नई दिल्ली
सरकार के फैसले के मुताबिक बांग्लादेश से अब सड़क मार्ग से गारमेंट नहीं आ सकेंगे और इसका सीधा लाभ घरेलू गारमेंट निर्माताओं को मिलने जा रहा है। अति कम विकसित राष्ट्र (एलडीसी) की श्रेणी में शामिल होने से बांग्लादेश से भारत आने वाले गारमेंट पर कोई शुल्क नहीं लगता है। शुल्क मुक्त होने की वजह से बांग्लादेश से आने वाले गारमेंट घरेलू गारमेंट के मुकाबले सस्ते होते हैं जिससे घरेलू गारमेंट निर्माताओं का कारोबार प्रभावित हो रहा था। तिरुपुर के गारमेंट उद्यमियों से लेकर क्लोथ मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से कई बार सरकार का ध्यान इस ओर दिलाया गया।
बांग्लादेश को मिलती है छूट
बांग्लादेश को मिली शुल्क मुक्त निर्यात की सुविधा का फायदा चीन भी उठा रहा था। चीन बांग्लादेश के रास्ते भारत में अपने माल शुल्क मुक्त तरीके से भेज रहा था। जबकि चीन से गारमेंट या फैबरिक मंगाने पर 20 प्रतिशत का शुल्क लगता है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सिटी) के पूर्व अध्यक्ष व टीटी लिमिटेड के एमडी संजय कुमार जैन ने बताया कि बांग्लादेश से सालाना 6000 करोड़ के गारमेंट का आयात हो रहा है। सड़क मार्ग से आयात पर रोक के सरकार के फैसले से घरेलू गारमेंट मैन्यूफैक्चरर्स को 2000 करोड़ के गारमेंट निर्माण के अवसर मिलेंगे।
बांग्लादेश में निर्माण कर रही कंपनियां
अब सिर्फ न्हावा शेवा और कोलकाता स्थित समुद्री बंदरगाह से आयात की अनुमति के बाद बांग्लादेशी गारमेंट की लागत काफी बढ़ जाएगी और भारत में उनकी बिक्री भी प्रभावित होगी। शुल्क मुक्त आयात की सुविधा की वजह से कई भारतीय कंपनियां बांग्लादेश में निर्माण कर रही है क्योंकि बांग्लादेश में श्रमिकों की मजदूरी सस्ती होने से निर्माण लागत भारत की तुलना में काफी कम है।
इसलिए भारतीय कंपनियां बांग्लादेश में माल बनाकर भारत में बिना किसी शुल्क के आयात कर लेती है। अब इन कंपनियों को भारत में ही निर्माण करने में लाभ दिखेगा। गारमेंट के निर्यात बाजार में भी बांग्लादेश भारत को कड़ा मुकाबला देता है और यूरोप में भारत से अधिक बांग्लादेश गारमेंट का निर्यात करता है।

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