नई दिल्ली
कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह के बीच चल रहे भूमि विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान संकेत दिया है कि सभी संबंधित याचिकाओं की सुनवाई अब किसी एक अदालत में हो सकती है। इससे विवाद के समाधान में एक नया मोड़ आ सकता है, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
उच्चतम न्यायालय का रुख
कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह भूमि विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। पीठ ने पूछा कि मथुरा की विभिन्न सिविल अदालतों से संबंधित लगभग 18 मुकदमों को एक साथ एकीकृत करके सुनवाई उच्च न्यायालय के पास क्यों न की जाए, जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस संबंध में पहले ही फैसला सुनाया था। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि मुकदमों का एकीकरण पक्षकारों के लिए अधिक सुविधाजनक हो सकता है, क्योंकि इससे अलग-अलग अदालतों में लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से बचा जा सकता है।
मुस्लिम पक्ष की आपत्ति
मुस्लिम पक्ष के वकील ने हालांकि इस एकीकरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये मुकदमे समान प्रकृति के नहीं हैं और यदि उन्हें एक साथ सुना जाता है, तो यह जटिलताओं का कारण बन सकता है। हालांकि, उच्चतम न्यायालय की पीठ ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि इससे किसी प्रकार की जटिलता नहीं आएगी, और यह पक्षकारों के लिए सुविधाजनक होगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 26 मई 2023 को इस मामले में मथुरा की विभिन्न सिविल अदालतों से कृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह भूमि विवाद से संबंधित मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इसके बाद 1 अगस्त 2024 को उच्च न्यायालय ने एक और महत्वपूर्ण आदेश देते हुए मस्जिद प्रबंधन समिति की चुनौती को खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था।
जानें 16 जनवरी से पहले की स्थिति
16 जनवरी 2024 को उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर 2023 के आदेश पर रोक लगाते हुए शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। इस फैसले से मामले की आगे की सुनवाई में भी नए पहलू जुड़ सकते हैं, जो विवाद को सुलझाने में सहायक हो सकते हैं।
अगली सुनवाई की तारीख
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 अप्रैल 2025 की तारीख निर्धारित की है, जब दोनों पक्षों के वकील अपने तर्क पेश करेंगे। यह तारीख इस मामले के भविष्य के लिए अहम हो सकती है, क्योंकि इसके बाद आगे की कानूनी प्रक्रिया और विवाद का समाधान निकलने की संभावना है।

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