Government Gyanodaya Residential School: Due to gross negligence of teachers, 93 students were forced to leave the school
- शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय शारदा नगर रांझी जबलपुर में शैक्षणिक व्यवस्था चौपट
- वंचित एवं कमजोर वर्ग के लिए संभाग स्तर का विशेष विद्यालय परन्तु शिक्षा की स्थिति बदतर
- अनुसूचित जाति जनजाति छात्र संघ ने कमजोर परिणाम देने वाले शिक्षकों पर की कार्रवाई की मांग
- छात्रों को विद्यालय से निकाले जाने पर अभिभावक हुए आक्रोशित
जबलपुर । Government Gyanodaya Residential School शारदा नगर रांझी जबलपुर में मध्य प्रदेश शासन के अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संचालित संभाग स्तर का विशेष विद्यालय है जिसमें शैक्षणिक एवं व्यवस्था हेतु केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जाता है परंतु हाल ही में जारी हुए सत्र 2024 – 25 के विद्यालय के परीक्षा परिणाम पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि पूरे विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था चौपट हो चुकी है और सीबीएसई पाठ्यक्रम से संचालित इस विद्यालय में A1 और A2 में पांच प्रतिशत बच्चे भी नहीं हैं । जबकि C1 C2 , D तथा E में 40% से ज्यादा छात्र आए हैं जिससे पता चलता है कि विद्यालय की शैक्षणिक स्थिति अत्यंत जर्जर है ।
कक्षा छठवीं ब में 39 छात्रों में से 22 छात्रों को विद्यालय से निकाला जा रहा है।
ज्ञानोदय विद्यालय को प्राप्त है विशेष विद्यालय का दर्जा
अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति एवं अन्य वर्ग के बीपीएल कार्ड धारक छात्र-छात्राओं के लिए यह संभाग स्तर का विशेष आवासीय विद्यालय है, इस विद्यालय में करोड़ों का बजट आवंटित होता है छात्रों के लिए रहने , खाने एवं पढ़ने की उच्च स्तरीय गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश हैं एवं प्रत्येक छात्र का प्रवेश कठिन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है , प्रवेश उपरांत छात्रों को निशुल्क रहने, खाने एवं पढ़ने की व्यवस्था शासन द्वारा सुनिश्चित की जाती है इस कारण से इस विद्यालय में प्रदेश के विभिन्न जिलों से उत्कृष्ट छात्र प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर इस विद्यालय में आते हैं, एवं प्रतिवर्ष न्यूनतम 60% परीक्षा परिणाम लाना होता है, 60% परीक्षा परिणाम न आने पर छात्रों को विद्यालय से बाहर निकाल दिया जाता है।
सवाल यह है कि शिक्षकों के द्वारा पढ़ने में की गई घोर लापरवाही की सजा नन्हे मुन्ने छात्र-छात्राओं को भुगतान पड़ती है एवं इसका विपरीत परिणाम उनके भविष्य पर पड़ता है,
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कक्षा नौवीं में 60% से कम प्राप्तांक से उत्तीर्ण वाले छात्रों को कहीं भी नहीं मिलता प्रवेश , हो जाते हैं शाला त्यागी
इस विद्यालय में विगत कई वर्षों से कक्षा नौवीं में प्रवेशित एवं 33% से लेकर 59.9% तक उत्तीर्ण छात्राओं को विद्यालय से बाहर करने के नियम हैं , इस नियम के कारण 60% से कम प्राप्तांक से उत्तीर्ण कक्षा 9 के छात्रों को अन्य विद्यालयों में कक्षा दसवीं से सीधे प्रवेश नहीं दिया जाता जिससे हजारों छात्रों का भविष्य चौपट हो चुका है एवं वे शाला त्यागी होकर शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं ।
शिक्षकों के कार्यों का नहीं होता मूल्यांकन
इस विशेष विद्यालय में पदस्थ शिक्षकों के कार्यों का कोई मूल्यांकन नहीं होता एवं वरिष्ठ कार्यालय के द्वारा खराब परिणाम वाले शिक्षकों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं करने से साल दर साल विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है।
विद्यालय में नहीं होती कभी पालक शिक्षक संघ की बैठक छात्र की शैक्षणिक स्थिति से पालकों को नहीं कराया जाता अवगत
मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग एवं अनुसूचित जाति व जनजाति विभाग द्वारा संचालित समस्त विद्यालयों में नियमित रूप से पालक शिक्षक संघ की बैठक आयोजित करने एवं बालकों को छात्रों की उपस्थित, शैक्षणिक योग्यता व कार्य व्यवहार से अवगत कराए जाने के निर्देश हैं परंतु इस विद्यालय में कभी भी पालक शिक्षक संघ की बैठक आयोजित नहीं की जाती जिससे पालकों को अपने बच्चों की शैक्षणिक स्थिति का पता नहीं चलता है ।
दूर दराज के जिलों से पढ़ने आते हैं वंचित एवं कमजोर वर्ग के छात्र
Government Gyanodaya Residential School में सिवनी, बालाघाट , छिंदवाड़ा, मंडला , डिंडोरी, उमरिया , कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर ,दमोह सहित आसपास के अनेक जिलों से छात्र पढ़ने आते हैं ।
विद्यालय में पूर्व में चार छात्रों की हो चुकी है मौत
ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय में छात्रों को उचित गुणवत्ता युक्त भोजन न कराने , उनका ठीक से देखभाल न करने , स्वास्थ्य परीक्षण न करने एवं लापरवाही पूर्वक रखने के कारण चार छात्रों की विगत वर्षों में मौत हो चुकी है इसके बाद भी विद्यालय प्रबंधन एवं विभाग को किसी प्रकार का कोई फर्क नहीं पड़ा।
शिक्षकों के कार्य की गलत जानकारी प्रेषित कर वरिष्ठ कार्यालय को किया जाता है गुमराह
Government Gyanodaya Residential School द्वारा प्रतिवर्ष परीक्षा परिणाम का शिक्षकवार गोसवारा तैयार करते समय कुल उत्तीर्ण छात्रों का प्रतिशत बताया जाता है जबकि यह जानकारी छुपा ली जाती है कि इस कक्षा से 60% से कम परिणाम आने के कारण इतने छात्रों को विद्यालय से निष्कासित किया जा रहा है ।
सालों से एक ही स्थान पर जमे हैं कई शिक्षक , पढ़ाने में नहीं लेते हैं बिल्कुल भी रुचि
इस विद्यालय में पदस्थ अनेक शिक्षक विगत कई वर्षों से यहां पदस्थ हैं और प्रतिवर्ष खराब परिणाम देने के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है सवाल यह है कि ऐसे लापरवाह शिक्षकों को क्यों बचाया जा रहा है एवं इनका स्थानांतरण दूर दराज के स्कूलों में क्यों नहीं किया गया ?
आदिवासी बहुजन अधिकार कल्याण संघ अबाक्स के प्रदेश अध्यक्ष देवेश चौधरी ने कहा कि संभाग के एक मात्र अनुसूचित जाति के विशेष विद्यालय में ऐसी घोर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए ।
अनुसूचित जाति जनजाति छात्र संघ ने अत्यंत खराब परीक्षा परिणाम एवं बदतर शैक्षणिक व्यवस्था के लिए लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग की है, संघ के प्रदेश अध्यक्ष शुभम चौधरी ने बताया कि इस विद्यालय से लापरवाही की शिकायतें लगातार प्राप्त होती रहती हैं फिर भी विद्यालय प्रबंधन एवं वरिष्ठ कार्यालय इन्हें बचाता है। इनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
सवाल यह है कि
- शिक्षकों की लापरवाही की सजा बच्चों को क्यों दी जा रही है?
- प्रवेश परीक्षा परिणाम उत्तीर्ण करके आने वाले छात्रों की शैक्षणिक स्थिति साल दर साल कमजोर कैसे होती जाती है ?
- शिक्षकों के खराब परिणाम पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?
- विशेष विद्यालय अपने विशेष लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत क्यों नहीं है ?
- सालों से एक ही स्थान पर जमे शिक्षकों का स्थानांतरण क्यों नहीं किया जा रहा है?
- पालक शिक्षक संघ की बैठक आयोजित कर पालकों को छात्रों की शैक्षणिक स्थिति से अवगत क्यों नहीं कराया जाता ?
- कमजोर एवं वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?

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