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आगरा

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आगरा में सामाजिक न्याय की नई क्रांति का नारा दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की वैचारिक लड़ाई का आगरा नया केंद्र बनकर उभरेगा। वह शनिवार को साफ कर गए कि 2027 का चुनाव आगरा बनाम पीडीए होगा।

सपा मुखिया ने पीडीए कार्ड को नई धार दी और सपाइयों में जोश भरा। कहा कि वह आगरा में संकल्प लें और इसे सामाजिक न्याय का प्रतीक मानें। पीडीए से 2024 में मिली सफलता को सपा 2027 चुनाव में फिर भुनाना को आतुर है। इसलिए शनिवार को उनके निशाने पर एक तरफ योगी सरकार में पीडीए के लोगों पर हुए अत्याचार, तो दूसरी तरफ बाबा साहब के संविधान को पीडीए के लिए ढाल बताया।

आगरा में नौ विधानसभा सीटें और 15 लाख से अधिक दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक मतदाता हैं। सिर्फ बाह की सीट छोड़कर बाकी आठ सीटों पर कभी भी सपा का खाता नहीं खुला। 30 साल से सपा तीसरे नंबर की पार्टी रही। लेकिन 2022 के चुनाव में सपा, कांग्रेस और रालोद ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा। इससे वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ और नौ विधानसभा सीटों में से छह पर गठबंधन दूसरे नंबर पर रहा।
राणा सांगा पर मचे घमासान के बाद सपा सुमन को दलित नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है और बाबा साहब के नाम पर दलितों को साधने में लगी है। वहीं, अल्पसंख्यक और गैर यादव मतदाताओं में भी अपनी पैठ बनाने में जुटी है। सपा सांसद के आवास पर हुए हमले को दलित नेता के घर पर हमले के रूप में प्रचारित कर रही है।

महापुरुषों पर टिप्पणी नहीं करने की नसीहत
सपा मुखिया ने पार्टी पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि महापुरुषों पर कोई टिप्पणी न करें। इसके साथ ही कहा कि इतिहास को इतिहास ही रहने दिया जाए। क्योंकि इतिहास में कई ऐसी बातें हैं, जो न हमें पसंद आएंगी और न उन्हें। सपा प्रमुख के आने पर आगरा, मथुरा, हाथरस, इटावा, मेरठ तक से कार्यकर्ता व पार्टी पदाधिकारी आगरा आए थे।

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