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नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को पार्टी प्रवक्ताओं का आह्वान किया कि वे जाति जनगणना के विषय को संवेदनशीलता के साथ और निडर होकर जनता के बीच ले जाएं तथा इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि वैचारिक प्रतिबद्धता समझें। खरगे ने यहां कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज जब देश जातीय न्याय की बात कर रहा है, तब कांग्रेस पार्टी का यह दायित्व बनता है कि वह इस विमर्श को दिशा दे, उसे नारे से नीति तक ले जाए और ‘जितनी आबादी, उतना हक’ को केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प बनाए।’

उन्होंने प्रवक्ताओं का आह्वान किया, ‘साथियों, हम सभी जानते हैं कि जातिगत जनगणना का मुद्दा कोई नया नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने इसे लगातार उठाया है, हमारे घोषणापत्रों में, संसद में, सड़कों पर और हर उस मंच पर जहां सामाजिक न्याय की बात होनी चाहिए।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर यह मांग दोहराई थी कि जाति जनगणना तत्काल शुरू की जाए, क्योंकि जब तक सही आंकड़े नहीं होंगे, तब तक कोई भी सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि वह सबको न्याय दिला रही है।

खरगे ने कहा, ‘आज हमें यह पूछना है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), दलित और आदिवासी समुदायों की देश की सत्ता, संस्थानों में क्या भागीदारी है? क्या वे मीडिया, नौकरशाही, न्यायपालिका, कॉरपोरेट क्षेत्र और उच्च शिक्षण संस्थानों में अपनी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व रखते हैं? अगर नहीं, तो इसका कारण क्या है? और समाधान क्या है?’

उन्होंने कहा कि इसका समाधान है सच्चाई को सामने लाना, आंकड़ों को सार्वजनिक करना और फिर नीतियों का पुनर्निर्माण करना। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘यही कारण है कि हम जाति जनगणना को केवल आंकड़ों की कवायद नहीं मानते, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र का नैतिक दायित्व है।’ उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ताओं से यह मांग पुरजोर तरीके से उठाने का आह्वान किया कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) को तुरंत लागू किया जाए, जिससे ओबीसी, दलित और आदिवासी छात्रों को निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिले।

खरगे ने कहा, ‘हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पर अब नये आंकड़ों के आलोक में पुनर्विचार हो। जब सामाजिक वास्तविकताएं बदल चुकी हैं और आंकड़े नयी तस्वीर पेश कर रहे हैं, तो हमारी नीतियों में भी उसी के हिसाब से बदलाव होना चाहिए। आरक्षण की मौजूदा सीमा को आंकड़ों और न्याय दोनों के बीच संतुलन के लिहाज से देखा जाना चाहिए, ताकि ओबीसी, दलित और आदिवासी समुदायों को उनका वास्तविक हक मिल सके।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि तेलंगाना के जाति सर्वेक्षण ने एक मॉडल पेश किया, जिसमें समाज, विशेषज्ञ और सरकार सभी की भागीदारी रही।

उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी ऐसा ही जन-संवादी और पारदर्शी मॉडल अपनाए। हम इस प्रक्रिया में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।’ खरगे ने इस बात पर जोर दिया, ‘आप सभी हमारी पार्टी के प्रवक्ता हैं, हमारे विचारों की आवाज हैं। आज जब देश जाति जनगणना को लेकर जागरूक हो रहा है, तब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तथ्यों के साथ, संवेदनशीलता के साथ और निडर होकर इस विषय को जनता के बीच ले जाएं। यह न केवल सामाजिक न्याय की, बल्कि संविधान की आत्मा की रक्षा की भी लड़ाई है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे अपील करता हूं कि इस अभियान को केवल चुनावी मुद्दा न समझें, यह हमारी वैचारिक प्रतिबद्धता है। आज का यह संवाद, इस दिशा में हमारी एकजुटता का प्रमाण है।’

 

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