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अमरकंटक

नर्मदा नदी भारत की सात प्रमुख पवित्र नदियों में से एक है। हिंदू धर्म में गंगा के समान पवित्र माना जाता है। इसका उद्गम मध्यप्रदेश के अमरकंटक से हुआ है। नर्मदा के प्राकट्य होने के बाद से हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष नर्मदा जयंती 4 फरवरी 2025 मंगलवार को मनाई जाएगी।

क्या करना चाहिए
नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी पर स्नान करने के बाद मां नर्मदा नदी के तट पर फूल, धूप, अक्षत, कुमकुम आदि से पूजन करना चाहिए। इस दिन नर्मदा नदी में 11 आटे के दीप जलाने चाहिए और उनका दीपदान करना चाहिए। यह बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। विष्णु पुराण के अनुसार नाग राजाओं द्वारा माँ नर्मदा को यह वरदान प्राप्त है कि जो व्यक्ति इनके जल का स्मरण भी करेगा उसके शरीर में कभी सर्प का विष नहीं फैलेगा। वायु पुराण के अनुसार माँ नर्मदा पितरों की पुत्री हैं, जो पत्थर को भी देवत्व प्रदान करती हैं और पत्थर के भीतर आत्मा प्रतिष्ठित करने वाली हैं।

नर्मदेश्वर शिवलिंग- नर्मदा के तट से प्राप्त शिवलिंगों को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। मान्यता है कि ये स्वयं प्रकट होते हैं और बिना किसी विशेष प्रक्रिया के पूजनीय होते हैं।

नर्मदा पूजा विधि- नर्मदा जल लेकर भगवान शिव या किसी देवी-देवता पर अर्पण करें। स्नान करते समय “ॐ नमः शिवाय” या “नर्मदे हर” मंत्र का जाप करें।

नर्मदा जल का प्रयोग- नर्मदा का जल घर में रखना शुभ माना जाता है। इसका उपयोग अभिषेक, हवन और अन्य धार्मिक कार्यों में किया जाता है।

 

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