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लाइफस्टाइल- गर्मियों में फायदेमंद गन्ने का जूस: लू से बचाए, शरीर को रखे हाइड्रेटेड, डाइटीशियन से जानें किन्हें नहीं पीना चाहिए

Lifestyle: Sugarcane juice is beneficial

Lifestyle: Sugarcane juice is beneficial in summers: Protects from heat wave, keeps the body hydrated, know from dietician who should not drink it हेल्थ डेस्क: Lifestyle: Sugarcane juice is beneficial आपने गर्मी के मौसम में अपने आसपास गन्ने का जूस बिकते जरूर देखा होगा। तेज धूप और हीट स्ट्रोक से बचने के लिए लोग इसे खूब पीते हैं। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। यह शरीर को हाइड्रेट के साथ-साथ एनर्जेटिक भी रखता है। इसके अलावा गन्ने का रस पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, इम्यूनिटी बूस्ट करने और स्किन को हेल्दी बनाए रखने में भी मददगार है। इसमें कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। फार्माकोग्नॉसी जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, गन्ने के जूस के कई हेल्थ बेनिफिट्स हैं। आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में पीलिया व यूरिन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए गन्ने का जूस पीने की सलाह दी जाती है। इसमें विटामिन और मिनरल्स का खजाना होता है। Lifestyle: Sugarcane juice is beneficial गन्ना अनुसंधान केंद्र की एक स्टडी के मुताबिक, इसके जूस में हाई पॉलीफेनोल्स होते हैं, जो पावरफुल फाइटोन्यूट्रिएंट्स हैं। गन्ने के जूस में बैड कोलेस्ट्रॉल से लड़ने की क्षमता होती है। साथ ही ये मेटाबॉलिज्म को भी बेहतर बनाता है। इसलिए, आज जरूरत की खबर में गन्ने का जूस पीने के फायदों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. पूनम तिवारी, सीनियर डाइटीशियन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ सवाल- गन्ने में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं? जवाब- नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, गन्ने में 70-75% पानी, 13-15% सुक्रोज (नेचुरल शुगर) और 10-15% फाइबर होता है। हालांकि गन्ने का जूस निकालने की प्रक्रिया में फाइबर लगभग खत्म हो जाता है। नीचे दिए ग्राफिक में 250ml जूस की न्यूट्रिशनल वैल्यू जानिए- सवाल– गन्ने का जूस सेहत के लिए किस तरह से फायदेमंद है? जवाब- गन्ने के जूस में मौजूद विटामिन C और फ्लेवोनोइड्स व फेनोलिक जैसे एंटीऑक्सिडेंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। ये एक बेहतरीन हाइड्रेटिंग ड्रिंक्स है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में पानी होता है। गन्ने के जूस में नेचुरल शुगर, फाइबर और इनवर्टेज जैसे एंजाइम होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं। गन्ना सुक्रोज और ग्लूकोज जैसे कार्बोहाइड्रेट का एक नेचुरल सोर्स है, जो इंस्टेंट एनर्जी देता है। गन्ने के डाइयूरेटिक गुण यूरिन के जरिए शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मददगार हैं। गन्ने में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं। इसमें मौजूद कैल्शियम दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। Lifestyle: Sugarcane juice is beneficial इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स स्किन को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं। ये उम्र बढ़ने के संकेतों जैसे झुर्रियां, महीन रेखाएं और स्किन के दाग-धब्बे को कम करते हैं। वहीं पॉलीफेनोल और पोटेशियम जैसे कंपाउंड कार्डियो प्रोटेक्टिव होते हैं। गन्ने के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आर्टरीज की सूजन और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाते हैं। इसका जूस शरीर के तापमान को कंट्रोल करने के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट को भी बैलेंस करता है। इस तरह ये हमें गर्मी में हीट स्ट्रोक के खतरे से बचाता है। नीचे दिए ग्राफिक से गन्ने का जूस पीने के कुछ फायदे समझिए- सवाल- गन्ना या गन्ने का जूस क्या ज्यादा फायदेमंद है? जवाब- सीनियर डाइटीशियन डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि चाहे गन्ने की बाइट चबाएं या उसका जूस पिएं दोनों ही फायदेमंद है। हालांकि गन्ने में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। इसलिए जूस पीने से ज्यादा इसे चबाना बेहतर है। सवाल- क्या गन्ने में बर्फ डालकर पीना सेहत के लिए अच्छा है? जवाब- बर्फ डालने से गन्ने का रस ठंडा हो जाता है, जिससे गर्मी में ताजगी मिलती है। ठंडा गन्ने का जूस पीने से गर्मी से तुरंत राहत मिलती है। लेकिन कुछ लोगों को इससे सर्दी-जुकाम, खांसी या पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए बहुत ज्यादा बर्फ वाला गन्ने का रस पीने से बचना चाहिए। सवाल- गन्ने का जूस पीने का सही तरीका क्या है? जवाब- गन्ने का जूस निकालने के तुरंत बाद पीना सबसे अच्छा होता है। बासी गन्ने के जूस में बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। गन्ने का जूस हमेशा किसी साफ और स्वच्छ दुकान से ही पिएं। जिस मशीन से जूस निकाला जा रहा है, वह साफ-सुथरी होनी चाहिए। गन्ने का जूस पीने का सबसे अच्छा समय दोपहर से पहले का होता है। खाली पेट गन्ने का जूस नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे एसिडिटी हो सकती है। गन्ने के जूस में थोड़ा सा काला नमक और नींबू का जूस और पुदीना मिलाकर पीने से इसका स्वाद और न्यूट्रिशन दोनों बढ़ जाता है। सवाल- क्या गन्ने का जूस किडनी स्टोन में फायदेमंद है? जवाब- गन्ने का जूस किडनी स्टोन से पीड़ित लोगों के लिए सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें ऑक्सालेट कम होता है। जो शरीर में पथरी बनने से रोकने में मदद कर सकता है। इसके डाइयूरेटिक गुण टॉक्सिन्स को बाहर निकालने और नए स्टोन्स के प्रोडक्शन को रोकने में भी मदद कर सकते हैं। Read more: उज्जैन में जल्द लॉन्च होगा विक्रमादित्य वैदिक एप; ज्योतिष संबंधी जानकारी भी मिलेगी, मोबाइल से जान सकेंगे शादी समेत अन्य शुभ मुहूर्त इसके अलावा गन्ने के जूस में पोटेशियम, मैग्नीशियम और कई अन्य ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो किडनी की सेहत के लिए फायदेमंद हैं। गन्ने का रस शरीर में पानी की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे किडनी में पथरी बनने की संभावना कम हो जाती है। सवाल- क्या डायबिटिक लोग गन्ने का जूस पी सकते हैं? जवाब- डॉ. पूनम तिवारी बताती हैं कि गन्ने के जूस में नेचुरल शुगर की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है। इसलिए डायबिटिक लोगों को इसे पीने से बचना चाहिए। सवाल- एक दिन में कितना गन्ने का जूस पीना सुरक्षित है? जवाब- एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में एक गिलास गन्ने का जूस पी सकता है। इससे ज्यादा पीना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सवाल- क्या गन्ने का जूस पीने के कोई साइड इफेक्ट भी हैं? जवाब- गन्ने का जूस पीना आमतौर पर सुरक्षित होता है। हालांकि इसके अधिक सेवन से … Read more

ऐसे फल और सब्जियां जो खुद बताते हैं कि मैं किस चीज के लिए फायदेमंद हूं…

Fruits and vegetables that tell me what they are good for… हमारी प्रकृति हमें वो सब कुछ देती है जिसकी हमारे शरीर को जरूरत होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ फल और सब्जियां अपने आकार और बनावट से यह संकेत देती हैं कि वे हमारे शरीर के किस अंग के लिए फायदेमंद हो सकती हैं? प्रकृति ने हमें जो भी दिया है, वह किसी न किसी रूप में हमारे शरीर के लिए लाभकारी है। जरूरत है तो बस इसे सही तरीके से समझने और अपने आहार में शामिल करने की! Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 77

Baby Bottle Feeding Risks: छोटे बच्चों को पिलाते हैं बॉटल से दूध तो जान लें खतरे, हो सकती हैं ये बीमारियां

Baby Bottle Feeding Risks : छोटे बच्चों के लिए मां का दूध सबसे पौष्टिक माना जाता है. यह उनकी ओवरऑल हेल्थ की ग्रोथ में अहम रोल निभाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चा मां का दूध जितना ज्यादा करेगा, उसका विकास उतना ही ज्यादा होता है. इससे बीमारियों का खतरा भी कम होता है. हालांकि, आजकल बिजी लाइफस्टाइल की वजह से कई बार वर्किंग वुमन अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कीबजाय बॉटल का दूध पिलाती हैं, जो बच्चे की सेहत (Child Health) के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है. यह उन्हें कई तरह से प्रभावित कर सकती है और ग्रोथ में भी समस्याएं पैदा कर सकती है. इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. कितने समय बाद बच्चे को दे सकते हैं बॉटल का दूध Baby Bottle Feeding Risks वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, न्यूबॉर्न बच्चे को पहले 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध (mother’s milk) ही पिलाना चाहिए. इससे बच्चों का डेवलपमेंट सही तरह होता है. उनकी बॉडी स्ट्रॉन्ग होती है और इम्यूनिटी बढ़ती है.अगर किसी वजह से मां को दूध कम बन रहा है या नहीं मिल पा रहा है यानी ब्रेस्ट फीडिंग पॉसिबल नहीं हो पा रहा है तो जन्म के दो या तीन हफ्ते बाद बॉटल का दूध दे सकते हैं. हालांकि, यह सिर्फ अस्थायी उपाय ही है, कम से कम छह महीने तक इससे बचने की ही कोशिश करनी चाहिए. बच्चे को बॉटल का दूध पिलाने के खतरे बच्चे जब मां का दूध पीते हैं तो उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है. जब बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग की बजाय बॉटल से दूध पिलाया जाता है, तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. जिससे वह बार-बार सर्दी-खांसी, बुखार जैसी समस्याओं की चपेट में आ सकता है. छोटे बच्चों को बॉटल का दूध पिलाने से उनमें मोटापा बढ़ सकता है. खासकर तब जब बच्चों को जानवरों या पाउडर वाले दूध ही पिलाए जाए. दरअसल, जानवरों के दूध में फैट ज्यादा होती है,जो बच्चे के वजन को काफी ज्यादा बढ़ा सकता है. बॉटल का दूध पीने से बच्चों की ग्रोथ धीमी हो सकती है. बॉटल दूध से बच्चों के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक प्रवेश कर सकता है, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को स्लो कर सकता है. इससे उनकी ओवरऑल हेल्थ कमजोर हो सकती है. रबड़ के निप्पल वाले बॉटल से दूध पीने से बच्चों के फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है. इससे लंग्स कमजोर हो सकते हैं. जिससे बच्चे को सांस की समस्याएं हो सकती हैं. कई मामलों में यह निमोनिया का खतरा भी बढ़ा सकता है. Read More: 1 फरवरी से शुरु हो रही ‘मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’, जानें आवेदन की आखिरी तारीख, गाइडलाइन जारी Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. [/more] Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 164

Hare Matar Kabab Recipe: सर्दियों का मजा दोगुना करें हरे मटर के तीखे कबाब के साथ, जानें इसे बनाने की पूरी रेसिपी

Hare Matar Kabab Recipe: सर्दी में कुछ खास और सेहतमंद खाने की तलाश में हैं तो हरे मटर के तीखे कबाब आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकते हैं। यह कबाब स्वाद में तो लाजवाब होते ही हैं, साथ ही आपकी सेहत का भी ध्यान रखते हैं। तो इस सर्दी आप भी स्वादिष्ट और पौष्टिक कबाबों को घर पर बनाकर स्वाद का आनंद ले सकते हैं। Hare Matar Kabab Recipe: सर्दियों की ठंडी हवाएं दस्तक देने के साथ ही गरमागरम और मसालेदार खाने की चाहत बढ़ा देता है। ऐसे में हरे मटर के तीखे कबाब (Hare Matar Kabab Recipe) न केवल आपके स्वाद को बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। अगर आप इस सर्दी कुछ अलग और मजेदार ट्राई करना चाहते हैं, तो ये रेसिपी आपके लिए परफेक्ट है। हरे मटर के कबाब न केवल स्वाद में बेहतरीन होते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहद फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं इन कबाबों के कुछ प्रमुख लाभ Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 249

सेहत के लिए खतरा! क्या पैकेट बंद खाना वाकई सेहतमंद है? नई रिसर्च ने उठाए सवाल

भारत में लोगों के खाने-पीने का तरीका बदल रहा है और यह बदलाव सेहत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. ICMR ने बताया कि देश में 56.4% बीमारियां खराब खानपान की वजह से हो रही हैं. भारतीयों की पसंद और नापसंद बदल रही है, खासकर तब जब बात खाने की होती है. पहले के समय में लोग ज्यादातर कच्ची सब्जियां, फल और साबुत अनाज खाते थे, लेकिन आजकल पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड का चलन बढ़ गया है.कुछ डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने मिलकर भारत में बिकने वाले पैकेट बंद फूड की जांच की है. यह जानने के लिए कि ये फूड सेहत के लिए कितने अच्छे या बुरे हैं. उन्होंने यह भी देखा कि पैकेट पर जो कुछ लिखा है, वह सही है या नहीं. यह रिसर्च Plos One नाम की एक मशहूर मैगजीन में छपी है. इस रिसर्च को करने वालों में ये लोग शामिल थे: चेन्नई के मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के डॉक्टर, भारत के मेडिकल रिसर्च काउंसिल के विशेषज्ञ और इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रोफेसर. पैकेट बंद फूड के लेबल पर लिखी पोषण जानकारी हमें उस फूड में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में बताती है. यह जानकारी ग्राहकों के लिए बहुत जरूरी होती है क्योंकि इससे वे यह तय कर सकते हैं कि वह फूड उनकी सेहत के लिए कितना अच्छा या बुरा है.इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भारतीय बाजार में उपलब्ध 432 पैकेट बंद फूड के लेबल की जांच की. इनमें इडली मिक्स, ब्रेकफास्ट सीरियल, दलिया मिक्स, बेवरेज मिक्स और फूले हुए स्नैक्स जैसे पैकेज्ड फूड शामिल थे.रिसर्च में पाया गया कि 80% पैकेट बंद फूड में लेबल पर लिखी जानकारी सही थी. यानी जो पोषक तत्व लेबल पर लिखे थे, वे प्रोडक्ट में मौजूद थे. ज्यादातर पैकेज्ड फूड में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. दरअसल, हमारे शरीर को एनर्जी के लिए कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती है, लेकिन अगर हम जरूरत से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, तो यह हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है. ज्यादा कार्बोहाइड्रेट से मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारी हो सकती है. फूले हुए स्नैक्स में वसा की मात्रा ज्यादा मिली. वसा भी एनर्जी देता है, लेकिन ज्यादा वसा से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. जब हम खाना खाते हैं तो वह ग्लूकोज में बदल जाता है. यह ग्लूकोज हमारे खून में मिल जाता है. इंसुलिन ग्लूकोज को हमारे शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है, जहां इसका इस्तेमाल ऊर्जा बनाने के लिए किया जाता है.ज्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से हमारे अग्न्याशय को ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ता है. अगर यह ज्यादा समय तक चलता रहे, तो अग्न्याशय कमजोर हो सकता है और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. पैकेट बंद फूड की जांच करने के लिए विशेषज्ञों ने एक खास तरीका अपनाया. उन्होंने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों के हिसाब से पैकेज के आगे और पीछे लिखी पोषण जानकारी की जांच की. इस अध्ययन में सिर्फ प्रोटीन, फाइबर, वसा, चीनी और कोलेस्ट्रॉल से जुड़े पोषण संबंधी दावों का मूल्यांकन किया गया. विशेषज्ञों ने पैकेट बंद फूड में मौजूद प्रोटीन, फाइबर, वसा, चीनी और कोलेस्ट्रॉल की जांच की. फिर उन्होंने एक खास सिस्टम का इस्तेमाल करके यह तय किया कि कौन सा फूड सेहतमंद है और कौन सा नहीं. यह जानकारी लोगों को सेहतमंद पसंद चुनने में मदद कर सकती है. ज्यादातर पैकेट बंद फूड में 70% से ज्यादा एनर्जी कार्बोहाइड्रेट से मिल रही थी. सिर्फ फूले हुए स्नैक्स ही ऐसे थे जिनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम थी. फूले हुए स्नैक्स में 47% से ज्यादा एनर्जी वसा से मिल रही थी. ज्यादा वसा से भी सेहत को नुकसान हो सकता है. सभी पैकेज्ड फूड में प्रोटीन की मात्रा 15% से कम थी. प्रोटीन शरीर के लिए जरूरी होता है, इसलिए इसकी कमी सेहत के लिए अच्छी नहीं है.यह अध्ययन दिखाता है कि ज्यादातर पैकेट बंद फूड में कार्बोहाइड्रेट, वसा और चीनी की मात्रा ज्यादा होती है, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. इसलिए हमें पैकेट बंद फूड का सेवन सीमित करना चाहिए. ताजा और पौष्टिक भोजन खाना चाहिए. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों के मुताबिक, पैकेट बंद फूड के लेबल पर एनर्जी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, चीनी और कुल वसा की मात्रा ‘प्रति 100 ग्राम’ या ‘100 मिलीलीटर’ या ‘प्रति सर्विंग’ के हिसाब से लिखी होनी चाहिए. लेकिन अध्ययन में पाया गया कि ज्यादातर पैकेट बंद फूड में यह जानकारी पूरी तरह से नहीं दी गई थी. सिर्फ कुछ ब्रेकफास्ट सीरियल और कुछ पेय पदार्थों में ही प्रति सर्विंग जानकारी दी गई थी.कुछ प्रोडक्ट ने यह दावा किया कि उनमें साबुत अनाज हैं लेकिन इंग्रेडिएंट्स लिस्ट में साबुत अनाज का जिक्र नहीं था. यह ग्राहकों को गुमराह करने वाला है. अध्ययन में यह बात कही गई है कि एक स्पष्ट लेबलिंग सिस्टम होना चाहिए ताकि ग्राहक आसानी से सेहतमंद प्रोडक्ट का चयन कर सकें. 2022-23 के घरेलू खर्च सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय अब पैकेट बंद फ़ूड, पेय पदार्थों और रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं, जबकि घर पर बने खाने पर खर्च कम हो रहा है. यह बदलाव शहरों और गांवों दोनों जगह देखा जा रहा है.विशेषज्ञों का कहना है कि खानपान में यह बदलाव देश में मोटापा, डायबिटीज, हार्टअटैक जैसे बढ़ते बोझ का एक बड़ा कारण है. इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह बात कही गई है कि भारत में 56.4% बीमारियां खराब खानपान की वजह से हो रही हैं. भारत में पैकेट बंद फूड का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है. 2023 में ये बाजार करीब 76.28 बिलियन डॉलर का था और 2030 तक इसके 116 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसका मतलब है कि अगले कुछ सालों में पैकेज्ड फूड की खरीद-बिक्री में काफी बढ़ोतरी होगी. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है. पैकेज्ड फूड के बाजार में तेजी से बढ़ोतरी होने से भारत के पास दुनिया में पहले नंबर पर आने का मौका है.ब्लूवेव कंस्लटिंग की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में कुल 52.05 मिलियन टन पैकेज्ड फूड का उत्पादन हुआ था और 2030 तक इसके 69 मिलियन टन तक पहुंचने … Read 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क्या बोतल बंद पानी सेफ? वैज्ञानिकों की यह रिसर्च उड़ा देगी आपकी नींद

कुछ साल में हुए रिसर्च में पाया गया कि औसतन एक लीटर पानी की बोतल में 240,000 प्लास्टिक कण पाए जाते हैं.यह एक बहुत ही चिंताजनक आंकड़ा है, क्योंकि नल के पानी के एक लीटर में औसतन 5.5 प्लास्टिक कण होते हैं. नैनोप्लास्टिक के कारण कैंसर, जन्म दोष और प्रजनन जैसी समस्याओं से जोड़ा जाता है. नैनोप्लास्टिक अपने छोटे आकार के कारण खतरनाक होते हैं – जिससे वे सीधे रक्त कोशिकाओं और मस्तिष्क में प्रवेश कर सकते हैं. बोतलों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक में आमतौर पर थैलेट्स होते हैं, जिन्हें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है.नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज के अनुसार, थैलेट्स ‘विकासात्मक, प्रजनन, मस्तिष्क, प्रतिरक्षा और अन्य समस्याओं से जुड़े हैं’. पॉलियामाइड नामक एक प्रकार का नायलॉन पानी की बोतलों में पाया जाने वाला एक और प्लास्टिक कण था. हाल ही में हुए एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. एक लीटर के पानी की बोतल में लगभग 2, 40,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं. नॉर्मल एक लीटर के पानी की बोतल में पानी पी रहे हैं तो हो सकता है आप प्लास्टिक के टुकड़े पी रहे होंगे. हो सकता है आप प्लास्टिक के कण भी पी रहे होंगे. हमारी खराब लाइफस्टाइल के कारण अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का खूब इस्तेमाल करते हैं. घर हो या ऑफिस प्लास्टिक बंद बोतल में पानी पीना हम खूब पसंद करते हैं. अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो संभल जाएं क्योंकि आपके शरीर में धीमा जहर पहुंच रहा है. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नाम की संस्थान ने एक स्टडी में डराने वाला खुलासा किया है. जिसमें बताया गया है कि एक लीटर बोतलबंद पानी में करीब 2.40 लाख प्लास्टिक के महीन टुकड़े मौजूद होते हैं.जिसकी वजह से सेहत को गंभीर और जानलेवा खतरे (Bottled Water Harmful Effects) हो सकते हैं.प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नाम की ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक प्लास्टिक के बोतल में पानी पीने के कारण कई गंभीर जानलेवा बीमारी हो सकती है. हाल ही में कुछ रिसर्च के मुताबिक बोतल में मौजूद बोतल बंद पानी में 100,000 से ज्यादा नैनोप्लास्टिक मिले हैं. यह इतने छोटे कण होते हैं कि ब्लड सर्कुलेशन तक को खराब कर सकते हैं. यह दिमाग और सेल्स को भी नुकसान पहुंचाते हैं. डायबिटीज और दिल की बीमारी हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के अनुसार, पॉली कार्बोनेट की बोतलों के पानी में बिस्फेनॉल ए केमिकल होता है, जो जब शरीर में जाता है तो दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ा सकता है. कैंसर का खतरा एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ता है. इससे ब्रेस्ट और ब्रेन कैंसर का जोखिम बढ़ता है. प्लास्टिक बर्तन में रखी गर्म चीजों को खाने से बचना चाहिए. Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 186

क्या वेजिटेबल जूस में मिला सकते हैं फ्रूट्स, क्या यह सेहत के लिए हो सकता है खतरनाक?

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कच्ची सब्जियों का जूस पीना पसंद करते हैं. फिटनेस फ्रिक वाले लोग हरी सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा अपनी डाइट में शामिल करते हैं. ऐसे डाइट लेने वाले समर्थकों का दावा है कि कच्ची सब्ज़ियों में कई जरूरी विटामिन और खनिज होते हैं जो खाना पकाने के दौरान खत्म हो जाते हैं और ये इम्युनिटी को बढ़ाने और बीमारियों को रोकने के लिए बहुत बढ़िया हैं. यह बात सही हो सकती है लेकिन किसी भी चीज़ को हद से ज्यादा खाना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. सर्दियां आ रही हैं और यह वह मौसम है जब हरी पत्तेदार सब्जियां काफी ज्यादा मार्केट में होती हैं और लोग हर संभव दिलचस्प तरीके से उन्हें अपने आहार में शामिल करके उनका अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग इस मौसम में कच्ची सब्जियों का जूस पीना भी पसंद करते हैं. लेकिन क्या ये सभी वाकई सेहतमंद और सुरक्षित हैं? आपको हरी सब्जियां किस तरह खानी चाहिए – उन्हें पकाकर या कच्चे रूप में खाकर. आयुर्वेद और आंत स्वास्थ्य कोच डॉ. डिंपल जांगडा ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा है कि अधिक मात्रा में कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पेट में कुछ संक्रमण या अपच का खतरा हो सकता है. पके हुए भोजन की तुलना में कच्चे खाद्य पदार्थों को पचाना शरीर के लिए अधिक कठिन होता है, क्योंकि पके हुए भोजन पहले से ही गर्मी, मसालों और पकाने की विधि से टूट जाते हैं. वे अवशोषण के लिए अधिक जैविक रूप से उपलब्ध होते हैं और पाचन अग्नि पर तनाव को कम करते हैं. कुछ कच्चे खाद्य पदार्थों में एंटी-पोषक तत्व भी होते हैं जो वास्तव में खाद्य पदार्थों के पोषण अवशोषण को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देते हैं.हल्का खाना पकाने की सलाह दी जाती है. विशेषज्ञ कहते हैं, यदि आप मतली, थकान, चक्कर आना, पेट फूलना, दस्त या आईबीएस जैसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपका शरीर आपसे बात कर रहा है. आयुर्वेद बड़ी मात्रा में कच्चे खाद्य पदार्थों या ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह नहीं देता है, क्योंकि वे परजीवियों का घर होते हैं, जिन्हें केवल धोने से नष्ट नहीं किया जा सकता है. Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 208