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उत्तराखंड

अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आज से चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। आज गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर खुलें। इसके बाद गंगा माता की पूजा-अर्चना की गई। वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर खुलेंगे। जबकि केदारनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए 2 मई 2025, शुक्रवार को सुबह 7 बजे तक खुलेंगे। इसके अलावा, बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई 2025, रविवार के दिन खुलेंगे।

बता दें कि चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है। गंगोत्री धाम माता गंगा और यमुनोत्री माता यमुना को समर्पित है।

पिछली बार की भीड़ और असुविधा को देखते हुए इस बार चारधाम यात्रा में सुरक्षा के खास प्रबंध किए गए है। इस यात्रा मार्ग में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए जा रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यात्रा रूट को 2 सुपर जोन, 7 जोन और 26 सेक्टरों में बांटा गया है। साथ ही, यात्रा में अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक और इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों को तैनात किया गया है. पुलिस के अलावा PAC, फायर ब्रिगेड, SDRF, होमगार्ड, PRD के लगभग 850 कर्मी तैनात किए गए हैं।

चार धाम यात्रा का महत्व
चार धाम यात्रा श्रद्धालुओं को चार महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों पर ले जाती है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। ये हिमालय स्थल धार्मिक महत्व रखते हैं और हर साल लाखों तीर्थयात्री यहां आते हैं।

यमुनोत्री- तीर्थयात्रा यमुनोत्री मंदिर से शुरू होती है, जो देवी यमुना को समर्पित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को जानकी चट्टी से 6 किमी. की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। उसके बाद टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा निर्मित यह मंदिर एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है।

गंगोत्री- दूसरी यात्रा है गंगोत्री, जो गंगा नदी को समर्पित है. 3,048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर उन लोगों के लिए भक्ति का स्थान है जो पवित्र नदी का सम्मान करना चाहते हैं।

केदारनाथ- तीसरी यात्रा केदारनाथ की है. भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है केदारनाथ। 3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हिमालय से घिरा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, मंदिर मूल रूप से पांडवों द्वारा बनाया गया था और बाद में आदि शंकराचार्य द्वारा इसको दोबारा बनवाया गया था।

बद्रीनाथ- अंतिम यात्रा बद्रीनाथ धाम की है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसमें बद्रीनारायण की 3.3 मीटर ऊंची काले पत्थर की मूर्ति है और यह वैदिक युग की है।

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