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बेंगलुरु
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कर्नाटक में पवित्र धागे (जनेऊ) को लेकर हुए विवाद और अन्य मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को "छद्म धर्मनिरपेक्ष" करार देते हुए आरोप लगाया कि कुछ स्कूलों में छात्रों से पवित्र धागा उतारने को कहा गया। जोशी ने कहा कि एक मामले में धागे को जब्त कर काटने का आरोप है, जो निंदनीय है। उन्होंने बताया कि इस धागे को न केवल ब्राह्मण, बल्कि ओबीसी, क्षत्रिय, विश्वकर्मा और अन्य समुदाय भी पहनते हैं।
जोशी ने कहा कि संबंधित अधिकारी ने माफी मांग ली है, लेकिन जिन छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोका गया, उनके लिए सरकार साइक्लोथॉन जैसे आयोजन के माध्यम से लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की भी कड़ी निंदा की। जोशी ने कहा कि बांग्लादेश में एक हिंदू नेता का अपहरण और हत्या बेहद निंदनीय है। केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहे हैं।
जोशी ने कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोई उनके घर सर्वे के लिए नहीं आया, फिर सरकार कैसे दावा कर सकती है कि सर्वे पूरा हो गया? उन्होंने तकनीक के इस्तेमाल से पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात कही।
भाषा नीति पर जोशी ने कहा कि मोदी सरकार ने कभी हिंदी थोपने की कोशिश नहीं की। नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों को स्थानीय भाषाओं में पढ़ाने की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद गैर-हिंदी भाषी राज्य से हैं और भाषा के आधार पर विभाजन करने वाली कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की आलोचना की।
जोशी ने 4 फीसद आरक्षण विधेयक पर भी टिप्पणी की, जो राज्यपाल के अनुसार असंवैधानिक होने के कारण राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इस पर अंतिम फैसला राष्ट्रपति लेंगे। जोशी के बयानों से कर्नाटक में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर बहस तेज हो सकती है। उनकी टिप्पणियां कांग्रेस सरकार के रवैए और केंद्र-राज्य संबंधों पर सवाल उठाती हैं।

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