-     अगर आप चाहते हैं कि आपको भी योजना के अंतर्गत मिलने वाले किस्त के 2 हजार रुपये मिले तो इसके लिए जरूरी है कि आप ई-केवाईसी करवा लें। जो किसान इस काम को नहीं करवाते हैं वे किस्त के लाभ से वंचित रह सकते हैं। इसलिए लाभ लेने के लिए ये काम जरूर करवा लें। 19वीं किस्त जारी होने की तारीख क्या है?     किस्त का लाभ लेने के लिए दूसरा काम है भू-सत्यापन। इस काम को करवाना भी बेहद जरूरी है। नियमों के तहत जो किसान इस काम को नहीं करवाते या करवाएंगे, वे किस्त के लाभ से वंचित रह जाएंगे     साथ ही अपने आधार कार्ड को अपने बैंक खाते से लिंक जरूर करवा लें क्योंकि अगर आप ये काम नहीं करवाते तो भी आपकी किस्त अटक सकती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 31

भारत में 2023 में सड़क हादसों के कारण 1,73,000 लोगों की मौत हुई: रिपोर्ट

नई दिल्ली भारत में सड़क हादसों में होने वाली मौतों का आंकड़ा चिंताजनक है। 2023 में देश में 1,73,000 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा बैठे। इनमें से लगभग 55% मौतें केवल छह बड़े राज्यों – उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई हैं। राजस्थान में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा इजाफा देखा गया है, जहां 2022 की तुलना में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 6% की वृद्धि हुई है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस बढ़ते हुए आंकड़े पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को अधिकारियों और इंजीनियरों से सड़क दुर्घटनाओं की जांच करने और सुधारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया। सड़क हादसों में बुझ गए हजारों घरों के चिराग आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में इन छह राज्यों में 95,246 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई, जबकि 2022 में यह संख्या 91,936 थी। हालांकि सड़क परिवहन मंत्रालय और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा अभी तक सड़क दुर्घटनाओं और मौतों पर रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है, लेकिन यह ट्रेंड बताता है कि भारत द्वारा अगले छह वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को आधा करने की कोशिश के बावजूद यह समस्या कितनी गंभीर होती जा रही है। पिछले साल देश में कहां हुए सबसे अधिक सड़क हादसे दिल्ली में संयुक्त आयुक्त (यातायात) रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी सत्येंद्र गर्ग ने बताया कि दुर्घटनाओं की उचित जांच और हस्तक्षेप से सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। दिल्ली के यातायात मुद्दों से निपटने के दौरान मुझे इसका एहसास हुआ था। ज़्यादातर दुर्घटनाओं और मौतों को रोका जा सकता है। हादसों की जांच जरूरी विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी अधिकारियों को इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है कि बड़े राज्यों में सड़कें और वाहन ज्यादा होने के कारण सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या भी ज्यादा होगी। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और ड्राइविंग मैनुअल के लेखक नरेश राघवन का कहना है कि कानूनों को लागू करने के साथ-साथ ड्राइवरों को शिक्षित करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। वह कहते हैं कि याद रखें कि केवल पांच या छह नियमों को ही पुलिस यातायात नियमों को लागू कर सकती है। शेष 45 बुनियादी सड़क नियम लोगों/ड्राइवरों को सिखाने होंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को सड़क और पुल निर्माण में उभरते रुझानों और तकनीकों पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में हमने 1.73 लाख लोगों की जान गंवाई है और याद रखें कि हर साल मरने वाले लगभग 60% लोग 18-34 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत हमारे सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3% है। कृपया इसे गंभीरता से लें। सड़क सुरक्षा के मुद्दों को संवेदनशीलता से निपटें, दुर्घटनाओं की जांच करें, खतरनाक जगहों को ठीक करें और मुद्दों का समाधान करें। हमने युद्धों में भी इतने लोगों को कभी नहीं खोया। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 35

आज से शुरू हो रहे भारत के खिलाफ तीसरे टेस्ट में चोटिल विलियमसन नहीं खेलेंगे

मुंबई ग्रोइन इंजरी से जूझ रहे केन विलियमसन भारत के खिलाफ एक नवंबर से मुंबई में शुरू हो रहे तीसरे टेस्ट में भी नहीं खेलेंगे। न्यूजीलैंड क्रिकेट (एनजेडसी) ने कहा है कि इंग्लैंड के खिलाफ आगामी तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में विलियमसन की फिटनेस सुनिश्चित करने के मद्देनजर वह तीसरे टेस्ट के लिए भारत नहीं जाएंगे। न्यूजीलैंड टीम के कोच गैरी स्टीड के हवाले से एनजेडसी ने कहा, “केन की स्थिति में काफी सुधार हुआ है लेकिन इस समय वह हमारे साथ जुड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। इसलिए हमारे विचार में उन्हें अभी न्यूजीलैंड में रिहैब करना चाहिए ताकि वह इंग्लैंड के खिलाफा श्रृंखला के लिए तैयार हो सकें।” इंग्लैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला क्राइस्टचर्च में 28 नवंबर से शुरू होने वाली है। विलियमसन को यह चोट श्रीलंका दौरे के दौरान लगी थी। जिसके चलते विलियमसन भारत के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों का भी हिस्सा नहीं बन पाए थे।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

मध्यप्रदेश दिवस ख़ास: आखिर कैसे अस्तित्व में आया मध्यप्रदेश? 

Madhya Pradesh Day Special: How did Madhya Pradesh come into existence?  इंदौर और ग्वालियर जैसे धनी शहरों वाला मध्यप्रांत कैसे मध्यप्रदेश में शामिल हुआ? नेता और अफसर जबलपुर को राजधानी मान जमीन खरीदते रहे लेकिन नेहरू और पटेल ने बाजी क्यों पलट दी? भोपाल (कमलेश)। राजधानी के लिए कैसे भोपाल का चुनाव हुआ? जब नया प्रदेश बना तो चार राज्यों के अफसर-कर्मचारियों के बीच कई तरह के विवाद हुए। यहां तक कि पोहे को लेकर भी अफसर-कर्मचारियों में झगड़ा होता था। आइए चलते हैं यादों के खट्‌टे-मीठे सफर पर… मध्य प्रांत, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल को मिलाकर मध्य प्रदेश बना। आखिर नए राज्य की जरूरत क्यों पड़ी मध्यप्रदेश का जन्म एक विचित्र संयोग था। यहां के रहने वालों ने कभी किसी ऐसे प्रदेश की मांग नहीं की थी, लेकिन जब दिसंबर 1952 में श्रीरामुलु नाम का एक व्यक्ति तेलुगू भाषी राज्य की मांग को लेकर भूख हड़ताल करते हुए मर गया और आंध्र प्रदेश का गठन हुआ, तब देश के बाकी इलाके भी भाषायी आधार पर राज्य की मांग करने लगे। तब सुप्रीम कोर्ट के जज सैयद फजल अली की अध्यक्षता में कवालम माधव पाणिक्कर और डॉ. हृदयनारायण कुंजरु की सदस्यता में 1955 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बना, जिसकी कोई भाषायी पहचान नहीं थी। गुना से हिन्दू महासभा के सांसद विष्णु घनश्याम देशपाण्डे ने संसद में नए राज्य का विरोध किया। पुनर्गठन की बहस में बोलते हुए उन्होंने कहा- अगर कोई प्रांत है, जिसका अपना जीवन नहीं है… लाइफ ऑफ इट्स ओन नहीं है, तो वह मध्यप्रदेश है। विधायकों की संयुक्त बैठक नागपुर के विधानसभा भवन में हुई चार राज्यों में सबसे छोटा भोपाल राज्य था। ये अपने शासक नवाब हमीदुल्लाह के बगावती तेवरों के कारण सबसे चर्चित था। आजादी के डेढ़ साल तक नवाब ने भोपाल रियासत का भारत संघ में विलय नहीं किया था। सरदार पटेल के हस्तक्षेप के बाद भोपाल में 30 सदस्यीय विधानसभा का निर्माण हुआ और डॉ. शंकरदयाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया। मध्य प्रांत सबसे बड़ा राज्य था। इसमें नागपुर, विदर्भ के 8 जिलों सहित पूरा छत्तीसगढ़ भी शामिल था। राज्यों के विलीनीकरण के दौरान अंग्रेजों की प्रशासकीय इकाई सेंट्रल प्रॉविन्स और बरार को 1950 में मध्यप्रदेश बना दिया गया था। ये सबसे व्यवस्थित राज्य इसलिए भी था क्योंकि यह अंग्रेजों के समय से एक प्रशासनिक इकाई था। 1956 में जब नया राज्य बनना तय हो गया तो अक्टूबर में चारों राज्यों के सभी कांग्रेसी विधायकों की संयुक्त बैठक नागपुर के विधानसभा भवन में की गई। बैठक में सर्वसम्मति से रविशंकर शुक्ल को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। राज्य बना तो राजधानी को लेकर उठापटक शुरू हो गई 1 नवंबर 1956 को राज्यों के पुनर्गठन के बाद जब नया मध्यप्रदेश बना, तब राजधानी को लेकर काफी जद्दोजहद हुई। जहां ग्वालियर और इंदौर मध्यभारत के बड़े शहर थे, वहीं रायपुर रविशंकर शुक्ल का गृहनगर था। इसके बाद जबलपुर का भी दावा मजबूत था। पुनर्गठन आयोग ने अपनी सिफारिश में जबलपुर का नाम राजधानी के लिए प्रस्तावित किया था। कहा जाता है कि सेठ गोविंददास ने जबलपुर को राजधानी बनवाने के लिए सबसे ज्यादा कोशिश की थी। उन्हीं दिनों विनोबा भावे ने जबलपुर को संस्कारधानी की उपमा भी दी थी। जबलपुर के राजधानी न बन पाने का एक कारण ये भी माना गया कि वहां के समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित हुई कि सेठ गोविंददास के परिवार ने जबलपुर-नागपुर रोड पर सैकड़ों एकड़ जमीन खरीद ली है। अखबारों में छपा कि सेठ परिवार ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि जब जबलपुर राजधानी बनेगी तो वहां जमीनों का अच्छा मुआवजा मिलेगा। ये बात जब प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को पता चली तो भोपाल का पक्ष और मजबूत हो गया। भोपाल को राजधानी बनाने का एक कारण और था- विंध्य प्रदेश में समाजवादी आंदोलन को कमजोर करना। जबलपुर राजधानी बनता तो महाकौशल के साथ विंध्य भी राजनीतिक सरगर्मी का केंद्र रहता। जबलपुर को राजधानी न बनाने का एक तर्क और दिया गया कि वहां सरकारी कर्मचारी और कार्यालयों के लिए उपयुक्त इमारतें नहीं हैं। इधर, डॉ. शर्मा प्रधानमंत्री पं. नेहरू को यह समझाने में सफल रहे कि भोपाल में बहुत सारी सरकारी इमारतें और जमीन खाली हैं। यहां जमीन खरीदने की जरूरत नहीं होगी। 1958 में नेहरू ने रखी वल्लभ भवन की नींव राज्य बनने के साथ ही नई राजधानी बनाने का काम भी शुरू हुआ। दूसरे मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू ने दक्षिण की तरफ एक सुनसान जगह को मंत्रालय के लिए चुना। इस इलाके का नाम लक्ष्मीनारायण गिरी रखा गया। 1958 में नेहरु ने वल्लभ भवन की आधारशिला रखी। वल्लभ भवन को बनने में 7 साल का समय लगा। सचिवालय का नाम वल्लभ भवन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के कहने पर रखा गया। मिश्र वल्लभ भाई पटेल से बहुत प्रभावित थे। उस जमाने में भोपाल का सबसे आखिरी छोर रोशनपुरा चौराहा हुआ करता था। जब भोपाल राजधानी बना तो कर्मचाारियों के लिए नाॅर्थ टीटीनगर और साउथ टीटी नगर बना। उसके बाद भोपाल में एक नंबर, दो नंबर से लेकर ग्यारह नंबर स्टॉप तक बिल्डिंगें बनती रहीं। भोपाल राजधानी बना तो बाकी शहरों को संतुष्ट करने की कोशिश हुई। जबलपुर को हाईकोर्ट, ग्वालियर को रेवेन्यू बोर्ड और इंदौर को लोक सेवा आयोग दिया गया। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की 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