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कोलकाता
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य का निधन हो गया है। बुद्धदेब भट्टाचार्य ने लंबे समय तक बंगाल में शासन किया था। वह 80 साल के थे और बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने पूर्व मुख्यमंत्री की मौत की पुष्टि की है। बुद्धदेब भट्टाचार्य का कोलकाता के बालीगंज स्थित उनके पाम एवेन्यू आवास पर हुआ। वह बीते कई सालों से बीमार चल रहे थे और वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों से पीड़ित थे। बीमारी के चलते ही कई सालों से वह सक्रिय राजनीति से दूर थे और वामपंथी दल सीपीएम के कार्यक्रमों में भी नजर नहीं आते थे।

बुद्धदेब भट्टाचार्य ने वर्ष 2000 से 2011 तक बंगाल की कमान संभाली थी। उनसे पहले 23 सालों तक ज्योति बसु मुख्यमंत्री रहे थे। इस तरह कुल 34 सालों के वामपंथी शासन में बुद्धदेब भट्टाचार्य की भी अहम भूमिका थी। बुद्धदेब भट्टाचार्य को वामपंथी नेता होने के बाद भी कारोबार को लेकर उदारवादी नीतियां अपनाने के लिए जाना जाता है। आमतौर पर वामपंथी दल आर्थिक उदारीकरण के खिलाफ रहे हैं, लेकिन बुद्धदेब भट्टाचार्य ने औद्योगिकीकरण के प्रयास किए थे। हालांकि सिंगूर में भूमि अधिग्रहण को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। माना जाता है कि इस विवाद के ही बहुत बढ़ने के चलते नैरेटिव वामपंथी सरकार के खिलाफ चला गया और फिर 34 साल के शासन का अंत हो गया। भारत के किसी भी राज्य में यह सबसे लंबे समय तक चलने वाली वामपंथी सरकार थी।

5 दशकों के अपने राजनीतिक करियर में बुद्धदेब भट्टाचार्य का वामपंथी दल में कद बहुत बड़ा था। उनका जन्म 1 मार्च 1944 को उत्तर कोलकाता के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके दादा कृष्णचंद्र स्मृतितीर्थ वर्तमान बांग्लादेश के मदारीपुर से आए थे। वह संस्कृत के बड़े विद्वान और लेखक थे। इसके अलावा वह पुजारी भी थे और उन्हें पुरोहित दर्पण कहा जाता था। हालांकि बुद्धदेब भट्टाचार्य के पिता ने पुजारी न बनने का फैसला लिया और अपना एक प्रकाशन समूह शुरू किया था। राजनीति में आने से पहले बुद्धदेब भट्टाचार्य एक अध्यापक थे।

 

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