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जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया, उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया सहित अन्य लोगों को उनके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज 19 एफआईआर को रद्द करने से साफ इंकार कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने याचिकाएं खारिज करते हुए सभी याचिकाकर्ताओं को आगामी 10 दिनों में जांच में शामिल होने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

पूर्व मंत्री और उनके करीबियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि उनके खिलाफ ये मुकदमे राजनीतिक द्वेषता के चलते दर्ज किए गए हैं। याचिकाओं में यह भी आरोप लगाया गया था कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद सत्ताधारी पार्टी के प्रभाव में आकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए उनके रिश्तेदारों, दोस्तों और सहयोगियों को निशाना बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से मांग की थी कि सभी मुकदमों की जांच बारां और झालावाड़ जिले के बाहर तैनात किसी निष्पक्ष आईपीएस अधिकारी से कराई जाए।

हालांकि कोर्ट ने इस तर्क को मानने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी अधिकारी पर व्यक्तिगत दुर्भावना का आरोप नहीं लगाया है, ऐसे में किसी विशेष अधिकारी से जांच की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी कि इन मामलों में अवैध खनन, फर्जी दस्तावेज, फर्जी पट्टा और वित्तीय अनियमितताओं जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। सभी एफआईआर के तथ्य, अपराध की प्रकृति और शिकायतकर्ता अलग-अलग हैं, इसलिए इनकी संयुक्त जांच संभव नहीं है।

शर्मा ने यह भी बताया कि कोर्ट ने पूर्व में एक अंतरिम आदेश पारित कर याचिकाकर्ताओं को दंडात्मक कार्रवाई से राहत दी थी लेकिन इसके बावजूद वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि किसी आरोपी को यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी मर्जी से जांच अधिकारी तय करे या जांच की दिशा निर्देशित करे। दोनों पक्षों की विस्तृत बहस के बाद अदालत ने याचिकाएं खारिज करते हुए सभी संबंधितों को जांच में सम्मिलित होने के निर्देश दिए हैं।

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