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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ अजित पवार अपनी ही सरकार से खफा हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गठबंधन धर्म निभाने की नसीहत दी है और याद दिलाया है कि उनकी पार्टी भी उनकी सरकार में सहयोगी है। दरअसल, एक कार मैन्युफैक्चिंग प्रोजेक्ट के लिए टोयोटा किर्लोस्कर और महाराष्ट्र सरकार के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होना था लेकिन इस हस्ताक्षर कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अजित पवार को आमंत्रित नहीं किया गया। इससे पवार नाराज हो गए और उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को फोन कर अपनी नाराजगी जता दी।

पवार ने मुख्यमंत्री शिंदे को गठबंधन धर्म का पालन करने के लिए कहा और यह भी याद दिलाया कि महायुति सरकार में उनकी पार्टी एनसीपी भी शामिल है। इतना ही नहीं इस समारोह में राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत को भी नहीं बुलाया गया था। सामंत भी एनसीपी के नेता हैं। हस्ताक्षर समारोह मालाबार हिल स्थित राज्य अतिथि गृह सह्याद्री में आयोजित किया गया था। फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, बाद में अजित पवार और उदय सामंत दोनों समारोह स्थल की शोभा बढ़ाने खुद ही पहुंच गए।

एनसीपी के सूत्रों के मुताबिक, जिस समय समारोह शुरू हो रहा था, उस समय अजित पवार और उदय सामंत उद्योग विभाग से संबंधित अहम मुद्दों की समीक्षा कर रहे थे। जब इस समीक्षा बैठक में उद्योग विभाग के बड़े अधिकारी और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के अधिकारी नहीं दिखे तो पवार ने इस पर नाराजगी जाहिर की और पूछा कि ये अधिकारी क्यों नहीं आए? इस पर विभाग के जूनियर अफसरों ने बताया कि सीनियर अफसर सहयाद्री गेस्ट हाउस गए हुए हैं, जहां MoU पर दस्तखत होने हैं।

इस पर अजित पवार ने उद्योग मंत्री सामंत से पूछा कि विभागीय मंत्री होने के नाते आप वहां क्यों नहीं गए तो सामंत ने समारोह की जानकारी होने और न्योता मिलने से इनकार कर दिया। इस पर अजित पवार भड़क गए और उन्होंने वहीं से मुख्यमंत्री शिंदे को फोन मिलाने को कहा।  इसके बाद  फोन पर अजित पवार ने सीएम शिंदे से कहा कि यह गठबंधन सरकार है लेकिन ना तो उन्हें और ना ही उद्योग मंत्री को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में बुलाया गया। एनसीपी के नेताओं को इससे दूर रखा गया, जबकि गठबंधन सरकार में एनसीपी भी सहयोगी है।

सूत्रों के मुताबिक, सीएम शिंदे ने इस पर आश्चर्य जताया और अपने उप मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि जब तक दोनों वहां नहीं आ जाते तब तक कार्यक्रम जारी रहेगा। इसके बाद पवार और सामंत समीक्षा बैठक छोड़कर   सह्याद्रि पहुंचे। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यह घटना इस बात को उजागर करती है कि सत्ताधारी गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है। कुछ दिनों पहले भी लड़की बहिन योजना का श्रेय लेने की दोनों दलों में होड़ मच गई थी।

 

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